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Editorial:अपनी मृत्यु की ओर अग्रसर है पीएफआई

27-9-2022

वो आतंकी संगठन जो अभी भारत में सिमी की तरह आतंकी संगठन के रूप में घोषित तो नहीं हुआ है पर जल्द हो जाएगा। बाहर से हो रहे आतंकी हमलों से निपटना अब भारत के लिए आसान हो गया है और साथ ही उसका प्रतिकार करना भी उसको आ गया है पर घर में बैठे भेदियों से निपटना बहुत कठिन है। ये क्कस्नढ्ढ जैसे संगठन उन्हीं घर के भेदियों में से एक हैं। ये अपने साथ-साथ समाज के अनेकों वर्गों को प्रभावित करते हैं और ब्रेनवॉश कर उन्हें विनाश और रक्तपात के रास्ते पर जाने के लिए मजबूर करते हैं।
ऐसे में आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करना आवश्यक हो जाता है और अभी जो हो रहा है वो इसी नष्ट करने की प्रक्रिया का भाग मात्र है। आतंकवाद के बुनियादी ढांचे के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के बाद कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने चरमपंथी इस्लामिक संगठन- पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर देशव्यापी कार्रवाई शुरू की है।दरअसल, देशभर में क्कस्नढ्ढ पर हो रही कार्रवाई के चलते क्कस्नढ्ढ ने नियमों को ताक पर रखकर बंद घोषित किया था और हड़ताल पर उतारू थे। इस पर केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) द्वारा घोषित हड़ताल और उसके बाद राज्य में हिंसा की छिटपुट घटनाओं को लेकर मामला अपने हाथ में लिया है। न्यायालय ने कहा कि उसके द्वारा पहले हड़ताल पर प्रतिबंध लगाया गया था और सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करना स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
केरल में क्कस्नढ्ढ सदस्यों की उन्मादी भीड़ ने सार्वजनिक संपत्तियों को क्षति पहुंचाते हुए तोडफ़ ोड़ जैसे कृत्य किए। स्थानीय मीडिया के अनुसार,क्कस्नढ्ढ के सदस्यों ने कन्नूर के नारायणपारा में अखबार ले जा रहे एक वाहन पर पेट्रोल बम फेंका। इसके अतिरिक्त,केरल के तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, कोझीकोड, वायनाड और अलाप्पुझा सहित कई जिलों में पथराव की सूचना मिली थी। ज्ञात हो कि केरल क्कस्नढ्ढ का गढ़ माना जाता है।
न्यायालय ने राज्य प्रशासन से हड़ताल पर प्रतिबंध लगाने वाले अदालत के आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को भी कहा है। केरल हाईकोर्ट ने सरकार से किसी भी प्रकार की हिंसा को रोकने के लिए हर संभव तरीके का उपयोग करने के लिए कहा। केरल के विभिन्न हिस्सों में पथराव सहित हिंसा की घटनाएं हुईं क्योंकि क्कस्नढ्ढ पर कार्रवाई का दौर सुबह से शाम तक जारी था। इसके अलावा कुछ क्षेत्रों में कट्टरपंथी भीड़ ने राज्य के बसों में तोडफ़ोड़ की। उन्मादी भीड़ ने पुलिस कर्मियों को भी नहीं बख्शा और उन पर भी हमला किया। क्कस्नढ्ढ सदस्यों ने पुलिस अधिकारियों पर तब हमला किया जब उन्होंने कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने का प्रयास किया। यहां तक कि पुलिस और आम जन की जान पर बन आयी थी, इसके परिणामस्वरूप केरल उच्च न्यायालय को कट्टरपंथी संगठन के विरुद्ध स्वत: संज्ञान लेना पड़ा। उच्च न्यायालय ने पिनाराई विजयन सरकार को अपने ही एक आदेश का उल्लंघन करने के लिए क्कस्नढ्ढ के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इससे पहले हाईकोर्ट ने राज्य में धरना-प्रदर्शन या बंद के निर्देश दिए थे। इसमें कहा गया है कि कोई भी संगठन सात दिनों के नोटिस के बिना राज्य में बंद का आह्वान नहीं कर सकता है। बता दें कि दो सदस्यीय क्कस्नढ्ढ समूह ने कन्नूर में एक आरएसएस और भाजपा कार्यालयों पर इसी तरह के हमलों की सूचना मिली थी। केरल के इतर कर्नाटक में भी खेल कुछ ऐसा ही था। राज्य सरकार ने समय रहते बैन लगाने की प्रक्रिया आगे बढ़ा दी है।
कोर्ट के डंडे और सख्ती का ही कमाल था जो केरल की वामपंथी सरकार भी क्कस्नढ्ढ पर कार्रवाई करने के लिए संजीदा हो गयी।