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Editorial:पीएफआई जैसी आतंकी सोच को ख़त्म करना जरूरी

25-9-2022

जब तक तोड़ेंगे नहीं तब तक छोड़ेंगे नहीं। इसी कथन को चरितार्थ करते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी अब भारत में पनप रही आतंकी सोच को ख़त्म करने की ओर अग्रसर है। भारत को तोडऩे और इसे इस्लामिक देश बनाने के लक्ष्य के साथ कुछ संगठन काम कर रहे हैं, उन्हीं में से एक है पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया। इस संगठन की नींव भारत में के वर्ष 2001 में बैन होने के पश्चात पड़ी थी। वर्ष 2004 में कई संगठनों के विलय से क्कस्नढ्ढ बना था।
कई गुना आगे निकलते हुए ऐसे अपराधों में संलिप्त है, जिसके चलते देश के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। यही कारण है कि इसे पूरी तरह से नष्ट करने के लिए इसके विरुद्ध कार्रवाई भी प्रारंभ हो गई है। सब कुछ योजना के अनुरूप रहा तो इस वर्ष के अंत तक सारा खाका तैयार हो जाएगा और जैसे स्ढ्ढरूढ्ढ बैन हुआ था वैसे ही क्कस्नढ्ढ का भी अंत हो जाएगा।
दरअसल, पॉपुलर फ्रं ट ऑफ़ इंडिया (क्कस्नढ्ढ) अब स्ढ्ढरूढ्ढ की राह पर चलता नजर आ रहा है। वही स्ढ्ढरूढ्ढ जिसका मूल उद्देश्य भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना था। चरमपंथियों के इस संगठन ने भारत के खिलाफ जिहाद की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य या तो जबरदस्ती इस्लाम में परिवर्तित करना या हिंसा से दार-उल-इस्लाम (इस्लाम की भूमि) स्थापित करना था। ऐसे मंसूबों को तिलांजलि देते हुए स्ढ्ढरूढ्ढ को एक आतंकी संगठन घोषित करते हुए भारत में बैन कर दिया गया था। वहीं उसके रास्ते पर ही चलने वाले क्कस्नढ्ढ का भी उसी प्रकार से विनाश करने की तैयारी शुरू हो गई है।
इसी क्रम में राष्ट्रीय जांच एजेंसी और प्रवर्तन निदेशालय ने आतंकी फ ंडिंग के संदिग्धों के विरुद्ध देशव्यापी छापेमारी की और 100 से अधिक पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (क्कस्नढ्ढ) के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। क्कस्नढ्ढ अध्यक्ष ओएमए सलाम और प्रदेश अध्यक्ष सीपी मुहम्मद बशीर को मलप्पुरम के मंजेरी से हिरासत में लिया गया। जांच एजेंसी ने गुरुवार सुबह साढ़े तीन बजे ओखला से दिल्ली क्कस्नढ्ढ प्रमुख परवेज अहमद और उनके भाई को भी गिरफ्तार किया। यह सब यूं ही नहीं हो रहा, बल्कि देश के विरुद्ध षडयंत्र रचने वाले क्कस्नढ्ढ के आतंक परस्त होने के प्रमाण मिलने के बाद उसके खिलाफ पूरी कार्रवाई की जा रही है।
ज्ञात हो कि वर्ष 2017 में गृह मंत्रालय को एक पत्र लिखकर क्कस्नढ्ढ पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। हृढ्ढ्र के अनुसार क्कस्नढ्ढ लगातार समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक कार्यों में लिप्त रहा है। एनआईए ने दावा किया था कि क्कस्नढ्ढ भारतीय राजनीति को सांप्रदायिक बनाने, इस्लाम के सबसे निकृष्ट तालिबान ब्रांड को लागू करने और ऐसे तमाम उपक्रमों को बनाए रखने के उद्देश्य से एक रणनीति अपनाता है।
डोजियर में कहा गया कि क्कस्नढ्ढ के कई संस्थापक नेता स्ढ्ढरूढ्ढ के प्रतिबंधित होने से पहले उससे जुड़े थे। इसमें क्कस्नढ्ढ के पूर्व अध्यक्ष ईएम अब्दुरहीमान, जो 1980-81 और 1982-93 में स्ढ्ढरूढ्ढ के अखिल भारतीय महासचिव थे, क्कस्नढ्ढ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पी कोया जो 1978-79 में स्ढ्ढरूढ्ढ के साथ थे और एसडीपीआई के अध्यक्ष ई अबूबकर जो 1982-84 में केरल राज्य स्ढ्ढरूढ्ढ के अध्यक्ष थे, यह सभी शामिल है। अर्थात स्ढ्ढरूढ्ढ ख़त्म हुआ तो क्कस्नढ्ढ शुरू किया गया, लोग वही- सोच वही- विचार वही बस नाम अलग।
क्कस्नढ्ढ जैसे संगठन भारत में काफी समय से संचालित हैं, जिनका हाथ हर उस भारत विरोधी गतिविधि में होता है, जो देश को विभाजित करने का लक्ष्य रखते हैं। हर देश विरोधी मामलों के पीछे इस संगठन का हाथ पाया जाता है। कई राज्यों ने तो इसे बैन भी किया है, परंतु अब समय आ गया है कि इस संगठन पर और सख्ती दिखाते हुए इसका समूल विनाश किया जाए। यह इसलिए भी ज़रूरी है कि समाज को दूषित करने में जुटे क्कस्नढ्ढ जैसे संगठनों ने कई ऐसे अपराध देशभर में संचालित किए हुए हैं जिससे पूरा समाज और समरसता धूमिल हो रही है।
इस अपराध की श्रेणी में सबसे अव्वल नंबर पर है- देश में दंगे भड़काना। बीते वर्षों में जो भी दंगा किसी भी शहर-कस्बे में हुआ उसमें क्कस्नढ्ढ का नाम सामान्यत: हमेशा सामने आता रहा है। दंगे की योजना बनाने से लेकर दंगे के लिए उपयोग में लाने वाले पत्थर से लेकर असलहों तक इसका सारा का सारा प्रबंधन क्कस्नढ्ढ की ही देखरेख में होता है। फिर चाहे वो सीएए-एनआरसी प्रदर्शन की आड़ में किए गए दंगे हो या फिर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा या फिर कानपुर में इसी वर्ष जून माह में हर जुम्मे पर हुआ दंगा हो, सभी में एकमात्र संलिप्तता और किसी की नहीं इसी क्कस्नढ्ढ की पाई गई।