Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

Editorial:कनाडा खालिस्तानियों का अड्डा कैसे बन गया?

24-9-2022

विभाजन से पहले और बाद में भी भारत को खंडित करने वाली ताकतें हमेशा से ही मौजूद रही हैं। देश को पहली बार तोड़ने का षड्यंत्र मोहम्मद अली जिन्ना ने रचा था और वो अपनी इस षड्यंत्र में सफल भी रहे, जिसका परिणाम यही निकला कि पाकिस्तान के रूप में एक कट्टर इस्लामिक राष्ट्र बनकर सामने आया। वहीं भारत को तोड़ने का दूसरा बड़ा षड्यंत्र सिख धर्म के आधार पर खालिस्तान बनाने की होती रही है। 60 के दशक से बदले राजनीति परिदृश्य के बाद से आए दिन खालिस्तान का मुद्दा चर्चाओं का हिस्सा बना रहता है। देखा जाए तो वर्तमान समय में यह खालिस्तानी ताकतें सबसे अधिक कनाडा में सक्रिय हो रही है और यहीं से अपने भारत विरोधी एजेंडे को संचालित कर रही हैं।
कनाडा में जनमत संग्रह

कनाडा में इस समय पंजाब को अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर जनमत संग्रह का आयोजन तक किया जाने लगा है और इस खतरनाक मुहिम को वहां Khalistan Referendum नाम दिया गया है। अभी 18 सितंबर को ही कनाडा के ओंटारियो शहर में भारत में प्रतिबंधित आंतकी संगठन सिख फॉर जस्टिस ने जनमत संग्रह का आयोजन कराया था।

भारत के खिलाफ अक्सर जहर उगलने वाला गुर पतवंत सिंह पन्नू सिख फॉर जस्टिस आतंकी गुट का प्रमुख है। पन्नू पाकिस्तान के इशारे पर भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देता है। यहां गौर करने वाली बात यह रही कि खालिस्तान पर जनमत संग्रह का भारतीयों ने तो कड़ा विरोध किया है, इसके साथ साथ कनाडा में रहने वाले सिखों के गुटों ने भी इसके खिलाफ खड़े नजर आए, जो कि खालिस्तानी आतंकी संगठनों के लिए किसी झटके से कम नहीं था। वैसे इससे पहले ब्रिटेन में भी खालिस्तान को लेकर ऐसी ही नौटंकी होती हुई देखने को मिल चुकी है।

वहीं यहां बड़ी बात यह भी रही कि कनाडा की ट्रूडो सरकार ने इसे ‘शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक प्रक्रिया’ बताते हुए जनमत संग्रह पर रोक लगाने से ही इनकार कर दिया था। दरअसल, अवैध जनमत संग्रह को लेकर भारत ने कनाडा के समक्ष अपनी आपत्तियां जाहिर की और ट्रूडो सरकार से इसे रोकने के लिए भी कहा गया था।

जिस पर उनकी तरफ से टुड्रो सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कनाडा में व्यक्तियों को इकट्ठा होने और अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है। वैसे इससे पूर्व कुछ दिन पहले ही कनाडा में खालिस्तानियों द्वारा स्वामीनारायण मंदिर को निशाना बनाकर वहां हमला किया गया था। इन हालिया घटनाक्रम को देखकर साफ पता चलता है कि कनाडा में किस तरह से भारत विरोधी मानसिकता को बढ़ावा दिया जा रहा है। वो कोई और नहीं कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ही हैं, जिनके कारण कनाडा में यूं खालिस्तानी ताकतें फल-फूल रही हैं।