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केंद्रीय विश्वविद्यालय रांची को भूमि हस्तांतर‍

319.28 एकड़ भूमि का किया जाना है हस्तांतरण
101 एकड़ गैरमजरूआ भूमि का है दोहरी जमाबंदी
139.17 एकड़ रैयती भूमि का भी किया जाना है अधिग्रहण
विभाग ने भूमि अधिग्रहण के लिए 128 करोड़ किया निर्गत

Ranchi : केंद्रीय विश्वविद्यालय रांची के भू-हस्तांतरण का मामला अभी भी फंसा हुआ है. इसको लेकर बुधवार को राजभवन में राज्यपाल रमेश बैस की मौजूदगी में एक बैठक की गई. बैठक में अपर मुख्य सचिव राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग एल.ख्‍यांग्‍ते, रांची डीसी राहुल कुमार स‍िन्‍हा, एवं झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय रांची के कुलपति प्रोफेसर क्षि‍त‍ि भूषण दास मौजूद रहे. बैठक में केंद्रीय विश्वविद्यालय रांची की विभिन्न समस्याओं पर भी चर्चा की गई. केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूमि हस्तांतरण, स्थायी परिसर तक पहुंचने के लिए पहुंच पथ निर्माण और जलापूर्ति की व्यवस्था को लेकर विशेष रूप से चर्चा की गई. राज्यपाल ने अधिकारियों को इन समस्याओं के निराकरण को लेकर गंभीरता से काम करने का निर्देश दिया. इस दौरान बैठक में राज्यपाल के प्रधान सचिव डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी भी मौजूद रहे.

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बता दें कि विश्वविद्यालय को 70.71 एकड़ गरमजरूआ भूमि का हस्तांतरण किया जाना है, जिसमें 59.97 एकड़ गरमजरूआ भूमि के वाद का निस्‍तारण कांके सीओ के स्तर से किया गया है. दाखिल खारिज की प्रक्रिया भी पूर्ण कर ली गई है. मगर ग्रामीणों के विरोध के कारण उक्त भूमि विश्वविद्यालय को आवंटित नहीं की गई है. शेष 10.74 एकड़ गरमजरूआ भूमि के हस्तांतरण की प्रक्रिया अभी लंबित है. म‍िली जानकारी के अनुसार पूर्व में विश्वविद्यालय को 319.28 एकड़ भूमि का हस्तांतरण किया गया था. सत्यापन के बाद पाया गया था कि लगभग 101 एकड़ गैरमजरूआ भूमि की दोहरी जमाबंदी हुई है. ज‍िसे रद्द करने पर भी चर्चा की गई.

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राज्य सरकार द्वारा चेड़ी, मनातु एवं सुकुरहुट्टू में कुल 139.17 एकड़ रैयती भूमि का अधिग्रहण कर विश्वविद्यालय को हस्तांतरित किया जाना है. उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग, झारखंड सरकार के सुझावनुसार पहले चरण में 15.82 एकड़ रैयती भूमि का अधिग्रहण कर झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय को हस्तांतरित किया जाना है. जिसमें 15.82 एकड़ रैयती भूमि के अधिग्रहण पर भी चर्चा हुई. विवि के लिए उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग, झारखंड सरकार जिला भू-अर्जन पदाधिकारी, रांची को 128 करोड़ द‍िया जा चुका है. 139.17 एकड़ रैयती भूमि में से शेष 123.35 एकड़ रैयती भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया लंबित है.

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