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आतंकवाद का नया लॉन्च पैड बना ममता का नया बंगाल

भारतीय राजनीति में एक कहावत प्रचलित रही है कि बंगाल जो आज सोचता है कुछ वैसा ही देश में भी एक समय के बाद घटित होता है। बंगाल को सदैव ही बुद्धिजीवियों की भूमि माना जाता रहा है लेकिन अब स्थिति पलटने लगी हैं क्योंकि आज के समय में बंगाल में जो कुछ भी हो रहा है उसे देखकर कोई नहीं चाहेगा कि ऐसा कभी देश में हो। इसकी वजह है बंगाल में फलता-फूलता आतंकवाद। यह आतंक अब न केवल बंगाल में अपितु संपूर्ण राष्ट्र में फ़ैल रहा है जो कि भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक खतरा हो सकता है।पश्चिम बंगाल की स्थिति दयनीय है

पश्चिम बंगाल की इस दयनीय स्थिति के लिए यदि कोई सबसे बड़ा उत्तरदायी है तो वह निश्चित रूप से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही हैं और आज हम आपको बंगाल में फैल रहे इसी आतंकवाद की क्रोनोलॉजी को समझाने वाले हैं। भारत में इसरो का एक रॉकेट छोड़ने वाला लॉन्च पैड है और यह देश के अंतरिक्ष संबंधी विकास को दर्शाता है। इसी तरह अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने शायद एक नया ही लॉन्चर बना दिया है और ये हैं आतंकियों के लॉन्चपैड। जी हां पश्चिम बंगाल से आए दिन आतंकी घटनाओं के मामले सामने आ रहे हैं और एक हालिया रिपोर्ट ने तो सब को सन्न करके रख दिया है।

दरअसल, पश्चिम बंगाल में आतंकी संगठन अल कायदा से जुड़े आतंकियों को राज्य में अलग-अलग स्थानों से पकड़ा गया था और उनसे पूछताछ में यह सामने आया है कि पश्चिम बंगाल में टेरर लॉन्चिंग पैड धड़ल्ले से चल रहा है। पूछताछ में सामने आया है कि अल कायदा का बंगाल के जरिए भारत में एक बड़ा आतंकी नेटवर्क डेवलप हो गया है। जानकारी के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में पश्चिम बंगाल में आतंकी संगठन तेजी से अपना विस्तार करते पाए गए हैं। राज्य में अल कायदा की उपमहाद्वीप शाखा (अल कायदा-भारतीय उपमहाद्वीप या एक्यूआईएस) के चार सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं।

खुफिया एजेंसियों को यह जानकारी मिल चुकी है कि आतंकवादी संगठन अपने विस्तार के लिए तेजी से काम कर रहे हैं। इस मामले में पश्चिम बंगाल की राज्य पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स और खुफिया शाखा के सूत्र यह बता रहे हैं कि बंगाल में कम से कम तीन केंद्र या उग्रवादी संगठन के मॉड्यूल बनाए गए हैं। इनमें से एक 24 परगना, एक हावड़ा और तीसरा उत्तर बंगाल में है और इन तीनों ही जगह से देश के खिलाफ बड़ी आतंकी साजिश रची जा रही है।
और पढ़ें- चाइनीज़ खाने में आपको भर-भर कर खिलाया जा रहा है अजीनोमोटो, जीवन के लिए है ख़तरनाकगिरफ्तार आतंकियों से पूछताछमामले से जुड़ी खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गिरफ्तार आतंकियों से पूछताछ में तीन मॉड्यूल के कम से कम 19 लोगों के नाम मिले हैं। इनमें से 6 को पकड़ लिया गया है

और इनमें से चार को एसटीएफ ने कुछ दिन पहले गिरफ्तार किया था लेकिन 13 लोग अभी भी फरार है और ये 13 आतंक का काला खेल कभी भी खेल सकते हैं।
कई राज्यों में पकड़े गए आतंकियों ने भी यह खुलासा किया है कि देश में अल कायदा का नेटवर्क तेजी से न केवल फैल चुका है बल्कि वह अपने टारगेट सेट करने की ओर बढ़ रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक 24 परगना में दो, दक्षिण 24 परगना में एक और मुंबई में एक पकड़ा गया। सद्दाम हुसैन खान, जिसे मुंबई में गिरफ्तार किया गया था। आपको बता दें कि गिरफ्तारी से बचने के लिए यह आतंकी एक मजदूर के रूप में मुंबई में छिप गया था। हालांकि पुलिस अधिकारी अभी बाकी 13 लोगों तक नहीं पहुंचे हैं।
इस मामले में जो 13 आतंकी अभी भी फरार हैं, उनमें से अबू तलहा सहित कम से कम तीन लोग दक्षिण एशिया में अल कायदा संगठन द्वारा वांछित हैं, महत्वपूर्ण बात यह है कि ये बांग्लादेशी नागरिक हैं। उन्होंने सीमा पार करके इस देश में प्रवेश किया था। खुफिया विभाग के अधिकारयों को अंदेशा है कि उस संगठन के सदस्य पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, बिहार, दक्षिण भारत के कई राज्यों सहित देश के विभिन्न हिस्सों में फैल गए हैं और यह देश के लिए एक बड़े खतरे का संकेत दे रहा है।
अब प्रश्न यह है कि आखिरकार ऐसा क्या हो गया कि ये आतंकी बंगाल में फलने फूलने लगे हैं, तो आपको बता दें कि इस पूरे खेल के पीछे का बड़ा कारण पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही हैं। ममता बनर्जी और उनकी पूरी राजनीति मुस्लिम तुष्टिकरण के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है। ऐसे में राज्य सरकार के नर्म होने से बांग्लादेश से लेकर म्यांमार के घुसपैठिए और रोहिंग्या मुसलमान भारत आए हैं। अब सबसे अहम बात यह है कि यह पहचानना किसी के लिए भी मुश्किल हो सकता है कि कौन सा व्यक्ति आतंकी है और कौन साधारण आर्थिक मजबूरी में भारत आया है।
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ऐसे में कई आतंकियों ने भी ममता बनर्जी की नीतियों का फायदा उठाकर अपना आतंकी नेटवर्क मजबूत करते रहे हैं जिनका सीधा संबंध अल कायदा से सामने आया है जिसे ओसामा बिन लादेन ने जन्म दिया था। इस संगठन का भारत से कनेक्शन स्थापित करना देश में स्लीपर सेल्स को एक्टिव कर सकता है जिससे ये स्लीपर सेल्स अलग-अलग तरह से कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने और उन्हें आतंकी गतिविधियों में लिप्त कर देने के लक्ष्य के साथ भारत को अस्थिर कर सकते हैं।
ममता बनर्जी दूसरी ओर रोहिंग्या और कटृरपंथियों को आम और जरूरत मंद समझकर उन्हें उनसे आतंकी घटनाएं करवा सकते हैं जिससे देश में स्थितियां बिगड़ सकती हैं क्योंकि सभी को तुष्टीकरण से प्रेम है और यह तुष्टीकरण ही ममता के गले की हड्डी बन सकती है।