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आगरा में बीमार नवजात बच्ची को 11 महीने पहले उसके अपने ही मातृ छाया न्यास में छोड़ गए थे। अब जिंदगी भी उससे रूठ गई। एसएन मेडिकल कॉलेज में रविवार दोपहर को 11 माह की बालिका की मौत हो गई।
नेहरू नगर स्थित मातृ छाया न्यास (अनाथालय) के पालने में 11 महीने पहले कोई नवजात बच्ची को डाल गया था। उसके सिर में पानी भरा था। संस्था ने निजी अस्पताल में दो बार उसका ऑपरेशन कराया। फिर बाल कल्याण समिति के आदेश पर 25 अगस्त को उसे मातृ छाया न्यास से पंचकुइयां स्थित राजकीय बाल एवं शिशु गृह लाया गया। यहां से 9 सितंबर को उसे एसएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। 13 सितंबर को तीसरी बार ऑपरेशन हुआ। रविवार को बालिका की मौत हो गई।
शिशु गृह पर लापरवाही का आरोप
बच्ची की मौत के मामले में शिशु गृह के कर्मचारियों पर इलाज में लापरवाही बरतने के आरोप लगाए गए हैं। बाल कार्यकर्ता नरेश पारस का कहना है कि निजी अस्पताल में ऑपरेशन के बाद बच्ची को शिशु गृह क्यों लाया गया। उसका अस्पताल में ही इलाज क्यों नहीं चलने दिया। दोबारा तबियत बिगड़ने के बाद फिर उसे एसएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराना पड़ा। इधर, मौत के कारणों की डिप्टी सीपीओ अर्पिता ने जांच शुरू कर दी है।
इस संबंध में जिला प्रोबेशन अधिकारी (डीपीओ) मनोज पुष्कर का कहना है कि बालिका की तबियत खराब थी। उसका उपचार कराया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। शव का पोस्टमार्ट कराया जा रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले शनिवार को राजकीय किशोर गृह में बाल अपचारी की मौत हो गई थी। उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी नहीं आई है।
विस्तार
आगरा में बीमार नवजात बच्ची को 11 महीने पहले उसके अपने ही मातृ छाया न्यास में छोड़ गए थे। अब जिंदगी भी उससे रूठ गई। एसएन मेडिकल कॉलेज में रविवार दोपहर को 11 माह की बालिका की मौत हो गई।
नेहरू नगर स्थित मातृ छाया न्यास (अनाथालय) के पालने में 11 महीने पहले कोई नवजात बच्ची को डाल गया था। उसके सिर में पानी भरा था। संस्था ने निजी अस्पताल में दो बार उसका ऑपरेशन कराया। फिर बाल कल्याण समिति के आदेश पर 25 अगस्त को उसे मातृ छाया न्यास से पंचकुइयां स्थित राजकीय बाल एवं शिशु गृह लाया गया। यहां से 9 सितंबर को उसे एसएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। 13 सितंबर को तीसरी बार ऑपरेशन हुआ। रविवार को बालिका की मौत हो गई।
शिशु गृह पर लापरवाही का आरोप
बच्ची की मौत के मामले में शिशु गृह के कर्मचारियों पर इलाज में लापरवाही बरतने के आरोप लगाए गए हैं। बाल कार्यकर्ता नरेश पारस का कहना है कि निजी अस्पताल में ऑपरेशन के बाद बच्ची को शिशु गृह क्यों लाया गया। उसका अस्पताल में ही इलाज क्यों नहीं चलने दिया। दोबारा तबियत बिगड़ने के बाद फिर उसे एसएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराना पड़ा। इधर, मौत के कारणों की डिप्टी सीपीओ अर्पिता ने जांच शुरू कर दी है।
इस संबंध में जिला प्रोबेशन अधिकारी (डीपीओ) मनोज पुष्कर का कहना है कि बालिका की तबियत खराब थी। उसका उपचार कराया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। शव का पोस्टमार्ट कराया जा रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले शनिवार को राजकीय किशोर गृह में बाल अपचारी की मौत हो गई थी। उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी नहीं आई है।
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