मक्कार चीन की हरकतों से आज पूरी दुनिया परेशान है। चीन अपनी आक्रामकता के जरिए विश्व की चिंता बढ़ा रहा है। ड्रैगन छोटे देशों को कर्ज के जाल में फं साकर उन्हें अपने कब्जे में कर लेता है, तो वहीं शक्तिशाली देशों के विरुद्ध भी वो अपने तमाम पैंतरे और तिगड़बाजी अपनाने की कोशिश में लगा रहता है। परंतु जब बात भारत की आती है तो चीन की तमाम पैंतरेबाजी फेल हो जाती है क्योंकि भारत के पास चीन की हर हरकत का जवाब देने की क्षमता है और इस बार भी भारत ने ऐसा ही किया।
जासूसी करने के लिए श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर भेजे चीनी जहाज को भारत ने ऐसा सबक सिखाया कि वो उल्टे पांव भागने के लिए मजबूर हो गया।दरअसल, चीन ने एक बड़े षड्यंत्र के तहत भारत की जासूसी करने के लिए श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर एक सप्ताह के लिए अपना चीनी जहाज “युआन वांग ५” भेजा था। छह दिन की विवादित यात्रा के बाद सोमवार को चीन का यह जहाज वापस लौट गया। पहले तो ११ अगस्त को हंबनटोटा बंदरगाह पर चीन द्वारा संचालित जहाज को पहुंचना था। परंतु भारत ने शुरू से ही चीनी जहाज पर जासूसी करने का आरोप लगाते हुए इस पर ऐतराज जताया था, जिसके बाद श्रीलंका की तरफ से चीन को जहाज भेजने की अनुमति नहीं मिली।
चीन का कहना था कि यह जहाज शांति और मैत्री के उद्देश्य से भेजा गया है, परंतु समझने वाली बात ये है कि वास्तविकता इसके बिल्कुल इतर है। ड्रैगन की हर चाल से भारत अच्छे से वाकिफ है। भारत को पता था कि वो अपने जहाज के माध्यम से भारत की जासूसी करने का षड्यंत्र रच रहा है, यही बड़ा कारण था कि भारत इसके विरुद्ध था। श्रीलंका में चीनी जहाज की एंट्री भारत के लिए खतरे की घंटी मानी गयी। ट्रैकिंग प्रणाली द्वारा भारतीय प्रतिष्ठानों की जासूसी की कोशिश करने की आशंका से भारत चिंतिंत था।
भारत इन खतरों से भली भांति परिचित था, इसलिए उसने श्रीलंका के आगे चीनी जहाज के रुकने पर कड़ी आपत्ति जताई।परंतु ड्रैगन तो ड्रैगन है। श्रीलंका को कर्ज के बोझ तले इस कदर चीन ने दबाया हुआ है कि अंत में भारत को धोखा देकर श्रीलंका चीन के आगे नतमस्?तक हो गया और चीनी जहाज को हंबनटोटा में रुकने की इजाजत दे दी। यहां यह जान लेना होगा कि श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह चीन के नियंत्रण में ही है। कर्ज नहीं चुका पाने के कारण श्रीलंका को बंदरगाह उसे ९९ साल के लिए लीज पर देना पड़ा। जिसके बाद चीन इस पोर्ट पर अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझने लगा है।
लंबे समय तक चले विवाद और काफी ना-नुकुर के बाद अंत में १६ अगस्त को चीनी जहाज युआन वांग ५ दक्षिणी श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पहुंचा। चीन ने सोचा तो होगा कि वो इस जहाज के माध्यम से भारत की जासूसी करेगा, परंतु उसका हर दांव उल्टा पड़ गया और भारत ने चीन को ऐसा मजा चखाया कि उसका जहाज दुम दबाकर भागने तक को विविश हो गया।मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार भारत ने चीन की चालाकी का जवाब देते हुए उसके जहाज के खिलाफ सैटेलाइट सिग्नल शील्ड लगा दी। युआन वांग ५ द्वारा उत्पन्न हुए सुरक्षा खतरे का मुकाबला करने के लिए भारत ने चार उपग्रह और एक युद्धपोत तैनात किया। भारत द्वारा उपग्रहों का उपयोग चीनी जासूसी जहाज की निगरानी के लिए किया गया। इस उद्देश्य के लिए भारत ने दो जीसैट ७ उपग्रह, क्रढ्ढ स््रञ्ज और श्वरूढ्ढस््रञ्ज जासूसी उपग्रह और नौसेना के संचार युद्धपोत को तैनात किया। भारत के सैन्य उपग्रहों रुक्मिणी और एंग्री बर्ड ने चीन को बखूबी जवाब देने का काम किया। श्वरूढ्ढस््रञ्ज उपग्रह पर कौटिल्य इलेक्ट्रॉनिक खुफिया पैकेज का उपयोग करके सिग्नल परिरक्षण किया गया। इसके अलावा बड़े पैमाने पर एंटेना, रडार, सेंसर, डेटा अवशोषित प्रणाली और चीनी जहाज पर निगरानी को भी इंटरसेप्ट किया। अल्ट्रा-हाई फ्रीक्वेंसी को पकडऩे के लिए एंग्री बर्ड का प्रयोग किया गया।मिलिट्री सैटेलाइट ने चीन की हर चाल की निगरानी की। वहीं भारत की ओर से कोई भी संदेश सिग्नल शील्ड से आगे नहीं जा सका। इस दौरान रक्षा खुफिया ने देश के रक्षा, अनुसंधान और सैन्य केंद्रों को सतर्क रहने और इन दिनों संदेश भेजने से बचने की सलाह दी थी।इसके अलावा रिपोट्र्स यह भी बता रही हैं कि भारत ने चीन को गुमराह करने और व्यस्त रखने के लिए चीनी इंटरसेप्टर के लिए फर्जी संदेशों का सहारा लिया और बेकार सूचनाओं से युआन वांग ५ एंटीना रिसीवर ही भर दिया। चीनी उपकरणों के लिए सटीक डेटा एकत्र करना मुश्किल हो गया।कुछ इस तरह भारत ने जिस अंदाज में जासूस चीनी जहाज का सामना किया उससे ड्रैगन भी हैरत में पड़ गया और भारत की रणनीति के आगे बेबस हो गया। अंत में जिस उद्देश्य के साथ चीनी जहाज आया था वो इसमें पूरी तरह विफल हुआ और घर को लौट गया। बताया तो यह भी जा रहा है कि युआन वांग ५ हंबरटोटा बंदरगाह से भले ही वापस चला गया परंतु इस दौरान इसको भारत ने काफी नुकसान भी पहुंचाया।और पढ़ें- सुरक्षा परिषद के ऊंचे सिंहासन पर बैठे चीन को भारत के राजदूत ने धो डालासारगर्भित बात ये है कि चीन भारत को घेरने के लिए नयी-नयी चालें चलता रहता है। परंतु इस बार भारत ने ड्रैगन को उसी के जाल में फंसाकर ऐसा सबक सिखाया है कि उसे वो हमेशा याद रखेगा और भारत के विरुद्ध कोई भी पैंतरेबाजी करने से पहले सौ बार सोचेगा।
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