पश्चिमी देशों को भारत ने अपनी ताकत दिखाई है – Lok Shakti

Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

 पश्चिमी देशों को भारत ने अपनी ताकत दिखाई है

जहां एक ओर अधिकांश देशों ने यूक्रेन और रूस क युद्ध के मध्य रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाते हुए उससे कुछ भी खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया, वहीं, दूसरी ओर भारत रूस से कच्चे तेल का लगातार आयात कर रहा है और यह बात पश्चिमी देशों और उसके राजनेताओं को फूटी आंख नहीं सुहा रही है. इसी कारण मॉस्को से तेल खरीद के कारण भारत कई बार आलोचनाओं के घेरे में भी आ गया है. ऐसे में भारतीय विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर से भी वैश्विक मंचों पर इस मामले को लेकर कई बार सवाल पूछे जा चुके हैं. हालांकि, जयशंकर ने भी बार-बार इस बात को स्पष्ट किया है

भारत के लिए देशहित ही सर्वोपरि है और हमें पश्चिमी देशों को खुश करने या उनसे सर्टिफिकेट लेने की कोई आवश्यकता नहीं है.पर इस बार तो बैंकॉक, थाईलैंड में भारतीय समुदाय के साथ बातचीत के दौरान जब यह प्रश्न दोबारा उठा तो यूक्रेन युद्ध के बीच रूसी कच्चे तेल के आयात के भारत के फैसले को सही ठहराते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को स्पष्ट शब्दों में कह दिया, “हम अपने हितों के बारे में बहुत ईमानदार रहे हैं. मेरे पास २,००० डॉलर प्रति व्यक्ति आय वाला देश है. ये वे लोग नहीं हैं जो उच्च ऊर्जा की कीमतें वहन कर सकते हैं. यह मेरा दायित्व है, मेरा नैतिक कर्तव्य है

यह सुनिश्चित करूं कि मैं सबसे अच्छा सौदा कर सकूं जो उनके हित में हो.”इस बयान के दो फायदे हुए. पहला, जो पश्चिमी देश हमेशा से ही भारत को ‘एक गरीब विकाशील देशÓ के रुप में देखते आये हैं, अब विदेश मंत्री जयशंकर ने उन्हीं पश्चिम देशों के शब्दों का इस्तेमाल कर उन्हें ऐसा उत्तर दिया है कि अब वे देश निरुत्तर हो चुके है. विदेश मंत्री के इस बयान का दूसरा लाभ यह हुआ है कि उनके इस बयान ने एक बार फिर भारत का रुख साफ़ करते हुए संकेत दे दिया है कि अब यह वह भारत नहीं रहा, जो अमेरिका और अन्य पश्चिम देशों के एक इशारे पर अपना फैसला बदल देता था. यह नया भारत है. यह भारत जानता है कि इसके लिए कौन सी डील उपयोगी है और कैसे इसे दूसरों को खुश करने के बजाये पहले अपनी जरूरतों को पूरा करना है.

एस जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका सहित अन्य देश इस संबंध में भारत की स्थिति को स्वीकार करते हैं. उन्होंने कहा, “एक बार जब आप अपनी बात को खुले तौर पर और ईमानदारी से लोगों के सामने रखते हैं तो लोग इसे स्वीकार करते हैं. वे हमेशा इसकी सराहना नहीं कर सकते हैं लेकिन जब तक आपने अपने हितों को सीधे तरीके से निर्धारित किया है, दुनिया इसे एक तरह की वास्तविकता के रूप में स्वीकार करती है.”

इससे पहले अप्रैल माह में, जब वाशिंगटन में रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध पर भारत के रुख के बारे में पूछा गया और रूस से भारत के तेल खरीदने पर प्रश्न उठाये गए तो विदेश मंत्री ने कहा था कि जितना तेल शायद पूरा यूरोप एक दोपहर में खरीदता है