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इलाहाबाद हाईकोर्ट : कृष्णानंद राय के करीबी भाजपा नेता की हत्या के मामले में फैसला सुरक्षित

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजीपुर के थाना मुहम्मदाबाद क्षेत्र अंतर्गत 27 जून 2005 में हुई बीजेपी नेता राजेंद्र राय की हत्या के मामले में दाखिल अपील पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित कर लिया है। मामले में सत्र न्यायालय के 2014 के आदेश को चुनौती दी गई थी।

सत्र न्यायालय ने हत्या के आरोपी उमेश राय व तीन अन्य को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास व 15 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। दोषियों ने सत्र न्यायालय के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए फैसले को एकतरफा बताया था। कोर्ट ने बृहस्पतिवार को दोनों पक्ष की बहस को सुनकर फैसला सुरक्षित कर लिया।

अंगद राय की ओर से दाखिल अपील पर न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ सुनवाई कर रही थी। याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डीके सिंह बहस कर रहे थे। जबकि, सरकार की तरफ से अधिवक्ता मंजू ठाकुर ने पक्ष रखा।

आरोप है कि उमेश राय ने बीजेपी नेता कपिल देव राय के बेटे राजेंद्र राय को बीजेपी छोड़कर अफजाल अंसारी व मुख्तार अंसारी की पार्टी में शामिल करने के लिए कहा। जब उसने बात नहीं मानी तो धमकी देने लगा। जब उसने इस बात की शिकायत पुलिस से करनी चाही तो उसकी गोली मारकर हत्या कर दी। वह घटनास्थल पर ही मर गया।

 

 

मामले में उसी दिन मुहम्मदाबाद थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। सत्र न्यायालय ने उमेश राय को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। मामले में अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी का नाम भी प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी लेकिन इसकी पुष्टि न होने से उनका नाम आरोप से हटा दिया गया था।

उमेश कुमार की ओर से अंगद राय उर्फ झुल्लन राय की ओर से हाईकोर्ट में अपील दाखिल करते हुए फैसले को चुनौती दी गई। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान याची/अपीलकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि सत्र न्यायालय का फैसला एकतरफा रहा। कोर्ट ने बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया।

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजीपुर के थाना मुहम्मदाबाद क्षेत्र अंतर्गत 27 जून 2005 में हुई बीजेपी नेता राजेंद्र राय की हत्या के मामले में दाखिल अपील पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित कर लिया है। मामले में सत्र न्यायालय के 2014 के आदेश को चुनौती दी गई थी।

सत्र न्यायालय ने हत्या के आरोपी उमेश राय व तीन अन्य को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास व 15 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। दोषियों ने सत्र न्यायालय के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए फैसले को एकतरफा बताया था। कोर्ट ने बृहस्पतिवार को दोनों पक्ष की बहस को सुनकर फैसला सुरक्षित कर लिया।

अंगद राय की ओर से दाखिल अपील पर न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ सुनवाई कर रही थी। याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डीके सिंह बहस कर रहे थे। जबकि, सरकार की तरफ से अधिवक्ता मंजू ठाकुर ने पक्ष रखा।