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Ram Janmabhoomi: काशी विश्वनाथ धाम की तर्ज पर होगा श्रीराम जन्मभूमि का विकास… कैबिनेट की बैठक में इन मुद्दों पर लगी मुहर

लखनऊ: प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या को काशी की तर्ज पर ही विकसित किया जाएगा। काशी विश्वनाथ धाम में जिस प्रकार से विकास कार्यक्रमों को पूरा कराया गया है, उसी प्रकार की योजना अयोध्या के लिए स्वीकृत की गई है। सीएम योगी की अध्यक्षता में लोकभवन में हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी गई। बैठक में वाराणसी नगर निगम के सीमा विस्तार पर भी मुहर लग गई। रामनगर नगर पालिका और सूजाबाद नगर पंचायत वाराणसी से जुड़ेंगे। बैठक में निर्णय लिया गया किकाशी विश्वनाथ धाम की तर्ज पर अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि का विकास किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस पर मुहर लगी है। साथ ही कैबिनेट में नगर विकास से जुड़े कई प्रस्तावों को भी मंजूरी मिली है। अयोध्या में सहादतगंज से नयाघाट तक 12.94 किलोमीटर लंबी सड़क का चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण किया जाएगा। इसके लिए 797.69 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

नगर विकास मंत्री अरविंद शर्मा और पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने मंगलवार को पत्रकार वार्ता में कैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णय के संबंध में जानकारी दी। मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि कैबिनेट में अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण को लेकर प्रस्ताव पास किया गया है। वहीं, नगर विकास के प्रस्ताव के तहत तीन नगर पंचायतों, सात नगर पालिका परिषद का सीमा विस्तार और एक नई नगर पंचायत गठित की गई है। इसके अलावा एक-एक नगर पंचायत और एक नगर पालिका परिषद का अस्तित्व समाप्त किया गया है।

मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि सहादतगंज से नयाघाट मार्ग सुग्रीव किला होते हुए श्रीरामजन्मभूमि स्थल तक चार लेन की सड़क बनाई जाएगी। यह प्रस्ताव काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर है। इसके तहत दुकानदारों, कब्जेदारों को पुनर्विस्थापित किया जाएगा। इसके अलावा अयोध्या जिले में फैजाबाद मुख्य मार्ग से हनुमानगढ़ी होते हुए श्रीरामजन्मभूमि स्थल तक के मार्ग का चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण किया जाएगा। इस योजना में सीवर व्यवस्था, पावर केबल व्यवस्था सहित अन्य यूटिलिटी शामिल हैं। इस कार्य को दो साल में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।

18 नई नगर पंचायतों के गठन पर मुहर
मंत्री अरविंद शर्मा ने बताया कि पिछली कैबिनेट में 18 नई नगर पंचायतों का गठन, 18 का सीमा विस्तार और दो नगर पालिका परिषद की सीमा का विस्तार हुआ था। आज जब एक नई नगर पंचायत का गठन और दो नगर पंचायतों का अस्तित्व समाप्त हुआ है। ऐसे में अब कुल 751 नगर निकाय होंगे। उन्होंने बताया कि जिन तीन नगर पंचायतों का विस्तार हुआ, उनमें फतेहपुर की खागा और शाहजहांपुर की निगोही, सोनभद्र की सोनभद्र नगर पंचायत शामिल है। बुलन्दशहर की अनूपशहर, शामली की कैराना, मुजफ्फरनगर की खतौली, गाजियाबाद की मोदीनगर, मुरादनगर और लोनी सहित कुल सात नगर पालिका परिषद का विस्तार किया गया है। साथ ही प्रतापगढ़ जिले की डेरवा बाजार नई नगर पंचायत के रूप में गठित हुई है। इसके अलावा वाराणसी नगर निगम सीमा का विस्तार करते हुए, उसमें रामनगर नगर पालिका परिषद और सूजाबाद नगर पंचायत को जोड़ा गया है।

शुरू हुई सीएम नगर सृजन योजना
मंत्री अरविंद शर्मा ने बताया कि नव सृजित, नव विस्तारित नगर पंचायतों, नगर पालिका और नगर निगम के लिए योगी सरकार ने साढ़े 500 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। इसके उपयोग के लिए ‘मुख्यमंत्री नगर सृजन योजना’ शुरू की गई है। इसके तहत जो भी धनराशि जिस भी नगर निकाय को जाएगी, उसमें 90 प्रतिशत भार वहां की जनसंख्या और 10 प्रतिशत भार उसके क्षेत्रफल को दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस योजना में हमने यह प्रावधान भी रखा है कि जो भी पैसा दिया जाएगा, वह वहां की आवश्यकताओं, चल रही योजनाओं और ग्राम विकास की योजनाओं को देखते हुए एक मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा।

मंत्री ने बताया कि मास्टर प्लान तैयार करने से पहले जनप्रतिनिधियों के सुझाव लिए जाएंगे। साथ ही, विभागों की चल रही और आने वाली योजनाओं को साथ में जोड़ा जाएगा। नगर निकाय के मास्टर प्लान के डीपीआर को मंजूरी जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनी समिति देगी। वहीं, नगर निगम के लिए नगर आयुक्त की अध्यक्षता में बनी समिति डीपीआर के सारे पक्षों को देखकर अनुमति देगी।

बदलेगा शहरों का स्वरूप
योगी सरकार शहरों का स्वरूप बदलने की योजना पर काम कर रही है। अरविंद शर्मा ने बताया कि नगर सृजन योजना के तहत जो प्रमुख रूप से काम किए जा सकते हैं, उनमें रोड और ड्रेनेज, स्ट्रीट लाइट, बिजली की अवस्थापना, कम्युनिटी हाल, बाजार में जन सुविधाओं को विकास, उनका सुन्दरीकरण और चौराहों के विकास सहित अन्य कार्य शामिल है। योजना में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि चौराहों, स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों के विकास के लिए सरकारी धन के अलावा सीएसआर और पीपीपी मोड को प्राथमिकता पर रखा जाए। इसके अलावा जो भी भवन बनने हैं, उनके लिए इनोवेटिव तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जिससे कम समय और कम खर्च में भवन का निर्माण किया जा सके। योजना की मासिक मॉनिटरिंग व्यवस्था भी की जाएगी।