Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

ऐसी बरसी आग कि खिला नहीं गुलाब, खुशबू का मजा खराब… कन्नौज की इत्र इंडस्ट्री पर गर्मी और महंगाई की मार

Default Featured Image

कानपुर/कन्नौज: तन-मन को तरोताजा कर देने वाले गुलाब पर जबर्दस्त गर्मी की मार पड़ी है। कभी 45 तो कभी 48 डिग्री तापमान का असर ये हुआ कि अलीगढ़ और हाथरस में पनपने वाले चैती गुलाब की कलियां खिलने के पहले ही जल गईं। जो थोड़ी फसल हुई, वो ₹300-400/किलो बिकी। निर्यात किए जाने वाले गुलाब रूह (तेल) के दाम ₹6.5-7 लाख/किलो से बढ़कर ₹16-18 लाख/किलो तक पहुंच गए।

कन्नौज में बड़े पैमाने पर इत्र का उत्पादन होता है, लेकिन गुलाब के इत्र के लिए सबसे बेहतरीन अलीगढ़ और हाथरस का चैती गुलाब माना जाता है। हाथरस के डिस्टिलर और एक्सपोर्टर लव शर्मा कहते हैं, मार्च का सुहाना मौसम गुलाब के लिए मुफीद होता है। इस महीने शानदार गुणवत्ता वाले फूलों से बेहतरीन तेल निकलता है। पूरी दुनिया में चैती गुलाब का तेल सबसे अच्छा माना जाता है। लेकिन इस साल मार्च से ही पड़ी जबर्दस्त गर्मी ने सब तबाह कर दिया। कहीं गुलाब की कली जबर्दस्त धूप में जल गई तो कहीं कली आई ही नहीं। फसल मामूली रही तो इसके शुरुआती दाम ही ₹400/किलो से ऊपर पहुंच गए, जबकि पिछले साल दाम 100-175 के बीच थे।

125 मन फूलों से एक किलो तेल:
शर्मा ने बताया कि गुलाब का एक किलो तेल निकालने के लिए 125 मन (एक मन यानी 40 किलो) फूलों की जरूरत होती है। जबर्दस्त तेजी और अन्य चीजों की महंगाई का असर यह हुआ कि पिछले साल जो रूह ₹7लाख/किलो तक बिकता था, वो इस बीच ₹16-18 लाख तक बिक गया। इस महंगाई के चक्कर में उत्पादन और निर्यात 10-15 प्रतिशत रह गया। हाथरस में गुलाब रूह के काम में छोटी-बड़ी 15-20 यूनिट्स लगी हैं।

मेहंदी के फूल पर भी असर:
कन्नौज के किसान गोपाल सैनी कहते हैं कि गर्मी ने फूलों की फसल तबाह कर दी। सिंचाई से पौधे तो बच गए, लेकिन फूल नहीं खिला। नमी पाकर गुलाब का फूल बड़ा होता है, लेकिन इस बार फूल छोटे हुए। फसल सिर्फ 30 फीसदी ही रही। कन्नौज के कारोबारी नियमों के तहत गुलाब, बेला, मेहंदी के रेट पहले ही तय किए जाते हैं, लेकिन इस बार 25 फीसदी ब्लैक भी चली।

यहां का गुलाब गुलकंद और गुलाबजल में इस्तेमाल होता है। अक्टूबर के सीजन में कन्नौज के इतिहास में पहली बाहर गुलाब ₹100/किलो पर बिक सकता है। गर्मी ने मेहंदी के फूलों को भी नहीं बख्शा। फसल पिछले साल के मुकाबले 30-40 प्रतिशत रह गई। बेला के दाम भी खूब चढ़े।

गुलाबजल पर जीएसटी:
कन्नौज के इत्र कारोबारी पवन पांडेय ने बताया कि गुलाब का इत्र कई किस्म का आता है। मानिए कि कम से कम ₹200 वाला इत्र अब ₹300 का मिलेगा। गुलाबजल पर 18 प्रतिशत जीएसटी लग गया है। खुशबू के बाजार में मांग न के बराबर रह गई है।

दुनिया बोल रही मंदी:
लव शर्मा कहते हैं कि कोविड, यूक्रेन युद्ध और अन्य कारणों से दुनिया मंदी की चपेट में हैं। खाड़ी देशों के खरीदार पहली बार मंदी शब्द बोल रहे हैं। वहीं कन्नौज के कारोबारी प्रांजल कपूर कहते हैं कि रोज ऑयल इतना महंगा हो गया कि इसका विकल्प तलाश जाएगा। मांग कम हुई है। निर्यात का बाजार कमजोर है। मंदी के अन्य कारण महंगाई, चीन में लॉकडाउन भी हैं। इत्र बनाने काफी कच्चा माल चीन से भी आता है।

You may have missed