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मैंने किया ही नहीं, मैंने देखा ही नहीं, मुझे पता ही नहीं…ट्विन टावर में हुए भ्रष्‍टाचार से अफसरों ने झाड़ा पल्‍ला

नोएडा: सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट सोसायटी सेक्टर-93 ए में अवैध रूप से टि्वन टावर (Twin Tower Corruption) बनवाने में नोएडा अथॉरिटी में जो भ्रष्टाचार हुआ, उससे जिम्मेदार पल्ला झाड़ रहे हैं। अथॉरिटी में चल रही विभागीय जांच में तत्कालीन 8 अधिकारियों ने अपने लिखित जवाब भेजे हैं। 10, 15, 20 पेज के इन जवाब में अधिकारियों ने टि्वन टावर को लेकर हुई गड़बड़ियों से खुद का पल्ला झाड़ा है। एसआईटी की तरफ से किए गए जांच में जो आरोप सामने आए हैं उन पर अलग-अलग जवाब दिए हैं। किसी अधिकारी ने कहा है कि ये मैंने किया ही नहीं, किसी ने कहा है कि मैंने साइट या फाइल नहीं देखी, तो किसी ने जो गड़बड़ी की है उससे अनभिज्ञता जाहिर कर दी है। अभी 3 और अधिकारियों के जवाब इस विभागीय जांच में आने हैं।

प्रकरण में एसआईटी जांच के बाद अथॉरिटी ने जो एफआईआर करवाई है, उसमें 24 तत्कालीन अधिकारी आरोपी हैं। इन अधिकारियों की तैनाती 2004 से 2012 तक अथॉरिटी में रही है। इनमें विभागीय जांच में अथॉरिटी को 11 आरोपी अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र जारी करने की मंजूरी शासन से मिली थी। यह विभागीय जांच अथॉरिटी के एसीईओ प्रवीण मिश्रा कर रहे हैं। आरोप पत्र जारी होने के बाद पहले इन आरोपी अधिकारियों ने कई दस्तावेज अथॉरिटी से मांगे। अब अपने जवाब अथॉरिटी में पहुंचाए हैं।

जवाब देने वालों में तत्कालीन प्लानिंग असिस्टेंट टीएन पटेल, नगर नियोजक अशोक कुमार मिश्र, सहायक प्रबंधक अनीता, ऋतुराज व्यास सीनियर मैनेजर प्लानिंग, प्रॉजेक्ट इंजीनियर बाबूराम, विमला सिंह तत्कालीन सहयुक्त नगर नियोजक, एम सी त्यागी तत्कालीन प्रॉजेक्‍ट इंजीनियर, मुकेश गोयल मैनेजर प्लानिंग शामिल हैं। इनमें ऋतुराज व्यास, विमला सिंह व मुकेश गोयल ने एक-एक आरोप पत्र पर जवाब देने का और समय मांगा है। तीन अधिकारियों ने जवाब ही नहीं दिए हैं।

पीसीएस, आईएएस के खिलाफ जांच पर फैसला तक नहीं
टि्वन टावर को लेकर हुए भ्रष्टाचार में पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह, एस के दिवेदी, पूर्व एसीईओ आर पी अरोड़ा, पूर्व ओएसडी यशपाल सिंह, पीएन बाथम भी आरोपी हैं। इनके खिलाफ विजिलेंस में एफआईआर तो दर्ज करवाई गई है। लेकिन विभागीय जांच में यी आईएएस और पीसीएस अब तक बचे हुए हैं। नीचे के अधिकारियों पर ही आरोप पत्र जारी करने का निर्णय शासन से हुआ है। इसको लेकर अथॉरिटी के कर्मचारियों में भी कई तरह की चर्चाएं हैं। आईएएस व पीसीएस जो रिटायर हो चुके हैं अगर उनके खिलाफ शासन स्तर से जांच हो तो दोषी पाए जाने पर पेंशन रुक सकती है।