लखनऊ: यूपी के जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक (Dinesh Khatik) ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को लिखी चिट्टी का मजमून कुछ ऐसा रखा है कि उनका सरकार पर ‘दबाव’ भी बन जाए और कोई ‘प्रतिकूल प्रभाव’ भी न हो। संघ के पुराने कार्यकर्ता और दो बार के विधायक दिनेश खटीक मंत्री बनने के बाद चाहते थे कि इनका विभाग और क्षेत्र में दबदबा बना रहे। तबादलों में उनकी भी सुनी जाए पर न तो उन्हें कोई कामकाज दिया गया और न ही कोई अफसर उनकी सुन रहा था। इसके बाद वह खुद को असहज महसूस कर रहे थे। फिर तो उनके सामने चिट्टी लिखकर अपना दर्द बताने और इस्तीफा देने के अलावा कोई रास्ता ही नहीं बचा था।
तबादलों में दखल चाहते थे मंत्री
भले ही मंत्री दिनेश खटीक ने एक हफ्ता पहले मेरठ में तबादलों और भ्रष्टाचार पर सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति की तारीफ की हो, पर चिट्ठी में मंत्री दिनेश खटीक ने जलशक्ति विभाग के तबादलों में भ्रष्टाचार की आशंका जताई है। उन्होंने विभागाध्यक्ष से तबादलों की सूचना भी मांगी थी। कहा जा रहा है कि दरअसल मंत्री भी तबादलों में अपना दखल चाहते थे, कुछ तबादलों के लिए उन्होंने सिफारिश भी की थी, जिन्हें नियम विरुद्ध बताकर रोक दिया गया। हालांकि विभागीय अधिकारियों का दावा है कि मंत्री की सिफारिश पर भी कुछ तबादले किए भी गए हैं। मंत्री ने नमामि गंगे योजना में भ्रष्टाचार के भी आरोप लगाए हैं और किसी एजेंसी से जांच कराने की भी मांग भी की है। माना जा रहा है कि पिछली बार जब वह इसी विभाग के मंत्री थे तो उन्हें नमामि गंगे परियोजना देखने को कहा गया। वह चुनाव की घोषणा होने से चार महीने पहले ही विभाग के मंत्री बने थे। उन्होंने कुछ मामलों में गड़बड़ी की शिकायत भी की थी, पर कोई ऐक्शन भी नहीं हो पाया। इस बार भी उनकी इच्छा इस विभाग में भी दखल की थी, पर कामकाज न मिलने से वह पूरी न हो पाई।
दलित कार्ड से बढ़ाई पत्र की तासीर
दिनेश खटीक ने अपने पत्र में ‘दलित कार्ड’ खेला है। पार्टी इस वोटबैंक को जोड़ने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। मंत्री भी जानते थे यह इसका असर भी दूर तक होगा और उनके लिए ‘सेफगॉर्ड’ का भी काम करेगा। मंत्री के आरोपों के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव, बसपा प्रमुख मायावती ने ‘दलित उत्पीड़न’ का आरोप सरकार को घेरने की कोशिश भी की है। मंत्री ने लिखा है कि मैं दलितों के साथ हो रहे अन्याय के बारे में अफसरों को अवगत कराता हूं तो वह उस पर कार्यवाही नहीं करते, जिससे पूरे दलित समाज का अपमान हो रहा है। हालांकि विभाग के अफसरों का कहना है कि इस विभाग में दलित अफसरों को पूरा सम्मान मिल रहा है। लखनऊ, मेरठ, बनारस, झांसी समेत कई जिलों में चीफ इंजिनियर दलित ही हैं।
अमित शाह को क्यों लिखी चिट्टी?
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह न तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और न ही अब यूपी के प्रभारी हैं, पर मंत्री ने चिट्टी शाह को ही संबोधित करके लिखी है। उनका इस्तीफा भी न तो मुख्यमंत्री को भेजा गया है और न ही राज्यपाल को। माना जा रहा है कि यूपी में उनके दखल व केंद्र में उनके असर के चलते वहां गुहार लगाई है। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि शाह का यूपी के फैसलों में अब भी ‘बैकडोर’ से दखल रहता है। वहीं बतौर गृहमंत्री वह मंत्री का इस्तीफा भी स्वीकार नहीं कर सकते। इससे मंत्री की पूरी बात भी सामने आ गई है और उनका कोई नुकसान भी नहीं हुआ।
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