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Editorial:आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की उपयोगिता का सेना उठाये लाभ

19-7-2022

जब किसी देश के पड़ोसी देश धूर्त चीन और आतंकपरस्त पकिस्तान हो तो उस देश के लिए सुरक्षा का विषय सबसे ज्यादा अहम होता है. भारत इन कपटी राष्ट्रों की हेकड़ी को ठिकाने लगाते हुए अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता देता रहा है. मौजूदा समय में भारतीय सेना दुनिया के सबसे आधुनिक सेनाओं में से एक है और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सेना बन चुकी है. आधुनिक हथियारों से लैस भारतीय सेना किसी भी देश की सेना को धूल चटाने का सामथ्र्य रखती है. भारत अपनी सीमा सुरक्षा को बेहतर बनाने हेतु हर प्रयास करता नजर रहा है.आपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शब्द का इस्तेमाल कई बार सुना होगा. आम जिंदगी की जरूरतों में भी अब इस तकनीक के इस्तेमाल की चर्चा खूब होने लगी है. निजी सेक्टर तो इस तकनीक का इस्तेमाल कर ही रहा है लेकिन भारतीय सेना भी सीमा की निगरानी से लेकर घुसपैठियों पर हमला करने तक ्रढ्ढ तकनीक से दुश्मनों के जमकर छक्के छुड़ा रही है. ऐसे में इस बात की चर्चा भी तेज है कि अब वो दिन दूर नहीं जब चीन और पाकिस्तान के बॉर्डर पर रोबोट हमारी सीमा की रखवाली करते दिखें.ब्रिटिश और अमेरिकि सेना का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक उनकी सेना में 25 प्रतिशत रोबोट सैनिक शामिल होंगे. वहीं, इजऱायल इन दोनों देशों से काफी आगे है. उनके पास सीमा सुरक्षा के लिए सबसे उन्नत मशीनें मौजूद हैं जबकि भारत इस क्षेत्र में अभी शुरूआती दौर में ही है.

संभव है कि यह जल्द ही भारतपाकिस्तान सीमा पर निगरानी करता नजऱ आएगा. इसकी खासियत यह है कि एक बार चार्ज करने के बाद ये रोबोट छह घंटे तक सीमाओं पर गश्त कर सकते हैं और जैसे सैनिकों को पता होता है कि उन्हें कब आराम और रिचार्ज की जरूरत है, ये रोबोट खुद चार्जिंग पॉइंट तक जाते हैं और खुद को प्लग करते हैं. उनके पास इनबिल्ड रिकग्निशन सिस्टम है जिसके माध्यम से वे अज्ञात और संभावित शत्रुतापूर्ण चेहरों की पहचान करते हैं और उन पर आक्रमण करते हैं.इन रोबोट्स में जेस्चर रिकग्निशन करने वाला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेंगलुरु स्थित भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने बनाया है. निगरानी तेज करने के लिए इसे कैमरों से जोड़ा जा सकता है. अपने डेटाबेस के माध्यम सेसाइलेंट सेन्ट्री रोबोट सिस्टमÓ अज्ञात चेहरों का पता लगा सकता है. फिर यह डेटा 5-10 किलोमीटर के दायरे में स्थित आर्मी के ठिकानों को ट्रांसमिट किया जा सकता है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस कार्यक्रम में ्रढ्ढ की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, “हमने दूर से चलने वाले मानव रहित हवाई वाहनों आदि में अनुप्रयोगों को शामिल करना शुरू कर दिया है. भारत को इस दिशा में आगे बढऩे की जरूरत है ताकि हम स्वायत्त हथियार प्रणाली विकसित कर सकें.”वहीं, बेंगलुरु के स्टार्टअप ष्टशद्द्यठ्ठद्बह्ल द्वारा एक उपकरण तैयार किया गया है जिसे मैंडरिन ट्रांसलेटर और वॉयस रिकग्निशन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. हैंडहेल्ड डिवाइस को ऑफ़लाइन संचालित करने में भी एआई सक्षम है और यह 5 फीट की दूरी पर आवाजों को पहचान सकता है. यह सीमा कार्मिक बैठकों के दौरान और कभीकभी गतिरोध के दौरान बहुत उपयोगी हो सकता है. डिवाइस के मौजूदा वजन को 600 ग्राम से घटाकर 200 ग्राम करने और इसकी रेंज को मौजूदा 5 फीट से बढ़ाकर 15 फीट करने पर काम चल रहा है और इसे कलाई पर पहनने योग्य बनाने का काम भी चल रहा है. हमारे सैनिकों को समझने के लिए आसानी हो इसके लिए यह अंग्रेजी के अलावा हिंदी भाषा में भी चीनी भाषा तो ट्रांसलेट कर सकेगा.

यह एक एआईसक्षम और दूर से संचालित हथियार स्टेशन है और इसमें हथियारों को निर्देशित करने और स्वचालित रूप से आग लगाने, घुसपैठिये का पता लगाने की क्षमता है. अभी इसके ट्रायल टेस्ट पूरे होना शेष है।ध्यान देने वाली बात है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आयोजित कार्यक्रम में यह स्पष्ट संकेत दे दिया कि भारत इस तकनीक के मामले में लगातार विकास करेगा और इस तकनीक पर परमाणु शक्ति की तरह दुनिया के किसी बड़े देश या समूह का आधिपत्य नहीं होगा. भले ही रक्षा मंत्री की यह घोषणा और ्रढ्ढ की जरूरत वाला बयान कई लोगों ने पहली बार सुना हो लेकिन वर्ष 2018 में ही इस तरह की प्रौद्योगिकियों के लिए रोडमैप तैयार कर दिया गया था. भारतीय वैज्ञानिकों के बनाये ्रढ्ढ प्रोडक्ट्स उनकी लम्बी मेहनत का परिणाम हैं. अब भारत घुसपैठ को रोकने के लिए सीमाओं पर जल्द ही एआई का इस्तेमाल कर सकेगा. सीमा क्षेत्र में अब जवानों की कुर्बानी नहीं दी जाएगी. ्रढ्ढ संचालित प्रौद्योगिकियां केवल घुसपैठियों से निपटने में सहायक होंगी बल्कि विभिन्न इलाकों और प्रतिकूल मौसम की स्थिति में उभरते खतरों से निपटने में मदद करेगी.भारतीय सेना के लिए फायदेमंद साबित हो रही है ्रढ्ढ इसके अलावा भारतीय सेना के लिए डीआरडीओ (ष्ठक्रष्ठह्र) और भारत डायनामिक्स लिमिटेड (क्चष्ठरु) लगातार ऐसे हथियार और बना रही है जो ्रढ्ढ तकनीक के जरिये उसके काम को आसान बना रहे हैं. इनमें भीड़ में भी स्कैन करने के बाद चेहरा पहचानने वाले उपकरण हों या ड्रोन में लगने वाले कैमरे, बहुत सारे उपयोगी उपकरण शामिल हैं