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Editorial:हिंद महासागर को सुरक्षित करने तैयार नौसेना समझें चीन

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5-6-2022

एक समय हुआ करता था जब हिन्द महासागर और भारत एक दूसरे के पर्याय हुआ करते थे। उस क्षेत्र में इस धारणा को भारतीय नौसेना की मजबूत उपस्थिति ने और आकार दिया था। हालांकि, पिछले कुछ दशकों में कई अन्य कारकों ने इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है और अब ऐसी स्थिति जान पड़ती है कि इस क्षेत्र में वर्चस्व के लिए खींचतान चल रही है। लेकिन, यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि मोदी सरकार किसी को भी किसी भी तरह के दुस्साहस की अनुमति देती दिखायी नहीं दे रही है।

दरअसल, बहु-एजेंसी समुद्री सुरक्षा समूह (एमएएमएसजी) की पहली बैठक में बोलते हुए, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि, “हिन्द महासागर जो ‘शांति का सागरÓ रहा है, अब प्रतिद्वंद्विता और प्रतियोगिताओं का साक्षी बनता जा रहा है। हो सकता है आने वाले समय में वैश्विक युद्धों के केंद्र समुद्र ही हों, ऐसे में भारत को सतर्क रहने और अपने हितों की रक्षा करने की आवश्यकता है क्योंकि देश का आर्थिक स्वास्थ्य समुद्र की सुरक्षा पर निर्भर करता है ऐसे में भारत को हिन्द महासागर जैसी संपत्ति को बचाने के लिए अपनी सुरक्षा के इंतजाम कड़े करने होंगे।”

पिछले कुछ समय से देखा गया है कि कैसे चीन दक्षिण चीन सागर में इंडोनेशिया, वियतनाम और फिलीपींस जैसे अन्य देशों को धमकाता रहा। धीरे धीरे चीन ने एक भी गोली चलाए बिना पूरे क्षेत्र को धीरे-धीरे अपने नियंत्रण में ले लिया और अब चीन की नजऱ हिन्द महासागर पर है. हालांकि लद्दाख में भारत से बुरी तरह हारने के बाद अब चीन खुलेआम तो लड़ाई कर पाने में सक्षम नहीं है लेकिन चीन की चालाकी किसी से नहीं छिपी है। हिन्द महासागर में चीन के तीन से चार जहाज कई बार देखे गए हैं और यह कारण ही भारत को चौकन्ना होने के लिए काफी है।

डोभाल ने कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में भूमि और समुद्री सीमाओं की विशेष भूमिका है और इसलिए इन जगहों पर चौकसी को और बढ़ाने की आवश्यकता है। हालांकि बदलते भू-राजनीतिक घटनाक्रमों को देखते हुए समुद्री सुरक्षा अधिक महत्वपूर्ण हो गयी है। हिन्द महासागर भारत की बहुमूल्य संपत्ति है। ऐसे समय में जब इस सागर पर और भी कई देशों की नजऱें हैं तो आवश्यक है कि भारत हिन्द महासागर की सुरक्षा करे क्योंकि जब तक भारत के पास बहुत मजबूत समुद्री प्रणाली नहीं होगी तब तक भारत वह ताकत नहीं बन पाएगा, जिसके वह हकदार है। हमें एक राष्ट्र के रूप में मजबूत होना है।”

बैठक की अध्यक्षता देश के पहले राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक वाइस एडमिरल जी अशोक कुमार (सेवानिवृत्त) ने की। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार विचार-विमर्श में भाग लेने वाले शीर्ष अधिकारियों में शामिल थे।

बैठक में सभी 13 तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ भारतीय नौसेना और अन्य केंद्रीय एजेंसियों के शीर्ष समुद्री और तटीय सुरक्षा अधिकारियों ने भाग लिया।

‘समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा की आवश्यकता अधिकÓ

डोभाल ने कहा, “हम जितना अधिक विकास करेंगे, उतनी ही अधिक संपत्ति बनाएंगे, हम उतने ही समृद्ध होंगे, और ऐसे में समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा की आवश्यकता उतनी ही अधिक होगी।”

मोदी सरकार की प्रशंसा करते हुए डोभाल ने कहा कि “पिछले कुछ वर्षों में देश ने बहुत प्रगति की है। 2015 में शुरू की गयी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सागर पहल, 2018 में भारत की भारत-प्रशांत नीति और नीली अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करने के तहत सरकार ने समुद्री क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया है।

उन्होंने यह भी कहा कि जासूसी गतिविधियों को अंजाम देने वाली विदेशी खुफिया एजेंसियों को भी प्रवेश से रोकना एक बड़ी चुनौती है। हालांकि 26/11 के बाद से सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठा रही है कि तटीय मार्ग से कोई और हमला न हो। इसके लिए समुद्र में भारी निगरानी की जाती है।

भारत के लिए तटीय और समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ये कदम उठाए गए हैं क्योंकि इसकी लगभग 7,500 किलोमीटर की विशाल तटरेखा है। इस क्षेत्र में बढ़ते खतरों में सबसे बड़ा है चीन की हिन्द महासागर में रुचि। ऐसे में समुद्री सुरक्षा और भारत की तटरेखा और हिन्द महासागर क्षेत्र (ढ्ढह्रक्र) की निगरानी को और मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

भारत का लगभग 95 प्रतिशत व्यापार समुद्री मार्ग से होता है जिसमें 12 प्रमुख मार्ग और लगभग 200 गैर-प्रमुख बंदरगाह शामिल हैं। भारत की 90 प्रतिशत हाइड्रोकार्बन आवश्यकताओं को समुद्री आयात और अपतटीय उत्पादन के माध्यम से पूरा किया जाता है। समुद्री मात्स्यिकी क्षेत्र मछली पकडऩे वाले समुदाय की अर्थव्यवस्था और आजीविका में एक प्रमुख योगदानकर्ता है। मछली पकडऩे के लगभग तीन लाख जहाज हैं।

 आज भारत वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है और भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है. भारत की यह अर्थव्यवस्था कुछ हद तक समुद्री मार्ग पर निर्भर करती है जिसके कारण भारत समुद्र पर निर्भर है। ऐसे में समुद्र की सुरक्षा इस समय भारत की प्राथमिकताओं में से एक है। जिसे लेकर मोदी सरकार आगे कदम बढ़ाती जा रही है।