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Editorial: भाई-भतीजावाद को भारतीय राजनीति से ख़त्म करना आवश्यक

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3-6-2022

कार्यकर्ता प्रिय पार्टी, भारतीय जनता पार्टी के लिए उसका अस्तित्व यही कार्यकर्ता बरकरार रखते आए हैं। भाजपा के लिए मंडल से लेकर राष्ट्रीय स्तर की बैठकों का महत्व यूँ तो समान ही होता है क्योंकि नीति-निर्माण इन्हीं बैठकों के बाद तय होती हैं। वहीं राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक राष्ट्रीय स्तर पर कैसे संगठन को और विस्तार दिया उसका लेख-जोखा तय करती है। इसी बीच राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक जब राजधानी दिल्ली से इतर अन्य राज्य में हो तो समझ लिया जाता है कि या तो उस राज्य में आगामी समय में चुनाव है या भाजपा ज़मीनी स्तर पर वहां संगठन को और मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय उपक्रम लेकर उस को यह एहसास कराते हैं कि वो राज्य भाजपा के लिए कितना महत्वपूर्ण है। ऐसे में इस बार भाजपा की 2 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक शनिवार को हैदराबाद में शुरू हो गई जहाँ 2023 में विधानसभा चुनाव होने को हैं।

दरअसल, शनिवार से भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक शुरू हो गई है और 2023 के राज्य के विधानसभा चुनाव और 2024 में लोकसभा चुनाव के लिए वो अपनी कमर कस रही है। पार्टी के मेगा शो सरीके इस बैठक से पहले पूरे हैदराबाद शहर में भाजपा के झंडे और बैनर के साथ पाट दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक आज हैदराबाद में शुरू होने वाली है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आज हैदराबाद पहुंचने की उम्मीद है और वह बैठक को संबोधित करेंगे।

इस बैठक में चुनावों को लेकर रणनीतियां तय होने से लेकर कई ऐसे मुद्दे हैं जिनको भाजपा साधते हुए विधानसभा चुनाव से लेकर 2024 के आम चुनावों में कैसे वंशवादी परंपरा को निस्तेनाबूत करें उसपर विमर्श होगा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “2024 के अभियान की कथा वंश-मुक्त भारत होगी, क्योंकि इसमें दक्षिणी राज्यों सहित देश के सभी क्षेत्रीय दल शामिल हैं। वंशवाद की राजनीति को लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ सबसे बड़े खतरे के रूप में पेश किया जाएगा, जो कि अधिकार की राजनीति का प्रतीक है, और भ्रष्टाचार और कुशासन का मूल कारण है।”

 इसका अर्थ यह है कि भाजपा “एक परिवार-एक टिकट” के फ ार्मूला को यहाँ भी अमल में लाकर सही उम्मीदवारों का चयन करेगी। ये भाजपा के सिद्धांत का प्रतिफल है जो कई बड़े-बड़े पार्टी नेताओं के बच्चों को न ही विधानसभा का और न ही लोकसभा का टिकट दिया था। इसका ही अनुसरण भाजपा अब तक करती आई है और इसी की तजऱ् पर भाजपा आज भी कांग्रेस को वंशवादी पार्टी का तंज कर लेती है और हड़का देती है। यह भाजपा के लिए सबसे बड़े हथियार के रूप में सामने आया है। यह सर्वविदित है कि भाजपा कांग्रेस मुक्त भारत और भ्रष्टाचार मुक्त भारत के नारों के साथ ही अपने अस्तित्व को भुना पाई थी ऐसे में वंशवाद के छौंके ने भाजपा को चौका लगाने का अवसर दे दिया था।

 भाजपा सरकार आने में एक अहम योगदान वंशवादी सरकारों का सीधा विरोध रहा है। पीएम मोदी भी अक्सर वंशवादी सोच पर प्रहार करते हुए अपने भाषणों के माध्यम से “वंशवाद की राजनीति” पर निशाना साधते रहते हैं।

भाजपा के 42वें स्थापना दिवस पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि, “जहां भाजपा राष्ट्र के प्रति समर्पित है, वहीं कुछ दल ऐसे भी हैं जो ‘परिवारों के लिए समर्पितÓ हैं। उन्होंने कहा, इस देश में अभी भी दो तरह की राजनीति चल रही है। एक है पारिवारिक भक्ति की राजनीति और दूसरी देशभक्ति के प्रति कटिबद्ध। ये लोग भले ही अलग-अलग राज्यों में हों, लेकिन एक-दूसरे के भ्रष्टाचार को ढकते हुए वंशवाद की राजनीति के धागों से जुड़े रहते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर और कुछ राज्यों में कुछ राजनीतिक दल ऐसे हैं जो केवल अपने परिवार के हितों के लिए काम करते हैं। वंशवादी सरकारों में, परिवार के सदस्यों का संसद तक स्थानीय निकाय पर नियंत्रण होता हैज्ऐसी पारिवारिक पार्टियों ने इस देश के युवाओं को कभी आगे बढऩे नहीं दिया।Ó

 जिस भाजपा ने पहले 2014 और फिर 2019 में कांग्रेस की परिवारवादी राजनीति को तिलांजलि दी, उसी भाजपा ने 2017 और फिर 2022 में उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी परिवार वादी पार्टी समाजवादी पार्टी को धुल चटाई और हाल ही में शिवसेना की परिवारवादी जड़ों पर प्रहार किया। यह सभी वो उदाहरण हैं जो वंशवाद का सबसे बड़ा दाग भारतीय राजनीति को देने वाले दल थे। इन सभी को भाजपा ने एक-एक कर धूल चटाते हुए यह जता दिया कि कैसे “वंशवाद” पर प्रहार उसकी राजनीति के सबसे बड़ा शस्त्र है।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के लिए हैदराबाद को चुनना कई मायनों में अहम हो जाता है। तेलंगाना भाजपा के प्रमुख बंदी संजय कुमार ने कहा कि हैदराबाद को राष्ट्रीय कार्यकारिणी के आयोजन स्थल के रूप में चुना गया था क्योंकि “भाजपा राज्य में के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली तेलंगाना राष्ट्र समिति (ञ्जक्रस्) सरकार के भ्रष्टाचार, कुशासन और उत्पीडऩ की राजनीति का पर्दाफाश करना चाहती है।” उन्होंने कहा, ‘मैंने भाजपा नेतृत्व से हैदराबाद को आयोजन स्थल बनाने का अनुरोध कियाज् भाजपा कार्यकर्ताओं को पुलिस अत्याचारों का सामना करना पड़ा है और उन्हें (तेलंगाना में) कुशासन को उजागर करने के लिए फर्जी मामलों में फंसाया गया है। बैठक, प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति और उनका सार्वजनिक संबोधन राज्य भर के पार्टी कार्यकर्ताओं को विश्वास दिलाएगा।”

ज्ञात हो कि तेलंगाना के अलावा, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम और राजस्थान में आगमी वर्ष 2023 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनावों की रणनीति तय करने के लिए भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में बिंदुवार ढंग से विचार करने जा रही है कि कैसे भाजपा शासित राज्यों में पुन: जीत और गैर-भाजपा शासित राज्यों में किस प्रकार जीत सुनिश्चित की जाए।