विनिर्माण: करों के व्यापक प्रभाव को हटाकर जीएसटी का विनिर्माण क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। ईवाई इंडिया के टैक्स पार्टनर अचल चावला का कहना है कि इसके अलावा इनपुट टैक्स क्रेडिट पर से प्रतिबंध हटने से मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट में कमी आई है। जीएसटी के बाद, सकल घरेलू उत्पाद में इस क्षेत्र का योगदान 15% -17% से स्थिर रहा है। महामारी के बाद के युग में आत्मानिर्भर भारत कार्यक्रम और पीएलआई योजनाएं महत्वपूर्ण होने जा रही हैं, जब कंपनियां अपने सोर्सिंग, निर्माण और वितरण पैटर्न को फिर से कॉन्फ़िगर करेंगी।
रियल एस्टेट: वित्त वर्ष 2020 से जीएसटी की दरें आईटीसी के बिना 5%/1% है। इससे डेवलपर्स की लागत में इजाफा हुआ, क्योंकि आईटीसी घर खरीदारों को दिया जाता है। ईवाई इंडिया के टैक्स पार्टनर सागर शाह का कहना है कि डेवलपर्स के हाथों में आईटीसी और आईटीसी के बिना जीएसटी दरों के बीच चयन करने का विकल्प विचार करने योग्य है। उन्होंने कहा कि डेवलपर्स के पास वास्तविक मूल्य पर भूमि मूल्य पर विचार करने या डीम्ड वैल्यूएशन अपनाने का विकल्प होना चाहिए। वास्तविक भूमि मूल्यांकन का सकारात्मक प्रभाव हो सकता है और खरीदारों पर जीएसटी का बोझ कम हो सकता है। उनका कहना है, ‘यह सही समय है कि रियल एस्टेट सेक्टर को पूरी तरह से जीएसटी के दायरे में लाया जाए और स्टांप ड्यूटी को भी जल्द से जल्द जीएसटी कानून के दायरे में लाया जाए।
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