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कार्यस्थल में नियमानुसार आन्तरिक समिति का गठन न किये जाने पर नियोजक पर 50,000 रुपए तक का अर्थदण्ड अधिरोपित किये जाने का प्राविधान

महिला कल्याण के निदेशक श्री मनोज कुमार राय ने सर्वसाधारण को सूचित किया  है कि कार्यस्थल पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम हेतु महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ‘‘महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम, 2013’’ प्रख्यापित किया गया है। उन्होनें बताया कि अधिनियम की धारा 4 के अनुपालन में ऐसे प्रत्येक शासकीय, अर्धशासकीय एवं निजी विभाग, संगठन, उपक्रम, स्थापन, उद्यम, संस्था, शाखा अथवा यूनिट में जहां कार्मिकों की संख्या 10 से अधिक है, ऐसे सभी कार्यालयों के नियोजकों द्वारा ‘‘आन्तरिक परिवाद समिति’’ (प्दजमतदंस ब्वउचसंपदजे ब्वउउपजजमम) का गठन किया जायेगा।
निदेशक महिला कल्याण ने बताया कि व्यथित महिला कार्यस्थल पर हुये लैंगिक उत्पीड़न से सम्बन्धित शिकायत आन्तरिक परिवाद समिति में दर्ज करा सकती है। समिति का गठन कार्यस्थल पर वरिष्ठ स्तर पर नियोजित महिला की अध्यक्षता में होगा, जिसमें दो सदस्य सम्बन्धित कार्यालय से एवं एक सदस्य गैर सरकारी संगठन से नियोजक द्वारा नामित किये जायेंगे। समिति के कुल सदस्यों में से आधी सदस्य महिलायें होंगी। इसके अतिरिक्त ऐसे कार्यस्थल जहां कार्मिकों की संख्या 10 से कम है, वहां की व्यथित महिला द्वारा इस प्रकार के लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत प्रत्येक जनपद में जिलाधिकारी द्वारा गठित ‘‘स्थानीय समिति’’ (स्वबंस ब्वउउपजजमम) में दर्ज करायी जा सकती है। यदि कोई नियोजक अपने कार्यस्थल में नियमानुसार आन्तरिक समिति का गठन न किये जाने पर सिद्व दोष ठहराया जाता है, तो नियोजक पर 50,000 रुपए तक का अर्थदण्ड अधिरोपित किये जाने का प्राविधान है तथा नियोजक दूसरी बार सिद्व दोष ठहराये जाने पर पहली दोष सिद्वि पर अधिरोपित दण्ड से दोगुने दण्ड का उत्तरदायी होगा ।