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Editorial:अग्निपथ  का विरोध करने वालों को एनएसए डोभाल का कथन सुनना आवश्यक

23-6-2022

“जो हम कल कर रहे थे अगर वही भविष्य में भी करते रहे तो हम सुरक्षित रहेंगे ये जरूरी नहीं।” यह बात भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने न्यूज़ एजेंसी ्रहृढ्ढ को दिए साक्षात्कार में कही और इसी लाइन से “अग्निपथ योजना” क्यों ज़रूरी है, उसे भी स्पष्ट कर दिया। अग्निवीर बनने के लिए डोभाल ने युवाओं को प्रेरित भी किया और शरारती तत्वों को आड़े हाथों भी लिया।

14 जून को भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अग्निपथ योजना लॉन्च की है, देशभर में कई जगहों पर आगजऩी, लूटपाट, दंगे जैसी स्थितियां पैदा कर दी गईं और देश को आग में झोंकने के एक षड्यंत्र का प्रादुर्भाव हो गया। ‘अग्निपथÓ मूवी और योजना में भेद न जानने वाले भी सड़कों पर उतरकर मोदी सरकार हाय, हाय कर रहे हैं और पूछे जाने पर कहते हैं कि “हमें कुछ पता नहीं है, वो तो हमें मनीष भैया ले आए तो हम आ गए।” यह तो बड़ी विडंबना है कि चंद पैसों के लिए ‘अग्निपथ योजनाÓ के विरोध में दिव्यांग भी कूद पड़े और जमकर बवाल काटा, और ट्रेन तक जला डाली। इन सभी घटनाक्रमों को देखते हुए यह बेहद आवश्यक था कि कोई शीर्ष अधिकारी या मंत्री आए और सभी दु:ख-दर्द-पीड़ा और वेदना का उपचार करें।

ऐसे में मंगलवार को भारत के  राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने अपनी राय और सामान्य रूप से उठ रही कुंठाओं के निवारण के लिए साक्षात्कार में प्रत्येक बिंदु पर विगतवार बात रखी। एक लंबे अनुभव और तपिश झेलने वाले अजित डोभाल ने बताया कि “अग्निपथ योजना” का अर्थ भी उसी की तरह है, सेना में भर्ती होना इस बात की पुष्टि होता है कि अग्नि भरे पथ अर्थात असुरक्षा के जाल में आपका स्वागत है, देश के लिए कुछ करने का जज्बा लिए आए सभी “अग्निवीर” इस चुनौती को जानते हैं तभी यहां हैं।

डोभाल ने कहा कि, “स्वामी विवेकानंद कहते थे कि पुराना धर्म कहता था कि नास्तिक वह है जो ईश्वर पर विश्वास नहीं करता है। नया धर्म कहता है कि नास्तिक वह है, जो अपने ऊपर विश्वास नहीं करता है। अगर आपको अपने ऊपर विश्वास है, तो आपकी फिजिकल फिटनेस, मेटल फिटनेस, आपकी ट्रेनिंग.. आपकी आयु को देखते हुए आपके लिए पूरी दुनिया पड़ी है। अगर आपकी नेगेटिव सोच है, तो आपकी सारी चीजें पॉजिटिव होते हुए भी अंधकार में दिखेंगी।”

डोभाल ने आगे कहा कि “पूरा युद्ध एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। हम संपर्क रहित युद्धों की ओर जा रहे हैं और अदृश्य शत्रु के विरुद्ध युद्ध की ओर भी जा रहे हैं। तकनीक तेजी से आगे बढ़ रही है। कल की तैयारी करनी है तो बदलना ही होगा। सुरक्षा एक गतिशील अवधारणा है। यह स्थिर नहीं रह सकता, यह केवल उस वातावरण के संबंध में है जिसमें हमें अपने राष्ट्रीय हित और राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा करनी है।”

यही नहीं डोभाल ने अग्निपथ योजना की आवश्यकता को और समझाते हुए कहा कि जो हम कल कर रहे थे अगर वही भविष्य में भी करते रहे तो हम सुरक्षित रहेंगे ये जरूरी नहीं। यदि हमें कल की तैयारी करनी है तो हमें परिवर्तित होना पड़ेगा। आज भारत में बनी ्र्य-203 के साथ नई असॉल्ट राइफल को सेना में शामिल किया जा रहा है। यह दुनिया की सबसे अच्छी असॉल्ट राइफल है।”

  प्रदर्शन करने और विरोध जताने वाले नौजवानों के बारे में डोभाल ने कहा कि, “मुझे लगता है कि विरोध, आपकी आवाज उठाना उचित है और लोकतंत्र में इसकी अनुमति है, लेकिन इस बर्बरता, इस हिंसा की अनुमति नहीं है और इसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।Ó उन्होंने कहा कि इसमें दो तरह के प्रदर्शन हो रहे हैं, एक तो वे हैं जिन्हें चिंता है, उन्होंने देश की सेवा भी की है..या जब भी कोई बदलाव आता है कुछ चिंताएं उसके साथ आती हैं। हम इसे समझ सकते हैं। जैसे-जैसे उन्हें पूरी बात का पता चल रही है वे समझ रहे हैं। जो दूसरा वर्ग है उन्हें न राष्ट्र से कोई मतलब है, न राष्ट्र की सुरक्षा से मतलब है। वे समाज में टकराव पैदा करना चाहते हैं।

वे ट्रेन जलाते हैं, पथराव करते हैं, प्रदर्शन करते हैं। वे लोगों को भटकाना चाहते हैं।”

 सौ बात की एक बात यह है कि, सदा एक समय नहीं रहता है। अग्निपथ योजना समय की मांग है। अपने हित और स्वार्थ की पूर्ति और उन्हें साधने के लिए कोई भी नौजवान सेना में नहीं जाता, उसके भीतर देश की सेवा और अपना फज़ऱ् निभाने की ललक होती है इसलिए वो सेना में भर्ती होने जाता है। ऐसे में अजित डोभाल ने उक्त सभी कथनों से उन “अतिबुद्धिजीवी” प्रवृत्ति वालों को कुछ सकारात्मक ग्रहण करने की ज़रूरत है।