बालश्रम उन्मूलन अभियान की सफलता के लिये जागरुकता और सबका सहयोग जरुरी : CWC  चेयरमैन – Lok Shakti

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बालश्रम उन्मूलन अभियान की सफलता के लिये जागरुकता और सबका सहयोग जरुरी : CWC  चेयरमैन

Shruti prakash singh

Ranchi : रविवार यानी 12 जून को राज्यभर में बालश्रम उन्मूलन दिवस मनाया गया. बालश्रम कुप्रथा को समाप्त करने की दिशा में इस समय झारखंड सहित देश भर में कई कार्यक्रम चल रहे हैं. इस सम्बंध में  CWC (Child Welfare Committee ) के  चेयरमैन अजय शाह से बात की गयी तो श्री शाह ने संक्षिप्त बातचीत में बाल श्रम उन्मूलन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी दी.

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गरीबी की वजह से काम करने को मजबूर

अजय शाह ने कहा कि बाल मजदूरी के पीछे सबसे बड़ी वजह गरीबी है. गरीबी के कारण ही बच्चों को छोटी उम्र में काम करना पड़ता है और उनका बचपन आर्थिक तंगी में बीतता है जिससे उनका सम्पूर्ण विकास नहीं हो पाता. जिससे वे कुपोषण के शिकार तो होते ही हैं, उनकी शिक्षा भी पूरी नहीं हो पाती. बच्चे देश के भविष्य होते हैं. यही कारण है कि बच्चों का सही तरीके से पालन पोषण तथा उनका शिक्षित होना जरुरी है.एक सवाल के जवाब में श्री शाह ने कहा कि मुझे लगता है कि हमारे समाज में बाल मजदूरी को लेकर जागरुकता की भारी कमी है. यह एक ऐसी कुप्रथा है जिसे समाप्त किये बिना देश तरक्की या विकास नहीं कर सकता. इसे समाप्त करने के लिये सरकारी स्तर पर जो अभियान चलाये जा रहे हैं उसमें सभी का सहयोग जरुरी है.

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इन क्षेत्रों में बाल मजदूर ज्यादा पाये जाते हैं

श्री शाह के अनुसार झारखंड जैसे राज्य के छोटे शहरों जहां आर्थिक संसाधनों की कमी है बाल मजदूर ज्यादा पाये जाते हैं. श्री शाह ने बताया कि बाल श्रम कानून  में 2016 में संशोधन (amendment) हुआ जिसमें child और adolescent ( किशोर )  की परिभाषा को स्पष्ट किया गया है. बताया गया है कि चाइल्ड यानी बच्चे की आयु 01 से 14 वर्ष तक होगी और 14 से 18 वर्ष तक के बच्चो को adolescent  की श्रेणी में रखा गया है.अजय शाह ने बताया कि इस एक्ट के तह्त जो बच्चे 01 से 14 साल तक के हैं उन्हें श्रम करने के लिये पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है. वे ना ही रेस्टूरेंट और न ही किसी के घर में काम कर सकते हैं. पर जो 14 से 18 साल तक के बच्चे हैं उनको adolescent ( किशोर )   कहा गया है. यानी इन बच्चों को उस श्रेणी में रखा गया है जिसे काम (आसान वाले) की अनुमति दी गयी है. लेकिन hazard industry यानी कोई भी केमिकल इंडस्ट्री में वे काम नहीं कर सकते है.

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14 साल तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा

अजय शाह ने बताया कि देश में जो right to education एक्ट है, उसके तहत 14 साल तक के बच्चो को मुफ्त शिक्षा दिए जाने का प्रक्रिया है. इस समय सरकार उन्हें मुफ्त में शिक्षा, मिड डे मिल दे रही है.एक सवाल के जवाब में अजय शाह ने बताया कि उनके पास जितने मामले आये हैं उसमें ज्यादातर मामले poverty यानी गरीबी से जुड़ी है. उन्होंने कहा कि अगर सही अर्थों में हम अपने गरीब बच्चों को इस कुप्रथा से बचाना चाहते हैं तो हम सभी को जागरुक होना होगा. साथ ही सरकार की योजना में अपनी भागीदारी निभानी होगी. उन्होंने यह भी बताया कि फॅमिली इंटरप्राइजेज यानी जो काम घर में हो सकते हैं. जैसे पापड़ बनाना, आचार लगाना और बेचना, वहां अगर बच्चा उनकी मदद करता है तो ऐसे काम वह कर सकता है. लेकिन इस दौरान उनकी शिक्षा बाधित नहीं होनी चाहिए.

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बच्चे गरीबी का मतलब नहीं जानते

इस सिलसिले में कई बाल मजदूरों से बात की गयी तो 8-9 साल उम्र के ये बच्चे थोड़े सहमे नजर आये. बातचीत  से कतराते  इन बच्चों को गरीबी के सही मायने का पता नहीं है. उनके अनुसार मां-बाप उन्हें जो कहते हैं वे वही करते हैं. पढ़ाई के सवाल पर बच्चों ने चुप्पी साध ली. सहज ही समझा जा सकता है कि ऐसे बच्चों के मां-बाप अपने बच्चों के भविष्य के प्रति जागरुक नहीं हैं. बच्चों से अपना काम कराते कराते उन्हें उसकी आदत हो जाती है और वे बाहर जाकर भी काम करने को मजबूर हो जाते हैं.

मालूम हो कि बालश्रम जैसी कुप्रथा को समाप्त करने के लिये इस समय विश्व भर में अभियान चल रहे हैं. 12 जून को इसी संदर्भ में बाल श्रम मुक्ति दिवस मनाया गया. फिलहाल झारखंड में पलामू सहित राज्य के अन्य जिलों में इससे जुड़े कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. पलामू में 30 जून तक बाल श्रम उन्मूलन दिवस मनाया जा रहा है. इस सिलसिलें में वहां अभियान चलाकर 14 साल तक के उन बच्चों को मुक्त कराया जा रहा है, जो ढ़ाबे, होटलों, ईंट भट्ठों या घरेलू नौकर के रुप में काम कर रहे हैं.

 

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