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Editorial : मुंबई हमले पर दिए बयान से पाक में आए भूचाल

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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ साल 2008 में मुंबई हमलों पर दिए अपने बयान पर अब भी कायम हैं. उन्होंने इस्लामाबाद में अदालत के बाहर मीडिया से बात के दौरान कहा कि जो भी इंटरव्यू में कहा उसमें गलत क्या था? उन्होंने कहा कि वो लगातार सच बोलते रहेंगे और ऐसा करना उनका राष्ट्रीय व नैतिक कर्तव्य है.  गौरतलब है कि 12 मई को पाकिस्तान के प्रमुख अंग्रेजी अखबार डॉन को दिए इंटरव्यू में नवाज शरीफ ने कहा था, “क्या हमें आतंकियों को सीमा पार जाने देना चाहिए और मुंबई में 150 लोगों को मारने देना चाहिए?” नवाज ने कहा था कि पाकिस्तान में अभी भी आतंकी संगठन सक्रिय हैं.
नवाज शरीफ के खुलासे ने खोल दी कांग्रेस की पोल, मुंबई हमले में क्रस्स् को फंसाने की रची थी साजिश!
हिंदू विरोध की भावना कांग्रेस के डीएनए में है। यह सिर्फ आरोप नहीं है, बल्कि इसके कई तथ्य सामने आ चुके हैं। एक और बड़ा तथ्य तब सामने आया, जब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने ये मान लिया कि मुंबई हमला पाकिस्तान ने करवाया था।
नवाज शरीफ का ये बयान पाकिस्तान के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाला तो है ही, साथ ही कांग्रेस पार्टी की कुत्सित सोच का भी कच्चा चि_ा खोलती है। दरअसल मुंबई हमले के बाद कांग्रेस ने इसकी पूरी कोशिश की थी कि इस हमले का आरोप आरएसएस पर लगा दिया जाए।
मुंबई हमले में आरएसएस को फंसाने की साजिश!
तत्कालीन गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह, सोनिया गांधी, अहमद पटेल और राहुल गांधी- ये पांच शख्स हैं, जिन्होंने यूपीए सरकार के दौरान ‘हिंदू आतंकवाद की अवधारणा गढ़ी थी और उसे साबित करने का हर तरह का फर्जी प्रयास किया था। यहां तक कि वर्ष 2008 में 26/11 को मुंबई पर हुए हमले को भी आरएसएस द्वारा हमले के रूप में न केवल प्रचारित किया गया, बल्कि इस पर एक पुस्तक भी लिखी गई। गौरतलब है कि इसका लोकार्पण दिग्विजय सिंह ने किया था
क्या यही धर्मनिरपेक्षता है?  कांग्रेस को सिर्फ २००२ का गुजरात का  दंगा ही याद रहता है। गुलबर्गा सोसाईटी केस  के माध्यम से जाकिया जाफिरी और तीश्ता  शीतलवाड़ के माध्यम से छद्म  धर्मनिरपेक्षवादियों ने नरेन्द्र मोदी को भी उसी  प्रकार से फांसने का प्रयत्न किया जिस प्रकार से  मालेगांव और समझौता एसप्रेस केस में  भागवत जी को फांसने का हुआ था। परंतु यह  सब प्रयत्न असफल हो गये। पीएम मोदी जी को  हाईकोर्ट से भी लीन चिट मिल चुकी है।  हाईकोट ने कहा है की २००२ के दंगे किसी  षडयंत्र के परिणाम नहीं थे….
सरकार ने रोकी थी वायु सेना की ‘सर्जिकल स्ट्राइक  आज का समाचार है 26/11 हमले के बाद  यूपीए सरकार ने रोकी थी वायु सेना की  ‘सर्जिकल स्ट्राइक?  इसके पूर्व कांग्रेस के नेतृत्व में कुछ विपक्षी  पार्टियों में सर्जिकल स्ट्राईक पर ही प्रश्र चिन्ह  लगा दिया था । इसी कारण सेना के प्रवक्ता को  स्पष्टीकरण देना पड़ा था।  ठीक इसके विपरीत कांग्रेस ने यह भी झूठा  दावा किया था कि यूपीए शासनकाल में सर्जिकल  स्ट्राईक हुई थी।  आज के समाचार से स्पष्ट हो गया है कि  यूपीए शासनकाल में सेना सर्जिकल स्ट्राईक  करना चाहती थी परंतु उसे ऐसा करने से रोक  दिया गया।  पूर्व रॉ अधिकारी आर.एस.एन. सिंह का यह  कथन सही है कि 26/11 पूरा प्री-ह्रश्वलैनेड हमला  था, कसाब न पकड़ा गया होता तो हिन्दू आतंकी  घोषित होता।  इसे और अधिक स्पष्ट मैं यहॉ करना उचित  समझता हूं। यूपीए शासन में दो गृहमंत्री सुशील  शिंदे और पी. चिदंबरम हुए। दोनों ने ही हिन्दू  आतंकवाद, भगवा टेरर का झूठ फैलाया। इस  लास्ट में पाकिस्तान के दो नागरिकों को पुलिस  ने गिरतार किया था। हिन्दुओं को बदनाम करने  और पाकिस्तान को खुश करने के लिये समझौता  एसप्रेस और मालेगांव लास्ट के केस में निर्दोष  करनल पुरोहित और प्रज्ञा भारती को जेल में ठूंस  दिया गया। यूपीए शासन तो चाहता था कि इस  केस में संघ प्रमुख मोहन भागवत जी को भी  गिरतार कर लिया जाए।  मैं पूर्व में संपादकीय लिख कर स्पष्ट कर चुका  हूं कि एक सुनियोजित षडयंत्र के अंतर्गत भारत  की सेना को बदनाम करने का भी प्रयास कांगे्रस  और वामपंथी पार्टियों द्वारा होते रहा है।