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Mathura Case: भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के केस पर सुनवाई आज, शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की है मांग

सार
मथुरा की अदालत में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के केस पर आज सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने श्रीकृष्ण विराजमान को वादी बनाकर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह के बीच हुए समझौते को चुनौती दी है। इसकी डिक्री रद्द करने की मांग अदालत से की है।

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मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह मस्जिद के मामले में 13.37 एकड़ जमीन पर सबसे पहले दावा पेश करने वाली अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री के केस पर आज सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता ने भगवान श्रीकृष्ण विराजमान को वादी बनाकर दो साल पहले याचिका दायर की थी, जिसे जिला जज की अदालत ने सुनवाई योग्य मानते हुए केस दर्ज कर लिया है।  

अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने 25 सितंबर 2020 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन पर दावा पेश किया था, जिसमें उन्होंने वर्ष 1967 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह के बीच हुए समझौते को गलत बताकर इसे रद्द करने की मांग की। दावा किया कि मंदिर को तोड़ा गया और औरंगजेब ने इस स्थान पर ईदगाह बनवाई। अधिवक्ता ने ईदगाह को उक्त जमीन से हटाने की मांग की है। 

20 माह में मिलीं 36 तारीखें 

रंजना अग्निहोत्री के वाद को अदालत ने 20 माह में 36 तारीखों की लंबी सुनवाई के बाद दर्ज होने योग्य माना है। 25 सितंबर 2020 को वाद खारिज कर दिया गया था। 12 अक्तूबर 2020 को जिला जज की अदालत में अपील की गई। जिला जज ने 18 जनवरी 2021 में अपील को रिवीजन में सुनवाई का निर्णय लिया। जनवरी से लेकर अब तक केस की सुनवाई के लिए 36 तारीख पड़ीं। 

विवादित जमीन पर ट्रस्ट के स्वामित्व का दावा 
बुधवार को एडीजे सप्तम की अदालत में विधि छात्राओं की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान वादी पक्ष के अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह ने विवादित जमीन पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट का स्वामित्व का दावा किया। उन्होंने वर्ष 1997 में हाईकोर्ट के एक आदेश का हवाला दिया, जिसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि की वर्तमान में विवादित संपत्ति पर ट्रस्ट का मालिकाना हक माना गया है।

अधिवक्ता ने हाईकोर्ट के उक्त आदेश को भी अदालत के समक्ष रखा। दलील दी कि हाईकोर्ट के इस आदेश से स्पष्ट होता है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि संस्थान और ईदगाह कमेटी के मध्य हुआ समझौता कोई मायने नहीं रखता। लिहाजा शाही ईदगाह को वहां से हटाकर उक्त जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराकर ट्रस्ट को सुपुर्द कर दिया जाए। अगली सुनवाई 31 मई को होगी। 

विस्तार

मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह मस्जिद के मामले में 13.37 एकड़ जमीन पर सबसे पहले दावा पेश करने वाली अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री के केस पर आज सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता ने भगवान श्रीकृष्ण विराजमान को वादी बनाकर दो साल पहले याचिका दायर की थी, जिसे जिला जज की अदालत ने सुनवाई योग्य मानते हुए केस दर्ज कर लिया है।  

अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने 25 सितंबर 2020 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन पर दावा पेश किया था, जिसमें उन्होंने वर्ष 1967 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह के बीच हुए समझौते को गलत बताकर इसे रद्द करने की मांग की। दावा किया कि मंदिर को तोड़ा गया और औरंगजेब ने इस स्थान पर ईदगाह बनवाई। अधिवक्ता ने ईदगाह को उक्त जमीन से हटाने की मांग की है। 

20 माह में मिलीं 36 तारीखें 

रंजना अग्निहोत्री के वाद को अदालत ने 20 माह में 36 तारीखों की लंबी सुनवाई के बाद दर्ज होने योग्य माना है। 25 सितंबर 2020 को वाद खारिज कर दिया गया था। 12 अक्तूबर 2020 को जिला जज की अदालत में अपील की गई। जिला जज ने 18 जनवरी 2021 में अपील को रिवीजन में सुनवाई का निर्णय लिया। जनवरी से लेकर अब तक केस की सुनवाई के लिए 36 तारीख पड़ीं।