ताजमहल में शाहजहां के तीन दिवसीय 367वें उर्स के दौरान एक लाख से अधिक लोगों के प्रवेश, स्मारक की सुंदरता और सुरक्षा को तार-तार करने का मामला कोर्ट पहुंचा है। आगरा के सीजेएम प्रदीप कुमार सिंह ने प्रार्थना पत्र को परिवाद के रूप में दर्ज कर लिया है। इसमें अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक और एडीए उपाध्यक्ष पर आरोप लगाया गया है। सीजेएम ने वादी के बयान के लिए 16 जून की तिथि नियत की है।
मामले के अनुसार, धाकरान चौराहा निवासी उमेश चंद वर्मा ने अपने अधिवक्ता मोती सिंह सिकरवार के माध्यम से सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। इसमें कहा कि वह सिटीजंस फोरम संस्था के अध्यक्ष हैं। संस्था आगरा के सतत विकास, पर्यावरण रक्षा एवं प्राचीन स्मारकों के संरक्षण के लिए लोगों में सामाजिक चेतना विकसित करने का कार्य करती है।
1.25 लाख लोगों की भीड़ ने किया प्रवेश
उमेश चंद वर्मा ने प्रार्थना पत्र में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार कर ताजमहल में शाहजहां के 367वें उर्स (27-28 फरवरी और एक मार्च 2022) का आयोजन किया गया। तीन दिवसीय उर्स के लिए ताजमहल में अकीदतमंद कम सैलानी ज्यादा घुस गए। भीड़ को नियंत्रित करने में एएसआई और सीआईएसएफ के सुरक्षाकर्मी नाकाम साबित हुए।
उर्स के अंतिम दिन एक मार्च 2022 को 1.25 लाख लोग ताजमहल में प्रवेश कर गए। भीड़ ने ताजमहल की सुरक्षा एवं सुंदरता को तार-तार कर दिया। फूल और पौधे, गमले, गार्डन, फव्वारे, जालियां, रेलिंग और सब कुछ तहस-नहस कर दिया। सीआईएसएफ के सुरक्षाकर्मियों से भी बदसलूकी हुई। ताजगंज और फतेहाबाद रोड पर भयंकर जाम देर रात तक लगा रहा। ताजमहल के आसपास रहने वाले लोग घरों में बंधक बनकर रह गए। यातायात नियंत्रण करने में पुलिस के भी हाथ पांव फूल गए।
पुरातत्व संरक्षण अधिनियम में हैं प्रावधान
वादी ने प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया कि अधीक्षण पुरातत्वविद आगरा के एक गलत फैसले से ऐतिहासिक इमारत को भारी क्षति पहुंची। तीन दिन तक प्रवेश को निशुल्क कर सरकार को लाखों रुपये के राजस्व की हानि पहुंचाई। पुरातत्व संरक्षण अधिनियम 1958 सभी स्मारकों को उपासना के दुरुपयोग, प्रदूषण और अपवित्रता से संरक्षित करती है। अधीक्षण पुरातत्वविद ने इस अधिनियम की अवहेलना की है। इस अधिनियम की धारा पांच में प्रावधान है कि ऐसे स्मारक या उसके किसी हिस्से का उपयोग किसी भी समुदाय के धार्मिक पूजा या अनुष्ठान के लिए किया जाता है तो कलेक्टर ऐसे स्मारक या उसके हिस्से को प्रदूषण या अपवित्रता से बचाने के लिए उचित प्रावधान करेगा।
सुप्रीम कोर्ट और शासन के दिशा-निर्देशों का हवाला
समाचार पत्रों के माध्यम से जानकारी मिलने पर उमेश चंद्र वर्मा ने जिलाधिकारी से जांच कराकर मुकदमा दर्ज कराने का आग्रह किया। मगर कोई कार्रवाई न होने पर अदालत में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। अपने प्रार्थना पत्र में ताजमहल को लेकर वर्ष 1970 से 2018 तक सुप्रीम कोर्ट और शासन की ओर से जारी दिशानिर्देश भी वर्णित किए हैं। यह भी कहा कि यूनेस्को ने वर्ष 1983 में ताजमहल को विश्व धरोहर घोषित कर इसे अति उत्तम मानवी कृतियों में से एक बताया था।
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