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Editorial:भारत-जापान संबंधों में झलकता आदर्श बदलाव

25-5-2022

हाल के वर्षों में भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत ने अपने वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने और 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए उसे निष्पक्ष, आक्रामक और संतुलित विदेश नीति को अपनाने के लिए विवश किया है। इसी परिपेक्ष्य में नई दिल्ली ने अपनी रणनीतिक दृष्टि का विस्तार किया है। विशेष रूप से एशिया में भारत ने अपने सुरक्षा हितों की परिभाषा को व्यापक बनाया है। नतीजतन, भारत-जापान संबंधों में एक आदर्श बदलाव आया है, जिसने दोनों देशों के बीच रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को मजबूत किया है।

इस बार भारत के प्रधानमंत्री पुन: जापान के आधिकारिक यात्रा पर गए थे, प्रयोजन था- क्वाड की मीटिंग। वैसे तो इस बैठक में ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष भी आये थे पर भारत और जापान के संबंधों में सबसे ज्यादा गर्मजोशी दिखी। एक ओर जहां नरेन्द्र मोदी ने ना सिर्फ जापान में बसे भारतवंशियों को संबोधित किया बल्कि दूसरी ओर सभी जापानियों से भारत आने का निवेदन भी किया। इसके साथ साथ उन्होंने भारत और जापान को स्वाभाविक मित्र भी बताया। लेकिन, जापान क्यों भारत का स्वाभाविक दोस्त है और क्यों भारत जापान की मित्रता इस सदी की निर्णयाक साझेदारी सिद्ध होगी?

जापान और भारत क्वाड मौजूद ऐसे दो राष्ट्र हैं जिन्होंने ना सिर्फ चीन से प्रत्यक्ष रूप से भिड़े हैं बल्कि उसकी विस्तारवादी नीतियों का प्रतिरोध भी किया है। इसके साथ साथ ये दोनों देश ना सिर्फ चीन के साथ सीमा विवाद साझा करते हैं बल्कि उसे मात देने का माद्दा भी रखते हैं। इसके अलावा ये दोनों देश नित नए दिन विकास और आर्थिक साझेदारी के आयामों को प्राप्त कर रहें हैं।

भारत में अधिक निवेश की मांग करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देश की विकास यात्रा में जापान के योगदान का जश्न मनाने हेतु जापान सप्ताह का प्रस्ताव रखा। मोदी ने यहां जापानी कारोबारी नेताओं के साथ एक गोलमेज बैठक की अध्यक्षता की जिसमें 34 जापानी कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों और सीईओ ने भाग लिया। इनमें से अधिकांश कंपनियों का भारत में निवेश और संचालन है।

भारत और जापान “स्वाभाविक साझेदार” हैं और जापानी निवेश ने भारत की विकास यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेखांकित किया कि वैश्विक समुदाय देश में बुनियादी ढांचे और क्षमता विकास के असाधारण पैमाने और गति को देख रहा है।

इसके अलावा जापान और भारत एक दूसरे के साथ सांस्कृतिक और सामाजिक साझेदारी भी रखते हैं। भारत और जापान के बीच दोस्ती का एक लंबा इतिहास रहा है, जो आध्यात्मिक आत्मीयता और मजबूत सांस्कृतिक और सभ्यता संबंधों में निहित है। यह 752 ईस्वी में भारतीय भिक्षु बोधिसेना की यात्रा से जुड़ा था। कहा जाता है कि जापान और भारत के बीच आदान-प्रदान छठी शताब्दी में शुरू हुआ था जब जापान में बौद्ध धर्म की शुरुआत हुई थी। बौद्ध धर्म के माध्यम से फि़ल्टर की गई भारतीय संस्कृति का जापानी संस्कृति पर बहुत प्रभाव पड़ा है और यह जापानी लोगों की भारत से निकटता की भावना का स्रोत है।

स्वामी विवेकानंद, नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर, उद्यमी जेआरडी टाटा, स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस और न्यायाधीश राधा बिनोद पाल जैसे कई प्रमुख भारतीय जापान से जुड़े रहे हैं।

 टोक्यो की अपनी दो दिवसीय यात्रा के पहले दिन टोक्यो में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए, मोदी ने यह भी कहा कि जापान के साथ भारत के संबंध दुनिया के लिए ताकत, सम्मान और सामान्य संकल्प में से एक है। प्रधामंत्री के क्वाड बैठक के लिए जापान जाना और इस तरह की गर्मजोशी दिखाना यही रेखांकित करता है की जापान और भारत का सहयोग, समन्वय और रणनीतिक साझेदारी ना सिर्फ 21वीं सदी का वैश्विक समीकरण बदल देगा बल्कि एशिया को भी चीन के दमनकारी नियंत्रण से मुक्त करेगा।