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Editorial:रक्षा क्षेत्र में देश हो रहा है अधिक सशक्त और नवीन

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18-5-2022

स्वावलंबन शक्ति, सामथ्र्य और साहस की जननी है। यह आपके अंदर आत्मविश्वास, आत्मस्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की अलौकिक लौ प्रज्वलित करती है। पूर्ण स्वावलंबी राष्ट्र ही वास्तविक अर्थ में अपनी स्वतंत्रता और संप्रभुता को संरक्षित रख सकता है। राष्ट्र को स्वावलंबी बनाने में मोदी सरकार की नीति और निर्णय अप्रत्याशित रूप से उल्लेखनीय हैं।
मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, डिजिटल इंडिया आदि नीतियां इसी सर्वोच्च राष्ट्रिय हित की प्राप्ति हेतु प्रयत्नों की उत्कृष्टतम अभिव्यक्ति है। इस अभिव्यक्ति का सबसे स्पष्ट प्रतिबिंबन आपको राष्ट्रीय शक्ति के संसाधन अर्थात सेना में देखने को मिलेगा जिसकी लौ मोदी सरकार ने जगायी और जिसका प्रतिफल पूरा राष्ट्र चख रहा है। देश का कोई भी जागरुक नागरिक इस बात से अनभिज्ञ नहीं होगा कि नरेंद्र मोदी ने भारत के घरेलू रक्षा उद्योग के निर्माण पर विशेष जोर दिया है।
“आत्मनिर्भर भारत” पहल के तहत मोदी सरकार ने सार्वजनिक तरीके से रक्षा उत्पादन को प्राथमिकता दी है। श्रमिक संघों के विरोध के बावजूद सरकार ने आयुध कारखानों का निगमीकरण किया। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि भारत के क्षेत्र में भाग लेने के लिए विदेशी फर्मों को प्रोत्साहित करने के साथ साथ राज्य स्वामित्व और निजी क्षेत्र के रक्षा उद्यमों के बीच संतुलन स्थापित किया। शायद, सेना और निजी रक्षा उद्योग के एकीकृत हो कार्य करने के इसी “मानसिकता परिवर्तन” ने भारतीय सेना के आत्मनिर्भरता की नींव रखी वरना इससे पहले सैन्य आयात, आरोप-प्रत्यारोप, अविश्वास, भ्रष्टाचार और दलाली का दौर चलता था। पर, सरकार की नीतिगत प्रेरणा के कारण, एक गणना के अनुसार, 2016 से 2019 तक भारत का सैन्य निर्यात 700 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया है।
शक्ति का सौन्दर्य सबसे श्रेष्ठकर होता है। कुछ लोगों के लिए ये बहुत हानिकारक होता है, और ‘आम्र्स रेसÓ के नाम पर इसका नकारात्मक चित्रण करके हमें अपने लिए अधिक शस्त्र जुटाने से सदैव ही निरुत्साहित किया गया था। परंतु अब और नहीं, अब नया भारत अपनी आत्मरक्षा के लिए किसी के समक्ष नहीं झुकेगा, और आवश्यकता पडऩे पर स्वयं भी शस्त्र निर्मित करेगा।

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