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प्रत्येक जिला अस्पताल में प्री-कैंसर के उपचार हेतु थर्मल एब्लेशन उपकरण भी प्रदान किए जाएंगें

गैर संचारी रोगों (एनसीडी) से प्रभावित लोगों की संख्या में निरंतर वृद्धि को
दृष्टिगत रखते हुए भारत सरकार द्वारा कैंसर, मधुमेह, हृदय सम्बन्धी रोगों एवं हृदयाघात से बचाव एवं नियंत्रण के लिए एनपीसीडीसीएस कार्यक्रम शुश् किया गया है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत चिकित्सकीय आधारभूत संरचना, मानव संसाधन विकास, स्वास्थ्य जागश्कता, शीघ्र निदान एवं संदर्भन जैसे मुद्दों पर कार्य किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत मास्टर ट्रेनर्स की पहली ट्रेनिंग का आयोजन किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में 12 एवं 13 मई 2022 को किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ एवं समापन मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश श्रीमती अपर्णा उपाध्या द्वारा किया गया।
श्रीमती अपर्णा यू0 ने बताया कि चिकित्सा एवं परिवार कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश और क्लिंटन हेल्थ एक्सेस  इनिशिएटिव के सहयोग से प्रदेश में समुदाय आधारित कैंसर स्क्रीनिंग एवं  ट्रीटमेंट कार्यक्रम आरम्भ करने जा रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत सम्पूर्ण प्रदेश में मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षित किया जाएगा, जिससे की सर्वाइकल कैंसर एवं स्तन कैंसर की गुणवत्ता पूर्ण स्क्रीनिंग की जा सके एवं सर्वाइकल प्री-कैंसर चरण वाले रोगियों का उपचार किया जा सके। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कार्यरत स्टाफ नर्सों को स्क्रीनिंग पर प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त प्री-कैंसर चरण में चिन्हित महिलाओं को रेफरल के माध्यम से बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाएँगी। कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक जिला अस्पताल में प्री-कैंसर के उपचार हेतु थर्मल एब्लेशन उपकरण भी प्रदान किए जाएंगें।  
 मिशन निदेशक ने बताया कि 8.5 लाख से अधिक की वार्षिक मृत्यु दर और
1.3 मिलियन से अधिक कैंसर के मामलों के साथ, कैंसर तेजी से भारत में मृत्यु दर और रुग्णता के प्रमुख चालकों में से एक बन गया है। कैंसर की बीमारी का देर से पता लगना एवं उपचार के अभाव के कारण बहुत सी जिंदगियों को बचा पाने में कठिनाई होती है। वर्ष 2020 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में प्रति वर्ष सर्वाइकल कैंसर के 124,000 केस आते हैं और प्रति वर्ष 77,000 से अधिक महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर के कारण मृत्यु हो जाती है। यह कैंसर महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे प्रमुख जानलेवा कैंसर है। जागश्कता का अभाव, गुणवत्ता जांच और उपचार सेवाओं की सीमित पहुँच, महिलाओं का स्वास्थ्य के प्रति कम सजग होना और जांच की गोपनीयता संबंधी चिंताओं के कारण महिलाएं इस बीमारी की जांच को नहीं करा पाती हैं।
सर्वाइकल कैंसर को रोका जा सकता है। इसमें एक लम्बी अवधि का प्री-कैंसर चरण होता है। यदि प्री-कैंसर चरण में बीमारी को पहचान लिया जाए तो इसका उपचार किया जा सकता है एवं इसे कैंसर में बदलने से रोका जा सकता है। सर्वाइकल कैंसर की जांच एवं प्री-कैंसर के उपचार को विकेन्द्रीकृत कर आसानी से प्राथमिक एवं द्वितीयक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रदान किया जा सकता है।
कार्यक्रम कुलपति, किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय, लेफ्टिनेंट जनरल, डॉ विपिन पुरी, विभागाध्यक्ष, प्रसूति एवं स्त्री रोग, के0जी0एम0यू0 डॉ0 उमा सिंह, इंचार्ज जेनिटल कैंसर कंट्रोल यूनिट के0जी0एम0यू0 डॉ. निशा सिंह, सीनियर मैनेजर सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग एंड ट्रीटमेंट प्रोग्राम ब्भ्।प् प्दकपं कौसर किदवई, एवं विभिन्न सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में किया गया। कार्यक्रम में जिला चिकित्सालय लखनऊ, कानपुर, अयोध्या, मिर्ज़ापुर, गोंडा, आजमगढ़ से प्रतिभागियों ने भाग लिया।