Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

Editorial:क्या ‘परिवारवाद और ‘FREE-बांटो मॉडल से बर्बाद हुआ श्रीलंका

13-5-2022

श्रीलंका की स्थिति हर दिन खऱाब होती जा रही है. आर्थिक मोर्चा पर बुरी तरह बर्बाद होने के बाद श्रीलंका में हिंसा हो रही है. प्रदर्शनकारी सड़कों पर सरकार के विरोध में नारेबाजी कर रहे हैं. आगजनी कर रहे हैं. तोडफ़ोड़ कर रहे हैं. श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने देश में आपातकाल लगाया हुआ है. प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए गए हैं.
इसके बाद भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं. भारी विरोध के बीच प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद भी प्रदर्शनकारियों का गुस्सा शांत नहीं हुआ. राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे का घर प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया. देखते-देखते राष्ट्रपति का पैतृक आवास राख में बदल गया.
श्रीलंका में ऐसी स्थिति अचानक नहीं बनी है. पिछले करीब 1 महीने में श्रीलंका की स्थिति हर दिन बिगड़ी है. इसके पीछे कई कारण हैं. श्रीलंका में बीते दो सालों में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है. महंगाई दर 17 % पार कर चुकी है. यह आंकड़ा दक्षिण एशिया के किसी भी देश में महंगाई का सबसे भयानक स्तर है.
श्रीलंका में 1 कप चाय की कीमत 100 रुपये से ऊपर है. चीनी 300 रुपये किलो तो चावल 500 रुपये किलो है. खबरों के अनुसार, अभी श्रीलंका में एक पैकेट ब्रेड की कीमत 150 रुपये से ऊपर है. इसी तरह से दूसरी चीजों के दाम भी बढ़े हुए हैं.
श्रीलंका में आग लगी है और भारत के वामपंथी, कांग्रेसी और तथाकथित उदारवादियों ने इसमें भी अपना नफरती एजेंडा ढूंढ लिया. श्रीलंका के मामले को बताते हुए वामपंथी लिख रहे हैं कि भारत भी श्रीलंका की तरह बर्बाद हो जाएगा. तथाकथित उदारवादी कह रहे हैं कि भारत की स्थिति भी श्रीलंका की तरह हो जाएगी.
इसके बाद धुर्त कम्युनिस्ट एक तर्क भी रहे हैं- उनका कहना है कि श्रीलंका में भी राष्ट्रवाद की ऐसी ही लहर चल रही थी, जैसी भारत में चल रही है. तथाकतिथ उदारवादियों की नेता सागरिका घोष का कहना है कि श्रीलंका प्रदर्शन संदेश देता है कि जब आर्थिक संकट आता है तो बाहुबली राष्ट्रवाद और बहुसंख्यकवादी राजनीति कोई समाधान नहीं है.