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Explainer: यूपी में जल निगम का वो भर्ती घोटाला, जिसमें आजम खान लगा रहे अदालत के चक्कर

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) विधायक आजम खान (Azam Khan) बीते 26 महीनों से जेल में बंद हैं। उनके ऊपर एक के बाद एक 88 केस लदे हुए हैं। FIR के मकड़जाल में फंसे आजम के खिलाफ एक केस जल निगम (Jal Nigam) भर्ती घोटाले का भी है। इसी घोटाले के केस में आजम को लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया। अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी की सरकार के समय में जल निगम में भर्ती का यह घोटाला आखिर है क्या? और इस मामले की आंच आजम खान तक कैसे पहुंची? आइए समझते हैं इस रिपोर्ट में।

यह घोटाला तबका है, जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। आजम के पास नगर विकास मंत्रालय था। आज की तारीख से करीब 6 साल पहले 2016 में जल निगम में 1342 पदों पर वैकेंसी निकली हुई थी। इसमें 122 सहायक अभियंता, 853 अवर अभियंता, 335 नैतिक लिपिक और 32 आशुलिपिक की भर्ती हुई थी। भर्ती बोर्ड के चेयरमैन आजम खान ही थे। बाद में इन भर्तियों में अनियमितता की शिकायतें सामने आईं और आजम पर भर्ती घोटाले का आरोप लगा।
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सपा सरकार में जल निगम के चेयरमैन थे आजम खान
2012 से 2017 के बीच अखिलेश सरकार में सपा नेता आजम खां कद्दावर मंत्रियों में शुमार थे। यही कारण था कि अखिलेश सरकार में आजम खान को नगर विकास और संसदीय कार्य मंत्री का जिम्मा सौंपा गया था। उसी कार्यकाल में जल निगम में जूनियर इंजीनियर की भर्ती के घोटाले का मामला सामने आया था। जब जल निगम में भर्तियां हुई थीं उस वक्त सपा के कद्दावर मंत्री आजम खान निगम के चेयरमैन भी थे।

सीएम योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में बीजेपी सरकार बनने के बाद SIT ने अप्रैल 2018 में एफआईआर दर्ज कराई। इसमें जल निगम के चेयरमैन आजम खान के साथ ही साथ 7 अन्य लोगों को नामजद किया गया, जिनमें नीरज मलिक, कुलदीप सिंह नेगी, संतोष रस्तोगी, अजय यादव, गिरीश चंद श्रीवास्तव, विश्वजीत सिंह, रोमन फर्नांडिस शामिल रहे। केस की जांच के आदेश दिए गए और 122 अभियंताओं को बर्खास्त कर दिया गया।
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यह पूरा मामला जल निगम विभाग के ही कुछ अधिकारियों की आपत्ति के बाद सामने आया था, जिन्होंने इस संबंध में धांधली की शिकायत की थी, जिसके बाद जांच शुरू हुई। इस मामले में पूर्व नगर विकास मंत्री आजम खान के अलावा नगर विकास सचिव रहे एसपी सिंह, जल निगम के पूर्व एमडी पीके आसुदानी, जल निगम के तत्कालीन मुख्य अभियंता अनिल खरे के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। एसआईटी ने सभी अधिकारियों से लंबी पूछताछ के बाद शासन को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।

मुंबई की कंपनी से एग्रीमेंट भी हुआ था लेकिन…
एसआईटी ने इस मामले में षड्यंत्र, धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज तैयार करने से लेकर सबूत मिटाने तक की धाराओं में चार्जशीट दाखिल की। जांच में पता चला कि नियमों को ताक पर रखकर अपने खास और चहेते लोगों को नौकरियां दी गईं। लिखित से लेकर इंटरव्यू तक में अपने हिसाब से नंबर दिए गए। जल निगम ने आंसर की को वेबसाइट पर अपलोड करने के लिए मुंबई की एक कंपनी से एग्रीमेंट भी किया लेकिन आंसर-की अपलोड नहीं की गई।

अब सीबीआई कोर्ट की दहलीज पर आजम, पुराने मामले में एक्शन की तैयारी?

SIT ने उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन पर भी सवाल उठाया। जांच रिपोर्ट में कहा गया कि कंपनी ने जेई मेन्स और एडवांस या फिर गेट में परीक्षा की उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया। ऐसे में लिखित परीक्षा पर सवाल खड़े हुए, जिसमें एक लाख 6 हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने भाग लिया था। मामला सामने आने के बाद योगी सरकार ने जेई और क्लर्क की भर्तियों को रद्द कर दिया था।

अभी तय नहीं हुए आजम पर आरोप
सपा विधायक आजम खान के पक्ष में वकील अलीम रहमान ने बताया कि गुरुवार को आजम खान को पेशी के लिये कोर्ट में बुलाया था। लेकिन 207 के लिए जो कॉपियां दी गई थीं उसमें कुछ कमियां थीं। जिस पर ऑब्जेक्शन फाइल किया गया था। ऑब्जेक्शन पर कोर्ट ने सरकारी पक्ष से पूछा, तो सरकारी पक्ष ने माना कि कुछ चीजें हैं जो प्रोवाइड नहीं की गई हैं। जब प्रोवाइड कर देंगे, उसके बाद हम लोग डिस्चार्ज मूव करेंगे। उन्होंने बताया कि अभी इस स्टेज पर डिस्चार्ज मूव नहीं हुआ है। अभी आजम खान पर आरोप तय नहीं हुए हैं।