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Editorial:योगी आदित्यनाथ के सुधार मॉडल से ही फले-फूलेगी भारतीय संस्कृति

12-5=2022

 भारत में सांस्कृतिक सभ्यता को चोट पंहुचाकर मुगलों द्वारा हिन्दुओं की संस्कृति के साथ छेड़-छाड़ किया गया था। हिन्दुओं के हजारों मंदिरों को मुगल आक्रांताओं ने नष्ट कर मस्जिद का निर्माण कर दिया था। जब भारत 1947 में आजाद हुआ था तब लगा था कि भारत की संस्कृति को फिर से पुनर्जीवित किया जाएगा लेकिन सबसे अधिक समय तक देश पर राज करने वाली कांग्रेस ने इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए और देश का हिन्दू समाज खुद को ठगा हुआ महसूस करता रहा लेकिन फिर 2014 में मोदी सरकार ने देश की कमान संभाला और हिन्दुओं के सुखद दिन वापस लौट आए।

 मोदी सरकार की नीतियों ने देश के साथ-साथ धर्म के बीच समन्वय बैठाया और राम मंदिर जैसा बड़ा मुद्दा हल करवा दिया जो किसी भी सरकार के बस की बात नहीं थी। नरेंद्र मोदी ने केंद्र में मोर्चा संभाला ही था कि फिर हुआ देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भगवा का उदय और 2017 में भारी बहुमत से जीत कर योगी आदित्यनाथ ने राज्य की कमान संभाली और फिर जो हुआ वो किसी ने नहीं सोचा होगा।

योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालते ही हिन्दू मुद्दों पर कार्य करना शुरू कर दिया।आपको बतादें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मार्च 2017 में अपनी सरकार बनाने के बाद से राज्य में तीन बड़े नाम परिवर्तन किए हैं। 2018 में फैजाबाद को बदलकर अयोध्या, इलाहाबाद को प्रयागराज और मुगलसराय जंक्शन को बदलकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक पंडित दीन दयाल उपाध्याय का नाम दे दिया।

 जिसके बाद से हिन्दुओं के मन में यह बात घर कर गयी कि अब मोदी और योगी युग में हिन्दुओं के इतिहास को फिर से पुनर्जीवित कर दिया जाएगा और हुआ भी वही। योगी आदित्यनाथ ने नाम बदलने के लिए कई जगहों का प्रस्ताव रखा है।

अब इसी बीच दिल्ली ने भी योगी मॉडल पर काम करना शुरू कर दिया है। दरअसल दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने अब नई दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) से मुगल सम्राटों के नाम वाली आधा दर्जन सड़कों के नाम बदलने और उनका नाम महर्षि वाल्मीकि, महाराणा प्रताप, जनरल बिपिन रावत और डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखने की मांग की है।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष की यह मांग दिल्ली भाजपा द्वारा केजरीवाल सरकार को एक प्रस्ताव भेजे जाने के कुछ दिनों बाद आई है, जिसमें दिल्ली के हुमायूंपुर, यूसुफ सराय, बेगमपुर, सैदुल अजाब, हौज खास सहित 40 गांवों का नाम स्वतंत्रता सेनानियों, दंगा पीडि़त, प्रसिद्ध कलाकार और देश के खिलाड़ी, शहीदों के नाम पर रखने का आग्रह किया गया था।

इस मामले को लेकर एनडीएमसी अध्यक्ष को लिखे अपने पत्र में दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि स्वतंत्रता के कई वर्षों के बावजूद, दिल्ली में कुछ सड़कों के नाम “गुलामी” का प्रतीक हैं। गुप्ता ने तुगलक रोड का नाम गुरु गोबिंद सिंह और बाबर लेन का नाम क्रांतिकारी खुदीराम बोस के नाम पर रखने की मांग की। गुप्ता ने आगे कहा, “यह हमारी मांग है कि गुलामी के प्रतीक तुगलक को महान व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने के लिए गुरु गोबिंद सिंह मार्ग में बदल दिया जाए।”और उन्होंने अकबर रोड का नाम बदल कर महाराणा प्रताप के नाम पर करने की मांग की है।

अब यह तो साफ़ हो गया है की भारतीय जनता पार्टी ने पूरी तरह से मुगल आक्रांताओं के नाम को उखाड़ फेंकने की पूरी प्लानिंग कर ली है। इसी तरह से आने वाले समय में भारतीय जनता पार्टी यह सुनिश्चित कर रही है की देश के योद्धाओं और महापुरुषों को उनके योगदान के लिए पूरा सम्मान दिया जाए जो भाजपा की पहले वाली सरकारों ने नहीं किया था।