मिलकर बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं भारत-नार्डिक देश- प्रधानमंत्री मोदी – Lok Shakti

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मिलकर बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं भारत-नार्डिक देश- प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने बुधवार को डेनमार्क में कोपेनहेगेन में दूसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्‍मेलन में भाग लिया। इस शिखर सम्‍मेलन में डेनमार्क, फिनलैंड, आईसलैंड, स्‍वीडन और नॉर्वे के प्रधानमंत्री भी शामिल हुए। शिखर सम्‍मेलन में भारत नॉर्डिक संबंधों में प्रगति की समीक्षा की गई। बैठक में महामारी के बाद आर्थिक सुधार, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, नवाचार, डिजिटलीकरण और हरित एवं स्वच्छ विकास आदि क्षेत्रों में बहुपक्षीय सहयोग पर चर्चा हुई

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत-नार्डिक देश मिलकर बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। उन्होंने नॉर्डिक देशों की कंपनियों को समुद्री अर्थव्‍यवस्‍था और विशेष रूप से सागरमाला परियोजना में निवेश का निमंत्रण दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की आर्कटिक नीति आर्कटिक क्षेत्र में भारत नॉर्डिक सहयोग के विस्‍तार की अच्‍छी व्‍यवस्‍था उपलब्‍ध कराती है। प्रधानमंत्री ने नॉर्डिक देशों के सोवेरेन वेल्थ फंड को देश में निवेश के लिए आमंत्रित किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत-नार्डिक देश मिलकर बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। उन्होंने नॉर्डिक देशों की कंपनियों को समुद्री अर्थव्‍यवस्‍था और विशेष रूप से सागरमाला परियोजना में निवेश का निमंत्रण दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की आर्कटिक नीति आर्कटिक क्षेत्र में भारत नॉर्डिक सहयोग के विस्‍तार की अच्‍छी व्‍यवस्‍था उपलब्‍ध कराती है। प्रधानमंत्री ने नॉर्डिक देशों के सोवेरेन वेल्थ फंड को देश में निवेश के लिए आमंत्रित किया।

पहला भारत नॉर्डिक शिखर सम्‍मेलन 2018 में स्‍टॉकहोम में हुआ था। सम्‍मेलन के दौरान प्रतिभागी प्रधान‍मंत्रियों ने सहयोग मजबूत करने की प्रक्रिया जारी रखने का संकल्‍प लिया और अंतरराष्‍ट्रीय शांति और सुरक्षा से जुड़े महत्‍वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।


नॉर्डिक देशों ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्‍थायी सदस्‍यता के लिए अपना समर्थन दोहराया। इन देशों ने जलवायु परिवर्तन, नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा विविधिता, स्‍मार्ट ग्रिड और ऊर्जा दक्षता के क्षेत्रों में भी सहयोग की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की। सम्‍मेलन में मौजूद नेताओं ने माना कि समुद्री अर्थव्‍यवस्‍था से आर्थिक विकास, नए रोजगार, पोषण में सुधार और खाद्य सुरक्षा को बढ़ाया जा सकता है।