खेत में लहलहाती फसलों को देख किसानों के चेहरे पर स्वाभाविक मुस्कान आ जाती है। ग्रीष्मकाल में सिचाई के लिए पानी मिले तो मेहनतकश किसान गर्मी के मौसम में भी खेत को हरभरा कर देते है। जशपुर जिले के बगीचा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत डुमरकोना में जोकारी नाला मिट्टी बांध एवं नहर निर्माण का कार्य वर्ष 2020-21 में मनरेगा के तहत कराया गया। जिसके फलस्वरूप रबी के मौसम में 50 हेक्टेयर खेत में मिर्च की फसल लहलहा रही है। गर्मी और बरसात दोनो सीजन में साग-सब्जी की अच्छी पैदावार होने के कारण किसानों को हर साल लाखों रूपए की आमदनी से उनके जीवन में खुशहाली एवं जीवन स्तर में सुधान आने लगा है।
जल संसाधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार डुमरकोना में जोकारी नाला मिट्टी बांध एवं नहर निर्माण से ग्राम डुमरकोना के आस-पास के लगभग 200 हेक्टर कृषि भूमि की सिचाई की सुविधा मिलने लगी है। अब यहॉ के किसानों को रबी एवं खरीफ दोनो फसल का लाभ मिल रहा है। इससे किसानों की आमदनी बढ़ी है। साथ ही भू-जल स्तर में भी सुधार आया है। इस क्षेत्र की भूमि मिर्ची की फसल के अनुकूल है। जोकारी नहर निर्माण से सिचाई सुविधा मिल जाने से किसानो ने 50 हेक्टर भूमि पर मिर्च की फसल लगाई थी। जिससे किसानों की आमदनी बढ़ गयी है। आमदनी बढ़ने से किसनों में खुशहाली का माहौल है।
गांव के किसान सर्वश्री भागीरथ प्रधान, सोन साय राम, रामप्रसाद यादव, राम कुमार यादव, संजय राम, लालमन मनी, बलवंत ने बताया कि गर्मी और बरसात दोनो सीजन में साग-सब्जी की अच्छी पैदावार होने के कारण किसानों को हर साल लाखों रूपए की आमदनी हो जा रही है। स्थानीय बाजारों में भी मिर्च, टमाटर, भिण्डी, लौकी, बरबटी का विक्रय करने से अच्छा खासा मुनाफा किसानों को प्राप्त हो रहा है। किसानों ने बताया कि बांध निर्माण होने से धान के रकबा में लगभग 25 हेक्टर की वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि पहले भूमि असिंचित थी। बांध निर्माण होने से पूर्ण रूप से सिंचित हो गई है। परंपरागत धान की फसल का उत्पादन भी बढ़ गया है। अब मानसूनी बारीश का इंतजार नहीं करना पड़ता है। समय पर सिचाई हो जाती है।
राज्य सरकार की नरवा, गरवा, घुरवा और बारी योजना की सराहना पूरे देश में हो रही है। साथ किसानों के हित में लिए गए निर्णय से राज्य के युवाओं की रूचि भी खेती-किसानी के प्रति बढ़ी है। खेती-किसानी को बढ़ावा देने के लिए सिंचाई सुविधा को बेहतर बनानें के लिए भी विशेष जोर दिया जा रहा है। जिसके तहत नए नालो का निर्माण और पुराने नालो का संवर्धन भी किया जा रहा है।
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