औरंगजेब के समक्ष गुरु तेगबहादुर ‘हिन्द दी चादर’ बनकर खड़े हुए थे  – Lok Shakti

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औरंगजेब के समक्ष गुरु तेगबहादुरहिन्द दी चादरबनकर खड़े हुए थे 

गुरु तेगबहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर प्रधानमंत्री ने गुरुवार रात को लाल किले से राष्ट्र को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि हम आज जहां हैं, अपने लाखोंकरोड़ों स्वाधीनता सेनानियों के त्याग और बलिदान की बदौलत हैं। आजाद हिंदुस्तान, लोकतांत्रिक हिंदुस्तान, अपने फैसले खुद करने वाला हिंदुस्तानऐसे हिंदुस्तान के सपने को पूरा होते देखने के लिए कोटिकोटि लोगों ने खुद को खपा दिया। ये भारतभूमि, सिर्फ एक देश ही नहीं है बल्कि हमारी महान विरासत है, महान परंपरा है। इसी परंपरा के सम्मान के लिए, उसकी पहचान की रक्षा के लिए दसों गुरुओं ने अपना जीवन समर्पित कर दिया था। इसे हमारे ऋषियों, मुनियों, गुरुओं ने सैकड़ोंहजारों सालों की तपस्या से सींचा है, उसके विचारों को समृद्ध किया है।

पीएम मोदी ने कहा कि सैकड़ों काल की गुलामी से मुक्ति को, भारत की आज़ादी को, भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक यात्रा से अलग करके नहीं देखा जा सकता। इसीलिए, आज देश आजादी के अमृत महोत्सव को और गुरु तेगबहादुर जी के चार सौवें प्रकाश पर्व को एक साथ मना रहा है, एक जैसे संकल्पों के साथ मना रहा है। यहां लालकिले के पास में ही गुरु तेगबहादुर जी के अमर बलिदान का प्रतीक गुरुद्वारा शीशगंज साहिब भी है! ये पवित्र गुरुद्वारा हमें याद दिलाता है कि हमारी महान संस्कृति की रक्षा के लिए गुरु तेगबहादुर जी का बलिदान कितना बड़ा था। उस समय भारत को अपनी पहचान बचाने के लिए एक बड़ी उम्मीद गुरु तेगबहादुर जी के रूप में दिखी थी। औरंगजेब की आततायी सोच के सामने उस समय गुरु तेगबहादुर जी, ‘हिन्द दी चादर’ बनकर, एक चट्टान बनकर खड़े हो गए थे।

प्रधानमंत्री ने संबोधन से पहले 400 रुपये का स्मारक सिक्का और विशेष डाक टिकट भी जारी किया । उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है, ये वर्तमान समय गवाह है और ये लाल किला भी गवाह है कि कि औरंगजेब और उसके जैसे अत्याचारियों ने भले ही अनेकों सिरों को धड़ से अलग करा दिया लेकिन हमारी आस्था को वो हमसे अलग नहीं कर सका। धर्म को दर्शन, विज्ञान और आत्मशोध का विषय मानने वाले हमारे हिंदुस्तान के सामने ऐसे लोग थे जिन्होंने धर्म के नाम पर हिंसा और अत्याचार की पराकाष्ठा कर दी थी।पीएम मोदी ने कहा कि गुरु तेगबहादुर जी के बलिदान ने, भारत की अनेकों पीढ़ियों को अपनी संस्कृति की मर्यादा की रक्षा के लिए, उसके मान-सम्मान के लिए जीने और मर-मिट जाने की प्रेरणा दी है। गुरु तेगबहादुर जी का आशीर्वाद हम ‘नए भारत’ के आभा-मण्डल में हर ओर महसूस कर सकते हैं। बड़ी बड़ी सत्ताएं मिट गईं, बड़े बड़े तूफान शांत हो गए, लेकिन भारत आज भी अमर खड़ा है, आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं अपनी सरकार का सौभाग्य मानता हूं कि उसे गुरुओं की सेवा के लिए इतना कुछ करने का अवसर मिल रहा है। पिछले वर्ष ही हमारी सरकार ने, साहिबजादों के महान बलिदान की स्मृति में 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाने का निर्णय लिया। सिख परंपरा के तीर्थों को जोड़ने के लिए भी हमारी सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। जिस करतारपुर साहिब कॉरिडोर की दशकों से प्रतीक्षा की जा रही थी, उसका निर्माण करके हमारी सरकार ने, गुरू सेवा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। हमारी सरकार ने पटना साहिब समेत गुरु गोबिन्द सिंह जी से जुड़े स्थानों पर रेल सुविधाओं का आधुनिकीकरण भी किया है। हम ‘स्वदेश दर्शन योजना’ के जरिए पंजाब में आनंदपुर साहिब और अमृतसर साहिब समेत सभी प्रमुख स्थानों को जोड़कर एक तीर्थ सर्किट भी बना रहे हैं। उत्तराखंड में हेमकुंड साहिब के लिए रोप