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उत्तर प्रदेश में आगामी 100 दि नों मेंकुल 1,71,186 हेक्टेयर भमिूमि को सधु ार कर कृषि योग्य बनाया जाएगा,
जि ससेबड़ी सख्ं या मेंकि सानों को लाभ होगा और खेती जानेयोग्य भमिूमि का क्षेत्रफल बढ़नेकी आशा है। कृषि
उत्पादन क्षेत्र मेंआगामी 100 दि नों, छह महीनों एवं दो वर्षों मेंकि येजानेवालेकार्यों का मख्ु य मत्रं ी के समक्ष
अपनेप्रस्ततु ीकरण मेंयह बताया गया। प्रस्ततु ीकरण मेंकृषि वि भाग के सभी घटकों ने कि येजानेवालेकार्यों का
ब्योरा दि या।
भमिूमि सधु ार के लि ए चलाई जा रही पंदीनदयाल उपाध्याय कि सान समद्ृधि योजना के अतं र्गतर्ग आगामी 100 दि नों
में 477.33 रुपए करोड़ का खर्च प्रस्तावि त है, वहीं इस योजना मेंपि छलेपाँच वर्षों में1,41,840 हेक्टेयर भमिूमि
उपजाऊ कृषि योग्य भमिूमि मेंपरि वर्ति तर्ति की गई है। इस योजना पर लगभग रु 291.70 करोड़ का खर्च आया है।
एक सर्वेक्षण के आधार पर, परि योजना क्षेत्रों में8.58 क्वि टं ल प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन मेंवद्ृधि हुई है।
लगभग 48.53 प्रति शत आय मेंवद्ृधि देखी गई और भगू र्भ जल स्तर में1.42 मीटर की वद्ृधि परि लक्षि त हुई।
जविैविक क्लस्टर को बढ़ावा देनेकी नीति के अतं र्गतर्ग , वर्ष 2021-22 तक 4784 क्लस्टरों (95,680 हेक्टेयर) से
1.75 लाख कि सानों को जोड़ा गया है। इनमे, नमामि गगं ेयोजना के तहत 3309 क्लस्टर, पीकेवीवाई में1195
क्लस्टर व हमीरपरु जविैविक खेती योजना में280 क्लस्टर हैं। इनमेयोजना के अतं र्गतर्ग भमिूमि का क्षेत्रफल लगभग
95,680 हेक्टेयर है। इस नीति मेंतीन-वर्षी य कार्यक्रर्य म के अतं र्गतर्ग , एक क्लस्टर मेंलगभग 50 कि सान जोड़ेजाते
हैं, और प्रति क्लस्टर तीन वि त्तीय वर्ष हेतुरु 10 लाख का प्रावधान है।
आगामी 100 दि नों की कार्ययर्य ोजना के अतं र्गतर्ग , केंद्र द्वारा सवं र्धि तर्धि मि शन प्राकृति क खेती के अतं र्गतर्ग भारतीय
प्राकृति क कृषि पद्धति योजना को प्रदेश के 35 जनपदों मेंलागूकि या जाएगा, जि सके लि ए वि कास खडं स्तर पर
500 से1000 हेक्टेयर क्षेत्रफल के क्लस्टर का गठन होगा। यह योजना खरीफ 2022 सेशरूु की जाएगी और इस
पर रु० 82.83 करोड़ (केंद्र पोषि त) खर्च कि येजाएंगे। बदंुेलखडं के समस्त जनपदों मेंगौ आधारि त प्राकृति क खेती
का क्रि यान्वयन भी तजे कि या जाना का लक्ष्य रखा गया है, और मई माह मेंराज्य-स्तरीय प्रशि क्षण कार्यशर्य ाला का
आयोजन कि या जाएगा।
पराली प्रबधं न मेंयपू ी का उल्लेखनीय कार्य
पराली प्रबधं न के क्षेत्र मेंभी उत्तर प्रदेश मेंउल्लेखनीय काम कि या गया है। कि सानों को इससेराहत देनेके लि ए
सरकार नेकई कदम उठाये।
पि छलेपाँच वर्षों मेंप्रति लाख हेक्टेयर धान क्षेत्रफल मेंपराली जलानेकी औसत घटनाओंकी सख्ं या उत्तर प्रदेश में
मात्र 71, व उप्र/एनसीआर क्षेत्र में132 दर्ज की गईं। इसके अपेक्षा, पजं ाब मेंयह सख्ं या 2264 व हरि याणा में452
दर्ज की गई थी। उत्तर प्रदेश मेंपराली को गौशालाओं मेंचारेके रूप मेंआपर्तिूर्ति कि येजानेहेतु”पराली दो, खाद लो
अभि यान” भी सफलतापर्वूकर्व चलाया जा रहा है।
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