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Editorial: नफरत के मास्टरमाइंड पर शिकंजा कसना आवश्यक

2-4-2022

जाकिर नाइक एक कट्टरपंथी इस्लामी उपदेशक है, जो वर्तमान में विभिन्न देशों द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के बाद मलेशिया में छिपा हुआ है, क्योंकि भारत इस आतंकवादी को प्रत्यर्पित करना चाहता है। कट्टरपंथी इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक ने अपने नफरत भरे भाषणों के माध्यम से दुनिया भर में काफी तबाही मचाई है 7 इसका उद्देश्य मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाना है।नाइक अपने संदेश को फैलाने के लिए सोशल मीडिया की शक्ति का लाभ उठाता है।आपको बतादें कि नवंबर 2021 में इसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करते हुए, सरकार ने इसकी संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को एक गैरकानूनी संघ घोषित किया था।
फाउंडेशन के माध्यम से वीडियो संदेशों के द्वारा हिंदुओं के खिलाफ नफरत फैलाने के लगातार प्रयास के लिए आईआरएफ पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। देश से भागने के बाद भी जाकिर नाइक सोशल मीडिया और वीडियो पोस्ट के माध्यम से धार्मिक समुदायों के बीच घृणा और द्वेष को बढ़ावा देता रहा। उसने अपने अनुयायियों को युवाओं को इस्लाम में जबरदस्ती धर्मांतरण कराने का उपदेश दिया और हिंदुओं और अन्य धर्मों के खिलाफ कई अपमानजनक बयान दिए। फाउंडेशन पर प्रतिबंध लगाने के लिए, सरकार ने तर्क दिया कि जाकिर नाइक और उसके अनुयायी भारत में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं। वे हिंसा भड़का रहे थे, और घोषणा कर रहे थे, कि हर मुसलमान को आतंकवादी होना चाहिए। यहां तक कि वे आत्मघाती बम विस्फोट को सही ठहरा रहे थे, और युवाओं से हिंदुओं के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट करने के लिए कह रहे थे।
ट्रिब्यूनल ने जाकिर नाइक पर मुकदमा चलाने का रास्ता साफ करते हुए उसे नफरत का मास्टरमाइंड करार दिया है। ट्रिब्यूनल का आदेश एक तरह से उसकी आतंकी गतिविधियों में शामिल होने की मंजूरी को स्वीकारता है। क्योंकि आईआरएफ के गठन को मौलिक अधिकार कहने के उनके तर्क को न्यायाधीश ने फटकार लगाई थी।एसोसिएशन बनाने का मौलिक अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (सी) के तहत अंकित है। लेकिन अनुच्छेद 19 की धारा 4 में यह शर्त है, कि अनुच्छेद के तहत गठित कोई भी संघ भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ नहीं होना चाहिए। हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक नफरत और आतंकवाद का गुणगान करना निश्चित रूप से देश की अखंडता को तोडऩे का कार्य है। इसके अलावा, वह और उसका संगठन आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं,और राज्य के खिलाफ हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं।
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टेरर फन्डिंग में भी शामिल है ढ्ढक्रस्न

वित्तीय अपराधों का भंडाफोड़ करने वाली सुरक्षा एजेंसियों ने अदालत में कहा कि, वह अक्सर अपने इस्लामी प्रचार प्रसार के लिए धन जुटाने के लिए खाड़ी देशों की यात्रा करता है। आईआरएफ को 2003 से 2017 तक इन देशों से लगभग 64.86 करोड़ का चंदा मिला है। वह उन पैसों का इस्तेमाल मुस्लिम युवाओं को छात्रवृत्ति देने और जबरन धर्मांतरण और लोगों को कट्टरपंथी बनाने के उनके इस्लामी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए करता था।

दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीएन पटेल ने अपने आदेश में कहा कि “आईआरएफ ऐसी गतिविधियों में शामिल है, जो न केवल युवाओं को संप्रभुता, एकता, अखंडता को खतरे में डालने के इरादे से गैरकानूनी गतिविधियों को करने के लिए उकसाती और प्रोत्साहित करती है, बल्कि भारत की सुरक्षा के साथ-साथ भारत के प्रति नफरत भी पैदा करता है।

आपको बतादें कि जाकिर नाइक पीस टीवी और पीस टीवी उर्दू नाम से दो टेलीविजन स्टेशन चलाता हैं। दोनों चैनल कई देशों में प्रतिबंधित हैं। यह भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, कनाडा और यूनाइटेड किंगडम में प्रतिबंधित है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने धार्मिक उपदेशक के खिलाफ जांच शुरू करने से ठीक पहले 2016 में जाकिर नाइक मलेशिया भाग गया था, और अब वहीं से दुनिया भर में नफरत के बीज़ बोता है।