प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं तो उनका उद्देश्य सिर्फ बाजार की आत्मनिर्भरता नहीं होता, बल्कि वे आम कुम्हार से लेकर किसान तक, गांवों से लेकर आकांक्षी जिलों तक, विमानन से लेकर रक्षा क्षेत्र तक में चौतरफा आत्मनिर्भरता का विजन देते हैं। पीएम मोदी के विजन पर ही चलते हुए भारत ने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का निर्माण शुरू किया है। अपनी हवाई क्षमता में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि के लिए भारत उन्नत सुविधाओं के साथ पांचवीं पीढ़ी के मध्यम वजन वाले लड़ाकू जेट विकसित करने की परियोजना पर काम कर रहा है।
मोदी सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के महत्व को समझते हुए अहम निर्णय लिए हैं। इसके साथ ही हथियार व उपकरण हासिल करने में जवानों के गौरव और उनकी भावना को ध्यान में रखने की जरूरत है। यह तभी संभव होगा, जब हम इन क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनेंगे। पिछले दिनों पीएम मोदी ने एक वेबिनार में कहा कि देश में ही रक्षा अनुसंधान, डिजाइन और विकास से लेकर उत्पादन का जीवंत इको-सिस्टम विकसित करने का ब्लू प्रिंट है। इसीलिए रक्षा बजट के लगभग 70 फीसदी हिस्से को केवल स्वदेशी रक्षा उद्योग के लिए रखा गया है।
वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में हो रहे बदलावों के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने का विजन बताते रहे हैं। इसके जरिये कैसे हमारी रक्षा प्रणाली में विशिष्टता और अनोखापन लाया जा सकता है। यदि दस देशों के पास एक ही तरह की रक्षा प्रणाली और उपकरण होंगे तो सेनाओं की अपनी विशिष्टता नहीं होगी। देश में रक्षा उत्पादन की तस्वीर बदलने और सुरक्षा के मूल सिद्धांत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जरूरी है कि रक्षा उपकरणों को देश में ही विकसित किया जाए।
रक्षा मंत्रालय ने लड़ाकू विमान के डिजाइन और डेवलपमेंट की प्रक्रिया शुरू की, पीएम मोदी के रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता के इसी विजन पर चलते हुए रक्षा मंत्रालय ने उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) के डिजाइन और प्रोटोटाइप डेवलपमेंट के लिए प्रधानमंत्री की अगुआई वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति (सीसीएस) से मंजूरी लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अब तक अमेरिका और रूस जैसे देशों के पास ही है पांचवी पीढ़ी के इस तरह के फाइटर जेट बनाने की सुविधा है।
परियोजना पर प्रारंभिक खर्च 1500 करोड़ रुपये का अनुमान, रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने परियोजना के बारे में बताया कि अपनी हवाई क्षमता में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि के लिए भारत उन्नत सुविधाओं के साथ पांचवीं पीढ़ी के मध्यम वजन वाले लड़ाकू जेट विकसित करने की परियोजना पर काम कर रहा है। परियोजना पर प्रारंभिक अनुमानित खर्च 1500 करोड़ रुपये है। विश्व में अभी अमेरिका, रूस और चीन जैसे कुछ चुने हुए देशों के पास ही पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमान हैं।
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