ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
जालंधर, 22 फरवरी
दिल्ली की सीमा पर विरोध प्रदर्शन में जान गंवाने वाले 733 किसानों की जिंदगी आज यहां जारी हुई ‘किसाननामा’ नामक किताब में दर्ज है।
इस किताब को ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले एनआरआई हरकीरत सिंह संधर ने लिखा है। पुस्तक में 5 जून, 2020 को तीन कृषि कानूनों को अधिसूचित किए जाने के समय से लेकर 11 दिसंबर, 2021 को उनकी वापसी तक की विस्तृत रिपोर्ट है। किसानों को अपने विरोध के 378 दिनों तक जिन समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसमें हरियाणा के माध्यम से प्रवेश भी शामिल है, चरम मौसम की स्थिति, आदि, पुस्तक में एक उल्लेख पाते हैं।
संधर ने लिखा है कि किसान आंदोलन का असर सिर्फ देश भर में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी देखा गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने किताब लिखने के बारे में सोचा ताकि घटनाओं का रिकॉर्ड इतिहास का हिस्सा बन जाए और आने वाली पीढ़ियां विस्तार से जान सकें कि इस सबसे बड़े किसान संघर्ष के दौरान क्या हुआ था। उन्होंने कहा कि पुस्तक में महिला किसानों, युवाओं, बुजुर्गों, लेखकों, कलाकारों, कवियों, गायकों, पत्रकारों आदि की भूमिका का भी उल्लेख किया गया है। यहां तक कि रेड क्रॉस किले से संबंधित घटनाएं और लखीमपुर खीरी में हत्याएं और उनका प्रभाव भी किताब में अलग-अलग कहानियों का एक हिस्सा है।
किसान आंदोलन में 80,000 तस्वीरें लेने वाले लेंसमैन जगदेव एस तप का इस पुस्तक में विशेष उल्लेख मिलता है। पुस्तक विमोचन समारोह में दोआबा किसान समिति के अध्यक्ष जंगवीर चौहान, गन्ना संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुखपाल एस सहोता और पंजाब जागृति मंच के महासचिव दीपक बाली उपस्थित थे।
#किसानों का विरोध #लखीमपुर खीरी
More Stories
मंदिर जा रही 50 साल की महिला के साथ कंकाल, पत्थर से कुचलकर हत्या, शव जंगली कंकाल नोचा
रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव: रायपुर दक्षिण विधानसभा का चुनावी मैदान, वार्डों और बूथों से निकलेगी किले की चाबी
दीवाली की प्रतियोगिता से उजाड़ दिया गया श्रमिक का परिवार, औद्योगिक पुल के नुकसान में नारियल की बाइक सवार, 1 की मौत