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AMU में निकला जिन्ना का 'जिन्न, सांसद ने पूछा क्या है तस्वीर लगाने की मजबूरी

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर का जिन्न फिर सामने आ गया है। स्थानीय भाजपा सांसद व एएमयू कोर्ट मेंबर सतीश गौतम ने जिन्ना की तस्वीर को लेकर कुलपति प्रो. तारिक मंसूर को पत्र लिखा है। पूछा है कि किन कारणों से जिन्ना की तस्वीर किन-किन जगहों पर लगी हुई है। सवाल किया है कि जिन्ना भारत व पाकिस्तान के बंटवारे के मुख्य सूत्रधार थे और इस समय भी पाकिस्तान गैरजरूरी हरकतें कर रहा है। ऐसे में जिन्ना की तस्वीर एएमयू में लगाना कितना तार्किक है?
जिन्ना की तस्वीर एएमयू के स्टूडेंट यूनियन हॉल में लगी हुई है। इस बात को लेकर सबसे पहले हंगामा एक आरटीआइ को लेकर खड़ा हुआ था। जिसमें पूछा गया था कि जिन्ना की तस्वीर कहां लगी हुई? इंतजामिया जवाब भी नहीं दे सकी थी। जिन्ना की तस्वीर यूनियन हॉल के ऊपरी हॉल में लगी हुई है। यहां करीब 30 से अधिक ऐसे लोगों की तस्वीरें लगी हुई हैं, जिन्हें यूनियन की सदस्यता दी गई है। जिन्ना एएमयू में बंटवारे से पहले 1938 में आए थे, तभी उन्हें यूनियन की सदस्यता दी गई थी। यूनियन ने सबसे पहले सदस्यता गांधीजी को 1920 में दी थी।
यूनिवर्सिटी का छात्रसंघ व टीचर्स एसोसिएशन के फैसलों से सीधा मतलब नहीं होता है। वो किसे बुलाकर सम्मान देते हैं, इसका यूनिवर्सिटी से मतलब नहीं होता है। जिन्ना को बंटवारे से पहले 1938 में सदस्यता दी गई थी, इसके चलते ही उनकी तस्वीर यूनियन हॉल में लगी है। सांसद का पत्र अभी नहीं मिला है।
प्रो. साफे किदवई, मेंबर इंचार्ज, जनसंपर्क विभाग एएमयू
सांसद में हिम्मत थी तो कुलपति को पत्र लिखने की बजाय यूनियन अध्यक्ष को लिखते। जिन्ना को बंटवारे से पहले यूनियन की सदस्यता दी गई थी, उस समय के वो हीरा थे। हम इतिहास को संजोकर रखते हैं। आरएसएस की तरह छेड़छाड़ नहीं करते।
मशकूर अहमद उस्मानी, एएमयू छात्रसंघ अध्यक्ष
अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)। संवेदनशील मुद्दों को लेकर कुछ भगवा संगठनों के निशाने पर आई अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने आज साफ किया कि विश्वविद्यालय किसी भी सरकारी एजेंसी के दबाव में नहीं है और विश्वविद्यालय राजनीतिक दलों को परिसर में सीधे हस्तक्षेप की इजाजत किसी भी हालत में नहीं देगा।विश्वविद्यालय के प्रवक्ता प्रोफेसर शाफे किदवाई ने बताया कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों को पिछले चार दिन में दो अलग-अलग लोगों की ओर से दो विवादास्पद मुद्दों पर पत्र मिले हैं।पिछले सप्ताह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (अमुविवि) के कुलपति तारिक मंसूर को राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के कार्यकर्ता मो आमिर रशीद ने पत्र लिखकर संघ की शाखा विश्वविद्यालय परिसर में लगाने की इजाजत मांगी थी।
इसी तरह कल भाजपा के लोकसभा सांसद सतीश गौतम ने विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र लिखकर पूछा कि अमुविवि के छात्रसंघ भवन में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर क्यों लगाई गयी है? हालांकि सांसद का पत्र कुलपति कार्यालय को अभी तक नहीं मिला है लेकिन सांसद गौतम ने इस पत्र के बारे में स्वयं मीडिया को जानकारी दी है।राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की शाखा के मुद्दे पर प्रवक्ता प्रो किदवाई ने कहा कि वि?श्वविद्यालय किसी भी राजनीतिक दल या संगठन के कैम्प या शाखा को परिसर में लगाये जाने के प्रस्ताव की इजाजत नहीं देगा।उन्होंने कहा कि वि?श्वविद्यालय, एएमयू स्टाफ एसोशिएशन, एएमयू छात्र संघ समय समय पर अलग अलग कार्यक्रमों में राजनीतिक नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को अकसर आमंत्रित करते रहते हैं।प्रवक्ता ने कहा अमुविवि किसी भी राजनीतिक दल को परिसर में सीधे हस्तक्षेप की इजाजत किसी भी हालत में नहीं देगा।
भाजपा के लोकसभा सांसद सतीश गौतम के मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगाये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अमुविवि की बहुत पुरानी परम्परा है कि वह प्रमुख राजनीतिक, सामाजिक और शिक्षा के क्षेत्र की महान शख्सियतों को आजीवन सदस्यता देता है। रिकार्ड के अनुसार पहली आजीवन सदस्यता महात्मा गांधी को 29 अक्टूबर 1920 को दी गयी थी।आजीवन सदस्यता पाने वाली महान हस्तियों की सूची में सी राजगोपाल चारी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरोजिनी नायडू, डा सीवी रमन, प्रसिद्ध ब्रिटिश लेखक इ. एम. फोरस्टर शामिल हैं।उन्होंने बताया कि जिन्ना को भी अमुविवि छात्र संघ की आजीवन सदस्यता 1938 में दी गयी थी। जिन्ना वि?श्वविद्यालय कोर्ट के संस्थापक सदस्य थे और उन्होंने दान भी दिया था। उन्हें सदस्यता उस समय दी गयी थी जब मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की मांग नहीं उठायी थी।
उन्होंने कहा कि सभी आजीवन सदस्यता वाली हस्तियों की फोटो छात्र संघ में लगायी जाती थी। आजादी के बाद भी किसी भी प्रमुख हस्ती महात्मा गांधी, मौलाना आजाद, डा राधा कृष्णन, राजगोपाल चारी, डा राजेंद्र प्रसाद और पंडित नेहरू ने कभी भी इस मुद्दे को नहीं उठाया।प्रवक्ता ने कहा कि यह फोटोग्राफ अविभाजित भारत की विरासत की बहुमूल्य निशानी है और किसी ने कभी इस मुद्दे को ना तो उठाया और ना ही विरोध जताया। उन्होंने कहा कि अमुविवि छात्रसंघ एक स्वतंत्र इकाई है और इसे वि?श्वविद्यालय के संविधान के दायरे में कुछ स्वायत्तता मिली हुई है। कोई भी कुलपति या गर्वनिंग बाडी इसमें दखल नहीं देता है। हालांकि छात्रसंघ के कई मुद्दों पर हमारी राय अलग होती है लेकिन हम कोशिश करते हैं कि उनके मामलों में अमुविवि प्रशासन द्वारा दखल अंदाजी ना की जाये।