‘यह भी संभव है कि ड्राइवर ने बचने के लिए गाड़ी भगाई और घटना हो गई हो…’ लखीमपुर हिंसा पर HC ने कही ये बात – Lok Shakti

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‘यह भी संभव है कि ड्राइवर ने बचने के लिए गाड़ी भगाई और घटना हो गई हो…’ लखीमपुर हिंसा पर HC ने कही ये बात

लखनऊ: लखीमपुर खीरी हिंसा (lakhimpur violence) के आरोपी आशीष मिश्र (ashish mishra) को हाई कोर्ट ने करीब 4 महीने बाद जमानत दे दी है। आशीष मिश्र केंद्रीय गृह मंत्री अजय मिश्र टेनी (ajay mishra teni) के बेटे हैं। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने खीरी जिला प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा कि राजनीतिक फायदे के लिए कुछ लोगों ने बिना अनुमति के बेगुनाह लोगों को विरोध-प्रदर्शन के लिए बुला लिया, जबकि धारा-144 पहले लागू थी। हजारों लोग दूसरे जिलों और यहां तक कि दूसरे राज्यों से बुलाए गए। यह बात जिला प्रशासन को अच्छी तरह पता थी। इसके बावजूद उन्हें रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया न ही विरोध-प्रदर्शन आयोजित करने वालों पर कोई कार्रवाई की गई। कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि इस प्रकार के जमावड़े और प्रदर्शन के लिए उचित दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।

‘थार गाड़ी में बैठे तीन लोगों की हत्या को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता’
कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी भी की है कि कि अगर अभियोजन की पूरी कहानी को स्वीकार किया जाए तो स्पष्ट है कि घटनास्थल पर हजारों प्रदर्शनकारी मौजूद थे। ऐसे में यह भी संभव है कि कि ड्राइवर ने बचने के लिए गाड़ी भगाई हो और यह घटना घटित हो गई हो। याची की ओर से दलील भी दी गई थी कि प्रदर्शनकारियों में कई लोग तलवारें और लाठियां लेकर जमा थे। बहस के दौरान यह भी कहा गया था कि ऐसा कोई भी साक्ष्य एसआईटी ने नहीं संकलित किया है, जिससे यह साबित हो सके कि आशीष मिश्रा ने किसी को गाड़ी चढ़ाने के लिए उकसाया हो। कोर्ट ने आगे कहा कि थार गाड़ी में बैठे तीन लोगों की हत्या को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता। केस डायरी के साथ मौजूद फोटोग्राफ्स से पता चलता है कि ड्राइवर हरिओम मिश्रा, शुभम मिश्रा और श्याम सुंदर की हत्या प्रदर्शकारियों ने कितनी निर्दयता से की है।

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हाई कोर्ट ने लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कांड में आरोपी बनाए गए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की जमानत याचिका को मंजूर कर लिया है। कोर्ट ने उसे पसर्नल बॉन्ड और दो जमानत पत्र दाखिल करने पर रिहा करने का आदेश दिया है। यह आदेश जस्टिस राजीव सिंह की सिंगल बेंच ने गुरुवार को पारित किया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि एफआईआर में आरोप है कि तीन अक्टूबर, 2021 को हुई घटना में गृह राज्यमंत्री का बेटा आशीष मिश्रा गाड़ी की बाईं सीट पर बैठा गोली चला रहा था व उसकी गोली से ही गुरविंदर सिंह नाम के एक शख्स की मृत्यु भी हुई। जबकि मृतकों या घटनास्थल पर मौजूद किसी भी व्यक्ति को गोली की चोट नहीं आई है। घटना में पांच लोगों की मृत्यु और 13 लोग घायल हुए हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों के बयान का भी जिक्र किया है।

‘इस प्रकार के प्रदर्शन के लिए निर्देश जारी किया करें मुख्‍य सचिव’
इस घटना की जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस राकेश कुमार जैन की मॉनीटरिंग में हुई है। वहीं जांच को महाराष्ट्र के एडीजी इंटेलिजेंस एस बी शिरडकर ने आईपीएस अधिकारियों डॉ. प्रीतिंदर सिंह व पद्मजा चौहान के सुपरवाइज किया है। वहीं कोर्ट ने खीरी जिला प्रशासन की भी आलोचना की है। कोर्ट ने कहा कि बिना अनुमति के कुछ लोगों ने राजनीतिक फायदे के लिए बेगुनाह लोगों को विरोध प्रदर्शन के लिए बुला लिया जबकि सीआरपीसी की धारा 144 पहले से लागू थी। हजारों लोगों को दूसरे जिलों और यहां तक कि दूसरे राज्यों से बुलाया गया और यह बात जिला प्रशासन को अच्छी तरह पता थी बावजूद इसके उसने इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए और न ही आयोजनकर्ताओं पर कोई कार्रवाई की। कोर्ट ने मुख्य सचिव को भी आदेश दिया है कि इस प्रकार के जमावड़े और प्रदर्शन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।

एसआईटी ने आशीष समेत 14 के खिलाफ दाखिल की थी चार्जशीट
9 अक्टूबर 2020 को हुए तिकुनिया कांड में जांच के बाद एसआईटी ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी के बेटे आशीष और चचेरे साले वीरेन्द्र शुक्ला समेत 14 आरोपियों के खिलाफ तीन जनवरी 2022 को चार्जशीट दाखिल की थी। 5000 पन्नों की चार्जशीट में आशीष उर्फ मोनू, अंकित दास, सत्यम त्रिपाठी, नंदन सिंह बिष्ट, लतीफ उर्फ काले, लवकुश, आशीष पांडे, शेखर भारती, सुमित जायसवाल मोदी, शिशुपाल, रिंकू राना, धर्मेंद्र बंजारा, उल्लास त्रिवेदी पर आईपीसी की धारा 147,148, 149, 307, 326, 302, 120 बी, 427 , 34, 177 मोटर व्हीकल एक्ट के तहत आरोप पत्र दाखिल हुआ था। इसके साथ ही सुमित जायसवाल पर 3/25 आर्म्स एक्ट, आशीष मिश्रा मोनू, अंकित दास, लतीफ उर्फ काले, सत्यम त्रिपाठी पर 30 आर्म्स एक्ट व नंदन सिंह पर धारा 5/27 के तहत अलग से आरोप लगे थे। वहीं मंत्री के रिश्तेदार वीरेंद्र शुक्ल पर आईपीसी साक्ष्य छिपाने के आरोप के तहत आईपीसी की धारा 201 में चार्जशीट दाखिल की गई थी।