मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि प्रदेश में बहन-बेटियों व महिलाओं की सुरक्षा और उनको सम्मान दिलाना हमारी सरकार की प्राथमिकता है। यह हमारे वचन पत्र का प्रमुख बिंदु है। हालांकि कमलनाथ ने ये भी माना है कि पिछले कई वर्षों से मध्य प्रदेश महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों से बदनाम हुआ है और देशभर में शीर्ष राज्यों में शामिल रहा है लेकिन हम इस दाग को धोने का निरंतर प्रयास कर रहे है। बुधवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सिलसिलेवार 5 ट्वीट करके महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को लेकर चिंता जताई है।
मंगलवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह ने कमलनाथ के महू की घटना को निंदनीय बताने वाले बयान पर कहा था कि सरकार बयानबाजी बंद कर कार्रवाई करे। इस पर कमलनाथ ने कहा कि हम नारों, घोषणाओं, दिखावटी अभियानों और नामों में विश्वास नहीं करते हैं। महिलाओं, बहन-बेटियों के साथ होने वाले अपराधों को लेकर हमारी सरकार गंभीर है। ऐसे अपराध और उसके अपराधिओं को कड़ी सजा दिलाने के लिए कटिबद्ध है।
बहन-बेटियों की सुरक्षा में कोताही नहीं बरती जाए
पूरे प्रदेश में पुलिस प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि महिलाओं और बहन-बेटियों की सुरक्षा में कोताही न बरती जाए। ऐसी घटनाएं और उसे लेकर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। महिलाओं को कार्यस्थलों के आसपास समुचित सुरक्षा के प्रबंध किए जाएं। इस तरह की शिकायतों पर फौरन कार्रवाई हो। बहन-बेटियों से संवाद भी किया जाएगा।
फांसी देने का कानून बनाया, लेकिन प्रक्रिया बहुत लंबी
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा है कि बलात्कारी सज़ा पाकर जेल जाते हैं, जेल से छूटकर फिर बलात्कार करते हैं। ऐसे लोगों को ज़िंदा रहने का हक़ नहीं है इसलिए हमने मासूम बेटियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को फांसी देने का कानून बनाया था लेकिन प्रक्रिया इतनी लंबी है कि सख्त कानून भी बेअसर हो जाता है।
इधर, भोपाल की पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश रेनू शर्मा ने कहा कि दुष्कर्म के दोषी फांसी देने का कानून बनने के बाद मध्य प्रदेश में दो सालों में 26 बलात्कारियों को फंसी की सजा सुनायी है परंतु फांसी पर चढ़ा कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि अयोध्या केस के मामले की रोज सुनवाई अदालत कर सकती है तो रेप के मामलों की सुनवाई क्यों नहीं हो सकती है।
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