लखनऊ/ देहरादून: पांच राज्यों के चुनावों के बीच अचानक दो राजनीतिक परिवारों की बहुएं चर्चा में आ गई हैं। यूपी में मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा बिष्ट यादव को जब उनके अपने घर की पार्टी से टिकट मिलने की कोई उम्मीद नहीं दिखी तो उन्होंने बीजेपी का रुख किया। उधर उत्तराखंड में धामी सरकार में मंत्री रहे हरक सिंह रावत की बीजेपी से विदाई का सबब भी बहू अनुकृति गुसाईं के लिए टिकट की चाहत ही बना। दोनों बहुओं के बारे में बता रहे हैं आनंद त्रिपाठी और महेश पांडेय।
शास्त्रीय संगीत में पारंगत हैं अपर्णा
लखनऊ के लोरैटो कॉन्वेंट से स्कूली शिक्षा ग्रहण करने वाली अपर्णा की दिलचस्पी शुरू से राजनीति में रही है। अपर्णा ने पॉलिटिकल साइंस, मॉडर्न हिस्ट्री और इंग्लिश में ग्रेजुएशन करने के बाद ब्रिटेन की मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी से इंटरनैशनल रिलेशन एंड पॉलिटिक्स में मास्टर डिग्री हासिल की। राजनीति में उनकी दिलचस्पी के पीछे एक बड़ा कारण मुलायम परिवार की बहू होने के साथ-साथ उनका मायका भी रहा। जहां उन्होंने यूपी की राजनीति को बेहद करीब से देखा। अपर्णा के पिता पत्रकार हैं। अपर्णा ने 2017 में राजनीति में एंट्री की, समाजवादी पार्टी के टिकट पर लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। तब वह बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी से हार गई थीं।
अपर्णा के जेठ अखिलेश यादव भले ही सीएम योगी पर हमलावर रहते हों, मगर अपर्णा कई मंचों से सीएम योगी के काम की तारीफ कर चुकी हैं। वह खुद सीएम योगी को अपना बड़ा भाई बताती हैं। 19 मार्च 2017 में जब योगी मुख्यमंत्री बने तो अपर्णा अपने पति प्रतीक के साथ उन्हें बधाई देने के लिए पहुंचने वालों में सबसे आगे थीं। वह अपने पति प्रतीक यादव के साथ गोरक्षपीठ के दर्शन के लिए भी गई थीं। जब अपर्णा योगी से मिलीं और उन्हें बताया कि उनका एनजीओ गौशाला चलाता है तो सीएम योगी बहुत खुश हुए। अपर्णा ने उनसे आग्रह किया तो योगी खुद उनके साथ लखनऊ के सरोजनी नगर स्थित कान्हा उपवन में गौशाला देखने भी गए।
अपर्णा शास्त्रीय संगीत में भी पारंगत हैं। कई सार्वजनिक मंचों पर वह गायन के कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुकी हैं। वह खुद कहती हैं कि बचपन से ही उन्हें संगीत पसंद था। इसी वजह से उन्होंने भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय से 9 साल तक शास्त्रीय संगीत की शिक्षा हासिल की थी। खासतौर पर वह ठुमरी गायन में निपुण हैं और आज भी इसके लिए वक्त निकाल कर रियाज करती रहती हैं। अपर्णा यादव मुलायम के छोटे बेटे प्रतीक को स्कूल के दिनों से जानती हैं। एक पार्टी में उनकी मुलाकात हुई थी और फिर दोस्ती हो गई। अपर्णा बताती हैं कि वह तब यह नहीं जानती थीं कि प्रतीक मुख्यमंत्री (तत्कालीन) मुलायम सिंह यादव के बेटे हैं। अपर्णा और प्रतीक की शादी दिसंबर 2011 में हुई। दोनों की एक बेटी है, जिसका नाम प्रथमा है।
ग्लैमर की दुनिया से आई हैं अनुकृति
मॉडलिंग की ग्लैमर भरी जिंदगी को छोड़ अब अनुकृति गुसाईं रावत उत्तराखंड में कांग्रेस की सियासत का हिस्सा बन गई हैं। अनुकृति गुसाईं रावत ने साल 2013 में मिस इंडिया दिल्ली का खिताब जीता था। 2013 में ब्राइड ऑफ द वर्ल्ड इंडिया का खिताब भी अपने नाम कर चुकी हैं। उन्होंने 2014 में मिस इंडिया पैसिफिक वर्ल्ड और साल 2017 में मिस इंडिया ग्रैंड इंटरनैशनल में भारत का प्रतिनिधित्व किया। वियतनाम में मिस ग्रैंड इंटरनैशनल 2017 में वह भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए टॉप में छह में जगह बनाने में कामयाब हुई थीं।।अब वह मॉडलिंग की दुनिया की ही तरह सियासत में भी छा जाना चाहती हैं। 25 मार्च 1994 को उत्तराखंड के गढ़वाल में जन्मी अनुकृति गुसाईं रावत की प्रारंभिक शिक्षा आर्मी पब्लिक स्कूल क्लास, लैंसडौन में हुई। बाद में बीटेक देहरादून इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नलॉजी से किया। शिक्षा पूरी करके वह मुंबई चली गई। अनुकृति तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी हैं। उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योगदान के लिए महात्मा गांधी सम्मान और अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए उत्तराखंड फिल्म अकादमी से अवॉर्ड भी मिल चुका है।
अनुकृति गुसाईं की हरक सिंह और दीप्ति रावत के बेटे तुषित रावत के साथ 2018 में शादी हुई थी। उनके पति तुषित शंकरपुर स्थित दून इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में बतौर एमडी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। वह फेमस मॉडल भी रहे हैं। अनुकृति हरक सिंह रावत की राजनीतिक वारिस बनना चाहती हैं। फिलहाल वह महिला उत्थान समिति का संचालन करती हैं। वह देहरादून के हरिद्वार बाईपास में येलो हिल्स रेस्ट्रॉन्ट भी चलाती हैं। अब कांग्रेस की विधिवत सदस्यता लेने के बाद अनुकृति की तैयारी चुनावी मैदान में उतरने की है।
अनुकृति को अपनी राजनैतिक विरासत सौंपने के उद्देश्य से हरक सिंह रावत ने पिछले कुछ समय से राजनीतिक बिसात बिछानी शुरू की। इस कारण एक बार तो उनका पूरा राजनीतिक करियर ही दांव पर लगा नजर आने लगा जब उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया था। लेकिन कांग्रेस में मिले प्रवेश से उनको एक बार फिर संजीवनी मिल गई है। इसके बाद उनको अपनी बहू अनुकृति की राजनीतिक पारी शुरू कराने का एक और मौका मिला है। अब अनुकृति के सामने अपने आपको साबित करने की चुनौती रहेगी।
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