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उत्तर प्रदेश में 10 फरवरी से सात चरणों में चुनाव होने हैं। इससे पहले राजनीतिक उठापठक तेज हो गई है। चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। नेताओं के दल बदलने का सिलसिला भी जारी है। ऐसे में क्या है उत्तर प्रदेश की राजनीतिक हलचल? एक क्लिक में पढ़िए उत्तर प्रदेश चुनाव से जुड़ी सारी खबरें…
1. पिछली बार इन सीटों पर जीत और हार का अंतर पांच हजार से भी कम मतों का था
44 सीटों पर हार-जीत पांच हजार से कम मतों से हुई। 11 सीटों पर हार-जीत के अंतर से कई गुना ज्यादा थे नोटा के वोट। 4057 वोटों से जीते डॉ. धर्म सिंह सैनी राज्यमंत्री बनाए गए। 3546 मतों से जीते धर्मपाल सिंह भी शुुरुआती सवा दो साल कैबिनेट मंत्री रहे। 1473 मतों से जीते राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती भी कैबिनेट मंत्री बने। पढ़ें पूरी खबर…
2. आगरा जिले में 102 मुस्लिमों ने लड़ा चुनाव
आगरा जिले में 1952 से लेकर अब तक 70 वर्षों में हुए 17 विधानसभा चुनावों में आगरा से केवल दो मुस्लिम विधायक ही चुनाव जीत सके हैं। हालांकि विधानसभा चुनाव लड़कर लखनऊ विधानसभा पहुंचने का ख्वाब तो 102 मुस्लिम उम्मीदवारों ने संजोया था, लेकिन इनमें से 100 के सपने चकनाचूर हो गए, जबकि केवल दो ही विधायक बन सके। पढ़ें पूरी खबर…
3. यूपी के रण में कूदीं महबूबा मुफ्ती
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भाजपा पर हमला बोला है। कहा कि यूपी में भाजपा से छुटकारा 1947 की तुलना में बड़ी आजादी होगी। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं इसलिए भाजपा औरंगजेब और बाबर को याद कर रही है। पढ़ें पूरी खबर…
4. इस बार बदल गए मीरापुर विधानसभा के समीकरण
मुजफ्फरनगर जिले के सबसे बड़े धर्म क्षेत्र शुकतीर्थ और संभलहेड़ा सिद्ध पीठ वाली सीट मीरापुर के समीकरण दिलचस्प हो गए हैं। जानसठ सुरक्षित सीट का हिस्सा मीरापुर में मिलाए जाने के बाद यहां गुर्जर, अनुसूचित जाति और मुस्लिम समीकरण प्रभावी है। एक तरफ उत्तराखंड और दूसरी तरफ बिजनौर से यह सीट लगी हुई है। पढ़ें पूरी खबर…
5. चुनाव में प्रशासन की किरकिरी न करा दे बीएलओ की लापरवाही
मतदाता सूची के पुनरीक्षण अभियान में बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की लापरवाही, चुनाव में प्रशासन की किरकिरी करा सकता है। जिले के तमाम वोटरों के नाम ही मतदाता सूची से काट दिए गए हैं। अब ये मतदाता बीएलओ, तहसील और कलेक्ट्रेट स्थित जिला निर्वाचन कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। हालांकि, पुनरीक्षण अभियान के दौरान प्रशासन ने सभी मतदाताओं से अपील की थी कि वे वोटर लिस्ट में अपने नाम जांच ले। नाम न होने या फिर किसी भी तरह की त्रुटि होने पर उसे दुरुस्त करने के लिए आवेदन कर दें। पढ़ें पूरी खबर…
6. यहां होगा रोमांचक मुकाबला
मेरठ जनपद की सबसे बड़ी विधानसभा सीट पर इस बार भी रोमांचक मुकाबला होगा। हालांकि इस सीट पर अभी कांग्रेस और गठबंधन ने अपना-अपना प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा है। पढ़िए इस सीट का इतिहास क्या है। पढ़ें पूरी खबर…
7. भाजपा को झटका, इस नेता ने दिया इस्तीफा
आगरा से पूर्व सांसद प्रभु दयाल कठेरिया ने भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के पदों से इस्तीफा दे दिया है। तीन बार के सांसद प्रभु कठेरिया अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे थे, लेकिन नहीं मिला। यही कारण है कि उनके बेटे अरुणकांत कठेरिया ने अब आम आदमी पार्टी जॉइन कर ली है। बताया जाता है कि आम आदमी पार्टी की तरफ से वह यहां प्रत्याशी होंगे। पढ़ें पूरी खबर…
8. उत्तर प्रदेश चुनाव में ‘दोगुने दाम’ की थ्योरी और शाह का ‘खेला’ बाकी है
प्रसिद्ध चिंतक और लेखक डॉ. राघव शरण शर्मा का कहना है कि उत्तर प्रदेश का चुनाव बहुत रौचक दौर में पहुंचता जा रहा है। उत्तर प्रदेश में हरियाणा की तर्ज पर भाजपा अगर जयंत चौधरी को डिप्टी सीएम बनाकर कुछ उलटफेर कर दे तो क्या होगा। अमित शाह के ‘खेला’ की कल्पना अखिलेश को नहीं है। मुलायम या अखिलेश, अभी तमाम केसों से मुक्त नहीं हुए हैं… पढ़ें पूरी खबर…
उत्तर प्रदेश में 10 फरवरी से सात चरणों में चुनाव होने हैं। इससे पहले राजनीतिक उठापठक तेज हो गई है। चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। नेताओं के दल बदलने का सिलसिला भी जारी है। ऐसे में क्या है उत्तर प्रदेश की राजनीतिक हलचल? एक क्लिक में पढ़िए उत्तर प्रदेश चुनाव से जुड़ी सारी खबरें…
44 सीटों पर हार-जीत पांच हजार से कम मतों से हुई। 11 सीटों पर हार-जीत के अंतर से कई गुना ज्यादा थे नोटा के वोट। 4057 वोटों से जीते डॉ. धर्म सिंह सैनी राज्यमंत्री बनाए गए। 3546 मतों से जीते धर्मपाल सिंह भी शुुरुआती सवा दो साल कैबिनेट मंत्री रहे। 1473 मतों से जीते राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती भी कैबिनेट मंत्री बने। पढ़ें पूरी खबर…
आगरा जिले में 1952 से लेकर अब तक 70 वर्षों में हुए 17 विधानसभा चुनावों में आगरा से केवल दो मुस्लिम विधायक ही चुनाव जीत सके हैं। हालांकि विधानसभा चुनाव लड़कर लखनऊ विधानसभा पहुंचने का ख्वाब तो 102 मुस्लिम उम्मीदवारों ने संजोया था, लेकिन इनमें से 100 के सपने चकनाचूर हो गए, जबकि केवल दो ही विधायक बन सके। पढ़ें पूरी खबर…
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भाजपा पर हमला बोला है। कहा कि यूपी में भाजपा से छुटकारा 1947 की तुलना में बड़ी आजादी होगी। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं इसलिए भाजपा औरंगजेब और बाबर को याद कर रही है। पढ़ें पूरी खबर…
4. इस बार बदल गए मीरापुर विधानसभा के समीकरण
मुजफ्फरनगर जिले के सबसे बड़े धर्म क्षेत्र शुकतीर्थ और संभलहेड़ा सिद्ध पीठ वाली सीट मीरापुर के समीकरण दिलचस्प हो गए हैं। जानसठ सुरक्षित सीट का हिस्सा मीरापुर में मिलाए जाने के बाद यहां गुर्जर, अनुसूचित जाति और मुस्लिम समीकरण प्रभावी है। एक तरफ उत्तराखंड और दूसरी तरफ बिजनौर से यह सीट लगी हुई है। पढ़ें पूरी खबर…
मतदाता सूची के पुनरीक्षण अभियान में बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की लापरवाही, चुनाव में प्रशासन की किरकिरी करा सकता है। जिले के तमाम वोटरों के नाम ही मतदाता सूची से काट दिए गए हैं। अब ये मतदाता बीएलओ, तहसील और कलेक्ट्रेट स्थित जिला निर्वाचन कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। हालांकि, पुनरीक्षण अभियान के दौरान प्रशासन ने सभी मतदाताओं से अपील की थी कि वे वोटर लिस्ट में अपने नाम जांच ले। नाम न होने या फिर किसी भी तरह की त्रुटि होने पर उसे दुरुस्त करने के लिए आवेदन कर दें। पढ़ें पूरी खबर…
मेरठ जनपद की सबसे बड़ी विधानसभा सीट पर इस बार भी रोमांचक मुकाबला होगा। हालांकि इस सीट पर अभी कांग्रेस और गठबंधन ने अपना-अपना प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा है। पढ़िए इस सीट का इतिहास क्या है। पढ़ें पूरी खबर…
आगरा से पूर्व सांसद प्रभु दयाल कठेरिया ने भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के पदों से इस्तीफा दे दिया है। तीन बार के सांसद प्रभु कठेरिया अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे थे, लेकिन नहीं मिला। यही कारण है कि उनके बेटे अरुणकांत कठेरिया ने अब आम आदमी पार्टी जॉइन कर ली है। बताया जाता है कि आम आदमी पार्टी की तरफ से वह यहां प्रत्याशी होंगे। पढ़ें पूरी खबर…
प्रसिद्ध चिंतक और लेखक डॉ. राघव शरण शर्मा का कहना है कि उत्तर प्रदेश का चुनाव बहुत रौचक दौर में पहुंचता जा रहा है। उत्तर प्रदेश में हरियाणा की तर्ज पर भाजपा अगर जयंत चौधरी को डिप्टी सीएम बनाकर कुछ उलटफेर कर दे तो क्या होगा। अमित शाह के ‘खेला’ की कल्पना अखिलेश को नहीं है। मुलायम या अखिलेश, अभी तमाम केसों से मुक्त नहीं हुए हैं… पढ़ें पूरी खबर…
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