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Editorial : यूपी में डबल इंजन की सरकार अपने प्रयासों से बहा रही विकास की गंगा

18-1-2022

योगी सरकार ने सबसे पहला प्रहार उसी पर किया, जिसके लिए यूपी कुख्यात थाज्यानी यहां पर अपराधी और माफिया नेताओं के टुकड़ों पर पलते थे, बढ़ते थे और निरीह जनता को दबाते थे। योगीराज में माफियाओं की 1900 करोड़ के अधिक की सम्पत्तियां जब्त कीं गईं। माफिया, अपराधी और भ्रष्टाचारी के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर चलते हुए राज्य कानून-व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए प्रभावी कदम उठाए। जिस भी व्यक्ति ने प्रदेश में अपराध किया, वह किसी भी जाति, मत, मजहब, क्षेत्र, राजनीतिक दल अथवा कद का रहा हो, उसके खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई की गई। इन सख्त कदमों का ही सुपरिणाम रहा कि योगीराज में एक भी दंगा नहीं हुआ। सभी प्रमुख त्योहार, धार्मिक जुलूस, मेले आदि सकुशल सम्पन्न हुए।
यूपी में एक समय ऐसा था, जबकि प्रदेश में ट्रांसफर-पोस्टिंग एक बहुत बड़े उद्योग के रूप में जाना जाता था। जिस दल की सरकार होती थी, उसके नेता, उसके दलाल ट्रांसफर-पोस्टिंग का बहुत बड़ा उद्योग चलाते थे। योगी सरकार के बाद इस ट्रांसफर-पोस्टिंग का उद्योग पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया। मेरिट के आधार पर ट्रांसफर किए जाने से प्रशासनिक व्यवस्था में स्थिरता का माहौल बना, जिससे अधिकारियों, कर्मचारियों का मनोबल बढ़ा। परिणामस्वरूप विकास कार्य प्रभावी ढंग से संचालित हुए, जिसका लाभ जनता को मिल रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प ‘सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास-सबका प्रयासÓ को अक्षरश: लागू करते हुए योगी सरकार ने सभी मत, मजहब, जाति, वर्ग और क्षेत्र का सर्वांगीण और समावेशी विकास किया। योगीराज में केंद्र सरकार की 45 योजनाओं का क्रियान्वयन बेहद कुशलता से किया। यूपी इस क्रियान्वयन में देशभर में अव्वल रही है। अब तक विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों, नौजवानों, गरीबों, महिलाओं समेत अन्य लाभार्थियों को 05 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की धनराशि डीबीटी की गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी सरकार ने पूरे देश व दुनिया में उत्तर प्रदेश के प्रति नजरिए को बदला है।
इधर पंजाब में जहां कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू की नीति कांग्रेसियों के ही गले नहीं उतर ही है, वहीं उत्तर प्रदेश में सपा के सुप्रीमो बने अखिलेश यादव के बोल और छोटे-मोटे दूसरे दलों से समझौते सपाइयों को रास नहीं आ रहे हैं। बसपा सुप्रीमो मायावता तो वैसे ही इस चुनाव में अभी निष्क्रिय बनी हुई हैं। इसके चलते लखनऊ में बसपा तथा कांग्रेस के आधा दर्जन से अधिक पूर्व विधायक व एमएलसी भाजपा में शामिल हो गए। उत्तर प्रदेश में एक बार फिर बीजेपी सरकार के ही बहुमत में आने की प्रबल संभावना के देखते हुए लगातार कई नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं।