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इमरान खान सरकार को पाक की मीडिया ने घेरा

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पीएम इमरान खान और उनके मंत्री लगातार भारत में मुसलमानों की हालत के बारे में झूठे आरोप लगाते हैं, लेकिन उनके अपने ही मुल्क में अल्पसंख्यकों की हालत दिन पर दिन बदतर होती जा रही है। आए दिन हिंदू और ईसाई लड़कियों को अगवा कर उनका धर्मांतरण कराया जाता है। फिर उनकी शादी मुस्लिम युवाओं से कर दी जाती है। ये हम ऐसे ही नहीं कह रहे। पाकिस्तान की मीडिया ने इस बारे में रिपोर्ट प्रकाशित की है।

पाकिस्तानी अखबार ‘द नेशन’ की रिपोर्ट कहती है कि वहां जबरन धर्म बदलवाने की शिकार लड़कियों में से 70 फीसदी से ज्यादा नाबालिग हैं। अखबार के मुताबिक साल 2020 में ऐसे 15 मामले हुए थे। जबकि, बीते साल ऐसे मामलों की संख्या 60 हो गई। अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में हर साल 1000 लड़कियों को अगवा कर उनका धर्म बदल दिया जाता है। वहीं, एक अन्य अखबार ‘इस्लाम खबर’ की रिपोर्ट कहती है कि 1947 में अपने जन्म के बाद से पाकिस्तान में जबरन धर्म परिवर्तन के मामले बढ़े हैं। द नेशन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक अल्पसंख्यक हिंदू और ईसाई लड़कियों का जबरन धर्म बदलने के बाद उनकी शादी की जाती है

और उन्हें इससे बचाने के लिए न तो सरकार कोशिश करती है और न किसी और की तरफ से ऐसी कोशिश की जाती है। अखबार के मुताबिक बीते दिनों 13 और 19 साल की दो हिंदू लड़कियों और एक ईसाई लड़की को अगवा कर लिया गया। तीनों का जबरन धर्म बदलवाया गया और उनकी शादी कर दी गई। पाकिस्तान में ऐसा कोई कानून नहीं है, जो ऐसी जबरन धर्म परिवर्तन और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर होने वाले रोजमर्रा के अपराधों पर लगाम कस सके। अखबार की रिपोर्ट कहती है कि हाल के वर्षों में पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अपहरण, रेप और अगवा कर धर्म बदलवाने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।

बता दें कि पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने सोमवार को ही भारत में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का झूठा आरोप लगाया था। उन्होंने इस मामले में पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार को खूब कोसा था। जबकि, द नेशन और इस्लाम खबर नाम के अखबार उनके देश और सरकार की पोल-पट्टी खोलते नजर आ रहे हैं। तमाम घटनाओं में हिंदू मंदिरों को नष्ट करने और उन्हें आग के हवाले करने के मामले भी बीते साल सामने आए थे। इनमें से किसी भी मामले में सरकार या पाकिस्तान की पुलिस ने कुछ नहीं किया था। इसकी वजह से अब पाकिस्तान में महज 2 फीसदी हिंदू और ईसाई बच गए हैं। ये वो लोग हैं, जो गरीबी की वजह से पाकिस्तान छोड़कर किसी और देश में बस नहीं सकते।