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UP Assembly Election: इस चुनावी दंगल में सहारनपुर बना राजनीतिक हब, जानिए यहां का सियासी समीकरण

हाइलाइट्ससहारनपुर सूबे की सियासत के चलते राजनीतिक गलियारे में तब्दील हो गया है। सपा में शामिल हो गए हैं बीजेपी विधायक घरम सिंह सैनी।सैनी ने के बाद इमरान मसूद ने थामा सपा का दामन।सहारनपुर
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो चुका है। तारीखों के ऐलान के बाद से ही सभी राजनीतिक दलों ने चुनावी दंगल में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। ऐसे में पश्चिमी यूपी का सहारनपुर जिला सूबे की सियासत के चलते राजनीतिक गलियारे में तब्दील हो गया है। वहीं जिला इस बात का भी साक्षी है कि सूबे में सबसे अधिक यहां पूर्व मंत्री धरम सिंह सैनी समेत अन्य दलों के नेताओं ने क्रॉसओवर किया।
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सपा के खेमे में नाकुर से विधायक सैनी को औपचारिक रूप से शामिल किया गया, जिसके तीन दिन बाद कांग्रेस के दिग्गज इमरान मसूद अखिलेश यादव के नेतृत्व वाले संगठन में शामिल हो गए। यह सैनी ही थे जिन्होंने दो बार मसूद को हराया था – 2012 में बसपा उम्मीदवार के रूप में और 2017 में भाजपा के टिकट पर। इससे पहले सैनी ने सहारनपुर की सरसावा विधानसभा सीट से 2002 और 2007 का विधानसभा चुनाव भी जीता था।

क्षेत्र की 15 विधानसभाओं में प्रभाव रखते हैं धरम सिंह सैनी
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, सैनी समुदाय की शामली, सहारनपुर, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर और नोएडा में बड़ी उपस्थिति है, और धर्म सिंह सैनी का प्रभाव उस क्षेत्र के लगभग 15 विधानसभा क्षेत्रों में है जहां सैनी 30,000 से अधिक हैं।

बसपा
भाजपा सूत्रों की मानें तो सैनी को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाए जाने के बाद से भाजपा के खिलाफ उनकी नाराजगी थी। 2007 और 2012 के बीच मायावती के शासन के दौरान, वह कैबिनेट मंत्री थे। सूत्रों ने कहा कि सैनी यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के भी करीबी थे जिन्होंने भाजपा के खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद किया और भगवा खेमे में इस्तीफे की झड़ी लगा दी।

सूत्रों ने कहा कि अगर सैनी नकुर से चुनाव लड़ते हैं, तो मसूद को पड़ोसी निर्वाचन क्षेत्र बेहट में स्थानांतरित किया जा सकता है, जहां कांग्रेस विधायक नरेश सैनी भाजपा में शामिल हो गए हैं। सैनी पिछड़े वर्ग से हैं और कहा जाता है कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में लोकप्रिय हैं। वहीं इमरान के जुड़वां भाई नौमान मसूद ने भी बसपा में शामिल होने के लिए सपा के सहयोगी जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली रालोद को छोड़ दिया है।

प्रतीकात्मक तस्वीर