हाइलाइट्सकारोबारी पीयूष जैन के घर आईटी रेड के बाद चर्चा में आया कन्नौज का इत्र कारोबारकन्नौज में चार शताब्दी से बन रहा इत्र, मुगल सम्राट जहांगीर ने शोध को दिया था बढ़ावापरंपरागत तकनीक से आज तक बन रहा इत्र, इस कारण दुनिया भर से आती है डिमांडसबसे महंगा इत्र अदरऊद का कन्नौज में होता है निर्माण, एक ग्राम की कीमत 5 हजार रुपयेकानपुर
कानपुर के जूही थाना क्षेत्र के आनंदपुरी में रहने वाले इत्र कारोबारी पीयूष जैन के घर पर जब आयकर की टीम छापेमारी के लिए पहुंची तभी से कन्नौज का इत्र उद्योग चर्चा में आ गया। पीयूष जैन को इत्र के बड़े कारोबारियों में से एक माना जाता है। वे अखिलेश यादव के काफी करीबी भी माने जाते हैं। पिछले दिनों समाजवादी इत्र की लॉन्चिंग में इनकी बड़ी भूमिका मानी गई थी। अब उनके घर से 150 करोड़ की बड़ी राशि की बरामदगी ने हर किसी को हैरान कर दिया है।
पीयूष जैन के घर पर हुई छापेमारी ने कन्नौज के इत्र उद्योग को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। कन्नौज के इत्र की सुगंध के दीवाने केवल देश में ही नहीं हैं, विदेशों में भी इसकी मांग होती है। कन्नौज में बनाया जाने वाला इत्र अपने पारंपरिक तरीके के लिए भी जाना जाता है। यहां बनने वाले इत्र की सप्लाई गल्फ देशों और यूरोप में होती है। कहा जाता है कि कन्नौज की नालियों से भी इत्र की सुगंध आती है। अब यह इत्र नगरी कुछ अलग ही कारणों से सुर्खियों में है।
करीब चार शताब्दी से बन रहा इत्र
कन्नौज में करीब चार शताब्दी से इत्र बनाने का कार्य किया जा रहा है। 17वीं शताब्दी से यहां पर लोग इत्र बनाने का कार्य करते आ रहे हैं। कन्नौज में इत्र बनाने वालों की खासियत यह है कि उन्होंने परंपरागत तकनीक को कभी नहीं छोड़ा। तांबे के बड़े-बड़े भवकों में गुलाब, बेला, चमेली, गेंदा और अन्य फूलों का आसवन विधि से सुगंध निकाल कर इत्र तैयार किया जाता है। कन्नौज में इत्र बनाने के करीब 350 से अधिक कारखाना हैं।
कन्नौज में ही बनता है देश का सबसे महंगा इत्र
कन्नौज में ही देश का सबसे महंगा इत्र अदरऊद बनाया जाता है। इसकी कीमत करीब 50 लाख रुपये किलोग्राम तक होती है। इसकी देश और विदेश में खूब डिमांड है। खाड़ी के देशों में इसे अधिक पसंद किया जाता है। इसके अलावा कन्नौज के गुलाब का इत्र पूरी दुनिया में विख्यात है। इसके अलावा यहां पर मिट्टी से भी सुगंध निकाल कर इत्र तैयार की जाती है। कुम्हारों से पकी हुई मिट्टी की लोई को खरीद कर इसे तांबे के बर्तनों में पकाया जाता है। इससे निकलने वाली सोंधी खुशबू को बेस ऑयल में मिक्स कर इत्र बनाया जाता है। गुटखा और तंबाकू में इस्तेमाल किया जाता है।
जहांगीर ने शोध को दिया था बढ़ावा
फूलों से इत्र निकालने के लिए मुगल सम्राट जहांगीर ने शोध को बढ़ावा दिया था। उनकी पत्नी नूरजहां के बारे में कहा जाता है कि वे फूलों की पंखुड़ियों को कुंड में डालकर नहाती थीं। उन्होंने गुलाब की पंखुड़ियों से तेल निकलते देखा। इसके बाद हुए शोध में सुगंध को आसवन विधि से अलग करने की कोशिश शुरू हुई। इसके बाद फूलों से इत्र बनना शुरू हुआ। आज भी इसी विधि के जरिए इत्र बनाने का कार्य यहां पर होता है।
तांबे की बड़ी-बड़ी डेंगों में आसवन विधि से ही इत्र तैयार किया जाता है। इत्र कारोबारियों का कहना है कि भवके में 100 किलो तक फूल आ जाता है। फूलों कों इसमें डालने के बाद उसके मुंह को मिट्टी से सील कर दिया जाता है। लंबे समय तक उसे आग पर चढ़ाया जाता है। इसके बाद इसके मुंह को खोलकर निकलने वाले भाप को दूसरे बर्तन में जमा किया जाता है। यही भाप इत्र में बदलता है।
आसमाकीट लकड़ी से बनता है अदरऊद इत्र
दुनिया का सबसे महंगा इत्र अदरऊद आसमाकीट लकड़ी से बनता है। यह विशेष लकड़ी असम से लाई जाती है। इसे विशेष तरीके से प्रोसेस कर इत्र बनाया जाता है। इस कारण इस इत्र के एक ग्राम की कीमत 5 हजार रुपये तक है। वहीं, यहां पर गुलाब से बनने वाले इत्र को भी काफी पसंद किया जाता है। इसकी भी कीमत 3 लाख रुपये किलो तक होती है। यहां पर सस्ती से लेकर महंगी इत्र तक बनाई और बेची जाती है। इसी इत्र के कारोबार से पीयूष जैन भी जुड़े रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने लखनऊ में समाजवादी इत्र पेश कर यूपी की राजनीति में एक अलग प्रकार की खुशबू फैलाने की कोशिश की थी।
करीब एक हजार करोड़ का है सुगंध का कारोबार
कन्नौज को इत्र नगरी ऐसे ही नहीं कहा जाता है। यहां बनने वाले इत्र का 30 फीसदी से अधिक हिस्सा विदेशी बाजारों में बेचा जाता है। यूरोप और खाड़ी देशों में निर्यात होने से इत्र कारोबार लगातार चल रहा है। विदेशों की कई कंपनियां यहां के कारोबारियों से खुद इत्र की बड़ी खेप मंगवाती हैं। इत्र बिजनेस का सालाना टर्नओवर करीब एक हजार करोड़ का बताया जाता है। यहां के करीब चार हजार से अधिक लोग इस कारोबार से जुड़े हुए हैं।
पीयूष जैन के घर आईटी की छापेमारी के बाद एक बार फिर चर्चा में है कन्नौज का इत्र उद्योग
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