महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन12 वर्ष की उम्र में हासिल की थी त्रिकोणमिति में महारत – Lok Shakti

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महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन
12 वर्ष की उम्र में हासिल की थी त्रिकोणमिति में महारत

त्रिकोणमिति में हासिल की महारत
रामानुजन ने मात्र 12 वर्ष की उम्र में त्रिकोणमिति में महारत हासिल कर ली और बिना किसी की सहायता के खुद से कई प्रमेय (Theorems) भी विकसित कीं. उनकी बायोग्राफी ‘द मैन हू न्‍यू इंफिनिटी’ 1991 में पब्‍लिश हुई थी. इसी नाम से रामानुजन पर एक फिल्‍म भी बन चुकी है. इस फिल्‍म में एक्‍टर देव पटेल ने रामानुजन का किरदार निभाया है. रामानुजन भारतीय ही नहीं व‍िदेशी गण‍ितज्ञों के लिए प्रेरणास्रोत हैं. बीमारी के कारण उनका का निधन 33 वर्ष की उम्र में 26 अप्रैल 1920 को हो गया. अपने जीवन में उन्होंने दुनिया को तीन हजार से भी अधिक गणितीय सूत्र दिए.

मानवता के विकास के लिए गणित का महत्व
इस दिवस को मनाने के पीछे उद्देश्य लोगों में मानवता के विकास के लिए गणित के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. देश की युवा पीढ़ी के बीच गणित सीखने के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रेरित करने, उत्साहित करने और विकसित करने के लिए कई पहल की जाती हैं. इस दिन, गणित शिक्षकों और छात्रों को शिविरों के माध्यम से प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है. संबंधित क्षेत्रों में गणित और अनुसंधान के लिए शिक्षण और सीखने की सामग्री के विकास और प्रसार पर प्रकाश डाला जाता है.

22 दिसंबर को नेशनल मैथमेटिक्स डे (राष्ट्रीय गणित दिवस) है। ये महान गणितज्ञ रामानुजन के सम्मान में मनाया जाता है। दरअसल, श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर, 1887 को तमिलनाडु के इरोड में एक तमिल ब्राह्मण आयंगर परिवार में हुआ था। उन्होंने कुंभकोणम के सरकारी कॉलेज में पढ़ाई की थी, लेकिन गैर-गणितीय विषयों में उनकी रुचि न होने से वो 12वीं की परीक्षा में फेल हो गए थे। रामानुजन ने 1912 में मद्रास पोर्ट ट्रस्ट में एक क्लर्क के रूप में भी काम करना शुरू किया था। कहा जाता है कि यहीं पर पहली बार उनके एक सहकर्मी ने उनकी गणित की प्रतिभा को पहचाना था, जो खुद एक गणितज्ञ थे। जिसके बाद रामानुजन को ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी
दिलचस्प है हार्डी नंबर ‘1729’ का किस्सा
रामानुजन की जीवनी के मुताबिक एक बार प्रोफेसर हार्डी अस्पताल में रामानुजन को देखने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने बताया की वो टैक्सी नंबर 1729 में बैठ कर यहां तक आए हैं। जिसके बाद रामानुजन ने उन्हें बताया था कि यह दो अलग क्यूब के योग को दो तरीकों से जानने के लिए सबसे छोटा अंक है। तभी से गणित की दुनिया में 1729 अंक आज भी हार्डी-रामानुजन नंबर के नाम से प्रचलित है।