Hindon Airport: दो साल में बस एक रूट पर शुरू हो पाई उड़ान, क्‍या जेवर एयरपोर्ट बनने के बाद गाजियाबाद का हिंडन एयरपोर्ट बंद हो जाएगा? – Lok Shakti

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Hindon Airport: दो साल में बस एक रूट पर शुरू हो पाई उड़ान, क्‍या जेवर एयरपोर्ट बनने के बाद गाजियाबाद का हिंडन एयरपोर्ट बंद हो जाएगा?

गाजियाबाद
‘आप इसके भविष्य के बारे में क्या कह सकते हैं जब सरकार पट्टे का नवीनीकरण भी नहीं कर रही है?’ अभिषेक गर्ग सवाल के लहजे में कहते हैं, जिनके परिवार की अधिकांश जमीन हिंडन टर्मिनल पर है।

वर्ष 2019 में दिल्ली के IGI हवाई अड्डे के दूसरे विकल्‍प के रूप में सस्‍ती उड़ानों के लिए उड़ान योजना के तहत बना हिंडन सिविल टर्मिनल (Hindon Airport) कभी वह नहीं कर सका जिसके लिए इसका निर्माण किया गया। 2019 में जेट एयरवेज के बंद होने और 2020 में कोविड -19 महामारी ने विमानन क्षेत्र की मनोदशा को काफी हद तक बदल दिया। हिंडन टर्मिनल को वह तवज्‍जों कभी नहीं मिला, जिसकी उसे जरूरत थी।

आज टर्मिनल से केवल एक एयरलाइन चलती है और वह है- कर्नाटक के हुबली-कलबुर्गी के लिए एक स्टार एयरलाइंस। अयोध्या और कुशीनगर हवाईअड्डों के लिए उड़ान लिंक को लेकर बात तो हुई, लेकिन स्‍थ‍ित‍ि अभी तक स्‍पष्‍ट नहीं हो पायी है। इसके अलावा IGIA में एयरलाइनों के लिए अधिक स्लॉट उपलब्ध होने और ग्रेटर नोएडा के जेवर में दिल्ली-एनसीआर के दूसरे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण के साथ विमानन विशेषज्ञ गाजियाबाद टर्मिनल का भविष्य बहुत ज्‍यादा नहीं देख रहे हैं।

राजनीतिक लोग हालांकि इस बात पर जोर दे रहे हैं कि टर्मिनल को यूपी के पश्चिमी और अन्य जिलों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में बनाए रखा जा सकता है। लेकिन अक्टूबर 2024 में नोएडा एयरपोर्ट के चालू हो जाने के बाद यह उम्‍मीद भी कम हो जाएगी।

शुरुआती परेशानियां
हिंडन टर्मिनल की ऐसी स्‍थि‍त‍ि क्‍यों है, इस बारे में विशेषज्ञ कहते हैं क‍ि इसकी एक प्रमुख वजह यह भी है क‍ि यहां से कोई वाणिज्यिक एयरलाइन शुरू नहीं हो सकी, यहां तक कम दूरी या अंतर-राज्यीय उड़ाने भी यहां से नहीं हैं। आधिकारिक तौर पर उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के पहाड़ी इलाकों के लिए – यहाँ से उड़ान शुरू हुई थी। लेकिन ऐतिहासिक उद्घाटन उड़ान के तुरंत बाद, इस मार्ग की सेवाओं को रद्द कर दिया गया, वह भी तब जब इसे दिल्ली-एनसीआर के दूसरे ‘हवाईअड्डे’ के रूप में देखा जाने लगा था। यह आज तक निलंबित है। हेरिटेज एयरलाइंस के 6-सीटर बीचक्राफ्ट किंग एयर 350 में तकनीकी खराबी के कारण जो निलंबन हुआ, वह अभी तक बरकार है।

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स्टार एयरलाइंस के एक अधिकारी हमारे सहयोगी टाइम्‍स ऑफ इंडिया से कहा कि सेवाएं चल हैं लेकिन यात्रियों के लिए टर्मिनल का अनुभव वैसा नहीं है जैसा होना चाहिए। ‘हम सप्ताह में चार दिन हिंडन-हुबली उड़ानें चलाते हैं। औसतन 90% सीटें बुक रहती हैं। हिंडन-कलबुर्गी मार्ग पर औसतन 80 फीसदी बुक रहती हैं। हालांकि,अन्य हवाई अड्डों की तुलना में टर्मिनल पर व्यवस्थाएं ठीक नहीं हैं। यात्रियों के लिए जलपान की सुविधा नहीं होने के कारण शिकायतें मिली हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर हवाईअड्डा प्रशासन को काम करने की जरूरत है।’

टर्मिनल पर सुविधाओं का अभाव
टर्मिनल की निदेशक शोभा भारद्वाज ने कहा, ‘हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हिंडन टर्मिनल पर यात्रियों को अन्य हवाई अड्डों के समान बेहतरीन सेवाएं दी जाएं। लेकिन तथ्य यह है कि टर्मिनल अभी भी विकास के चरण में है और आने वाले समय में इस पर ध्यान दिया जाएगा।’

गर्ग जिनके परिवार ने एनेक्सी के लिए 17,000 वर्ग मीटर लगभग 80% जमीन लीज पर दी थी, का मानना है कि लीज के नवीनीकरण में तात्कालिकता की कमी टर्मिनल की वास्तविकता को दर्शाती है। सिकंदर गांव के किसान ने कहा, ‘सिविल टर्मिनल की भूमि का पट्टा इस साल अगस्त में समाप्त हो गया फिर भी प्रशासन और उड्डयन विभाग ने इसे नवीनीकृत करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है।’

गाजियाबाद के जिला मजिस्ट्रेट आरके सिंह ने कहा, ’20 से अधिक किसान हैं जिनसे जमीन पट्टे पर ली गई है। हमने हाल ही में इनमें से 95% किसानों के साथ दो साल के लिए पट्टे का नवीनीकरण किया है। शेष मामलों में, ज़मींदार विदेश में रहता है और हमने उन्हें पट्टे का विस्तार करने की आवश्यकता के बारे में बताया है। जब वे हमारे पास आएंगे तो हम सभी शत-प्रतिशत किसानों की लीज की औपचारिकताएं पूरी करेंगे।’

हिंडन टर्मिनल का भविष्य क्‍या होगा?
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व जीएम (कॉर्पोरेट संचार) जी एस बावा ने हमारे सहयोगी टीओआई को बताया, ‘हिंडन सिविल टर्मिनल को जेवर हवाई अड्डे के लिए एक कदम के रूप में देखा जा सकता है। यह दिल्ली और नोएडा के हवाईअड्डों के नजदीक होने के कारण कभी भी खुद को बनाए रखने में सक्षम नहीं होगा। हिंडन टर्मिनल की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि आईजीआई हवाई अड्डे पर स्लॉट नहीं थे। लेकिन अब बहुत अधिक स्‍लॉट उपलब्ध हैं। जब तक नोएडा हवाईअड्डा तैयार नहीं हो जाता तब तक यह यहां से शायद यातायात चलती रहे, लेकिन हवाईअड्डे के चालू होने के बाद यह अंततः नोएडा में स्थानांतरित हो जाएगा।’

क्षेत्र से जुड़े सूत्रों का यह भी तर्क है कि नोएडा हवाई अड्डे के बनने तक हिंडन टर्मिनल को हमेशा एक स्टॉपगैप व्यवस्था माना जाता था, यही वजह है कि इसके रनवे को जल्दी से स्थापित किया गया था जो कि भारतीय वायुसेना के बेड़े के लिए महत्वपूर्ण है।

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नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) ने बातचीत में जोर देकर कहा कि नोएडा हवाई अड्डे के चालू होने के बाद भी हिंडन टर्मिनल भविष्य में “एक महत्वपूर्ण भूमिका” निभाएगा। लोकसभा में गाजियाबाद का प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व सेना प्रमुख सिंह ने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है।” ‘RCS (क्षेत्रीय संपर्क योजना) के तहत हिंडन सिविल टर्मिनल को गाजियाबाद से क्षेत्रीय उड़ानें देने के लिए शुरू किया गया था। लेकिन जब से इसे चालू किया गया था, चीजें उस तरह से आगे नहीं बढ़ीं, जैसी उन्हें होनी चाहिए थीं। हुबली और कलबुर्गी के अलावा एयरलाइनों ने अन्य मार्गों में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है और महामारी से उत्पन्न स्थिति आंशिक रूप से इसके लिए जिम्मेदार है,’ सिंह ने कहा।

पश्चिमी यूपी के लिए वरदान है हिंडन टर्मिनल?
सिंह इसे पश्चिमी यूपी के लिए वरदान के रूप में देख रहे हैं। ”पिछले साल मार्च में इंडिगो हिंडन से परिचालन शुरू करने की इच्छुक थी और जब कोविड नहीं था, तब बातचीत चल रही थी। लेकिन हाल ही में दो एयरलाइनों – टर्बो एविएशन और स्पाइसजेट – को UDAN योजना के तहत अयोध्या और कुशीनगर मार्गों से जोड़ा गया है और इन नए मार्गों पर उड़ान संचालन शुरू होने से पहले की बात है।’

सिंह ने कहा कि वह हिंडन को एक पूर्ण टर्मिनल में बदलने पर जोर दे रहे हैं। ‘भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के एक अधिकारी जो टर्मिनल की कल्पना के समय मामलों के शीर्ष पर थे, ने इसे पट्टे पर विकसित करने के लिए आवश्यक भूमि लेने पर जोर दिया जिससे टर्मिनल के भविष्य पर संदेह हुआ। आदर्श रूप से हमें इस भूमि का अधिग्रहण करना चाहिए था। लेकिन अब भी उसके लिए बहुत देर नहीं हुई है और चीजें उस दिशा में आगे बढ़ रही हैं जहां हम जमीन का अधिग्रहण करेंगे, शायद यह टर्मिनल को स्थायित्व की मुहर देगा। आखिरकार, पश्चिमी यूपी के जिलों से इसकी निकटता को देखते हुए, जेवर आने के बावजूद यह टर्मिनल राज्य के उस तरफ के यात्रियों के लिए वरदान हो सकता है,’ सिंह ने कहा।

मनोज कुमार सहमत होंगे। सहारनपुर निवासी का कहना है कि वह हुबली से कई बार उड़ान भर चुका है, जहां वह केंद्रीय विद्यालय में शिक्षक है। ‘हिंडन सिविल टर्मिनल मेरे लिए बहुत सुविधाजनक रहा है। इसने मुझे आईजीआई से उड़ान पकड़ने के लिए दिल्ली की यात्रा को बख्शा है, जिसमें अधिक समय लगता है।’

क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना के लिए बेहतर विकल्‍प
दिल्ली में फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज में क्षेत्रीय कनेक्टिविटी स्कीम में पीएचडी स्कॉलर अमित कुमार दास का मानना है कि हिंडन टर्मिनल आरसीएस (क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना) उड़ानों के लिए उपयुक्त है और नोएडा हवाई अड्डे के चालू होने के बाद भी उस उद्देश्य के लिए विशेष रूप से इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। ‘इसका कारण अर्थव्यवस्था में उछाल है जो अधिक कनेक्टिविटी विकल्पों की आवश्यकता को बढ़ाएगा। विश्व स्तर पर कई बड़े शहरों में एक-दूसरे के करीब हवाईअड्डे सह-मौजूद हैं और अच्छी तरह से सह-अस्तित्व में हैं,’ दास ने कहा, इस बात पर जोर देते हुए कि हिंडन दीर्घकालिक वाणिज्यिक उड़ान संचालन योजनाओं का एक अभिन्न अंग होना चाहिए।

‘हिंडन टर्मिनल IGIA और नोएडा हवाई अड्डों के साथ सह-अस्तित्व में हो सकता है क्योंकि यह कम दूरी के हवाई मार्गों और यहां तक कि हेलीकॉप्टर सेवाओं और चार्टर्ड विमानों को भी संभाल सकता है। आने वाले वर्षों में इसका महत्व बढ़ना चाहिए, कम नहीं होना चाहिए।’

दास ने सरकार से आग्रह किया कि हिंडन टर्मिनल को स्टार्ट देने के लिए एयरलाइंस को अधिक प्रोत्साहन की पेशकश की जाए। ‘आरसीएस योजना के तहत सरकार द्वारा एक निश्चित संख्या में सीटों के लिए सब्सिडी दी जाती है। शेष सीटों के लिए एयरलाइंस शुल्क लेने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन किराया सीमा तक। इसलिए सरकार के लिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि वह हिंडन जैसी सुविधाओं पर परिचालन शुरू करने के लिए एयरलाइंस को लुभाने के लिए और अधिक प्रोत्साहन प्रदान करे।’