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देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत के साथ हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हुए ताजनगरी के विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान 31 दिसंबर को आगरा आने वाले थे। परिवार के साथ नए साल का जश्न और पिता के जन्मदिन में उन्हें शामिल होना था। लेकिन इससे पहले ही काल के क्रूर हाथों ने उन्हें छीन लिया। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान आगरा के सरन नगर (दयालबाग) के रहने वाले थे। सीडीएस बिपिन रावत के साथ वे भी बुधवार को हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हो गए थे। निधन की जानकारी मिलते ही परिवारीजन कोयंबटूर रवाना हो गए थे। विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान के ममेरे भाई पुष्पेंद्र सिंह जादौन ने बताया कि 31 दिसंबर को उनका आगरा आने का कार्यक्रम था। पूरी प्लानिंग हो गई थी। 31 दिसंबर को ही फूफा सुरेंद्र सिंह चौहान (पृथ्वी सिंह के पिता) का जन्मदिन है। सरप्राइज पार्टी की तैयारी की जा रही थी। इस बार पार्टी में पृथ्वी सिंह का अपने परिवार के साथ आना लगभग तय था।
विंग कमांडर पृथ्वी सिंह के पिता सुरेंद्र सिंह ने रुंधे गले से बताया कि मेरे जन्मदिन पर पिछले दो साल से पृथ्वी का आना टल रहा था। इस बार वो आने वाला था इस बात की जानकारी मुझे नहीं थी। परिवारीजनों ने सरप्राइस पार्टी की तैयारी की थी। अब पता चला कि 31 दिसंबर को पृथ्वी का भी आगरा आने का प्रोग्राम था। अब हम किसका इंतजार करेंगे।
विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान के घर गुरुवार सुबह से ही लोग श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे। डीएम प्रभु नारायण सिंह, एसएसपी सुधीर कुमार सिंह सहित कई जनप्रतिनिधि भी संवेदनाएं प्रकट करने पहुंचे।
सरन नगर में बीटा ब्रेड के मालिक सुरेंद्र सिंह के पुत्र विंग कमांडर पृथ्वी सिंह के हेलीकॉप्टर हादसे में निधन के बाद उनके पड़ोसियों में शोक की लहर है। पृथ्वी के पड़ोसी नीरज श्रीवास्तव बताते हुए भावुक हो जाते हैं कि पृथ्वी उनसे चाचा कहते थे। उनके घर की दीवार मिली हुई है। जब भी घर आते तो चाचा कहकर अभिवादन करते। बेहद जांबाज और खुशमिजाज व्यक्तित्व थे। बचपन से अब तक उन्हें देखा तो निधन की खबर पाते ही धक्का लगा। सरन नगर में ही अजय निगम के मुताबिक बेहद सरल और सहज स्वभाव के पृथ्वी बहादुर थे।
राखी बंधवाने आए थे पृथ्वी, अब किसे बांधूंगी
विंग कमांडर पृथ्वी चार बहनों के इकलौते भाई थे। उनकी दो बहनें आगरा में ही रहती हैं। हेलिकॉप्टर हादसे में निधन की खबर सुनकर बदहवास दौड़ी चलीं आईं बहन मीना की आंखों से आंसू रुक नहीं रहे। मीना ने बताया कि रक्षाबंधन पर पृथ्वी सिंह घर आए थे। तब बहनों ने अपने प्यारे भाई को राखी बांधी। फोन पर वह संपर्क में रहते थे। तीन दिन पहले ही मां सुशीला चौहान की आंख का ऑपरेशन कराने को लेकर पिता से बात हुई थी। पृथ्वी ने आगरा के मिलिट्री हॉस्पिटल में मां के आंख के इलाज के लिए कहा था, लेकिन उससे पहले ही पृथ्वी उनकी आंखों से ओझल हो गए। पिता सुरेंद्र सिंह हाथों में बेटे की तस्वीर लिए सुबकते रहे और बोले कि बेटा बचपन से ही आसमान की ऊंचाईयों को छूना चाहता था। आर्मी स्कूल में दाखिले के बाद एयफोर्स ज्वाइन की। फोन पर मां के इलाज के लिए कहा था।
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