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02dec2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता और विजनरी सोच की ही कमाल है कि ‘भारत का भालÓ जम्मू-कश्मीर अब सचमुच ही ‘स्वर्गÓ बनने के रास्ते पर चल पड़ा है। सवा दो साल पहले लिए गए ऐतिहासिक निर्णय का ही सुपरिणाम है कि जम्मू-कश्मीर में बदलाव की बयार बहने लगी है। दशकों से भारतीय नागरिकता और सरकारी सुविधाओं से वंचित दलितों को अब सभी सुविधाएं मिलने लगी हैं। वहां के सियासी दल भी अब कश्मीरी पंडितों की घर वापसी की बात करने लगे हैं। केंद्रीय स्तर पर कानून बनने के बाद जम्मू—कश्मीर चुनाव में भी एससी और एसटी श्रेणी के लोगों को अब आरक्षण का लाभ मिलने लगा है। शांति-अमन के बीच भारत का स्वर्ग फिर से दुनियाभर के पर्यटकों को आवाज दे रहा है।
यह सब जम्मू-कश्मीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से संभव हुआ है। भारत सरकार ने पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया था। कुछ छुट-पुट घटनाओं को छोड़ दें तो अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद से जम्मू और कश्मीर में अभूतपूर्व शांति-अमन में प्रगति हुई है। जम्मू कश्मीर में विशेष दर्जा बहाल रहने तक केंद्र की सरकारें इंटरनेट की टूजी स्पीड से आगे देने के बारे में सोच भी नहीं पाती थीं। वहीं इन प्रावधानों की समाप्ति के बाद अब वहां के लोग 4जी इंटरनेट स्पीड से इंटरनेट क्रांति का लाभ उठा रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के ‘ऐतिहासिक दिनÓ की महत्ता को समझ रहे कश्मीरी युवा, नहीं होती पत्थरबाजी
जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने की दूसरी वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इसे ‘एक ऐतिहासिक दिनÓ बताया था। सबसे बड़ी बात है कि जम्मू-कश्मीर के युवाओं की सोच में अभूतपूर्व बदलाव आया है। अब वे समझने लगे हैं कि पहले कुछ ‘सिरफिरेÓ उन्हें भटकाव के रास्ते पर ले जा रहे थे। यह रास्ता ही आगे चलकर आतंक की अंधी गलियों से उनको जोड़ता था। अब भटके हुए कश्मीरी युवाओं का सामना सच से हो रहा है। इसीलिए जम्मू-कश्मीर में अब पत्थरबाजी की घटनाएं होने की सूचना अपवाद का विषय हो गया है। कश्मीर घाटी बंद के आह्वान अब नहीं होते। युवा अब आतंकियों के स्लीपर सेल बनने के बजाए अपने कैरियर और रोजगार पर तवज्जो दे रहे हैं।
स्थानीय युवाओं के आतंक से न जुडऩे और सुरक्षा बलों द्वारा ज्यादा चौकस रहने का ही सुपरिणाम है कि आतंकियों के हौंसले पस्त हो रहे हैं। आंकड़ों में बात करें तो अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद आतंकवादी हमले करीब एक तिहाई ही रह गए हैं। जम्मू और कश्मीर में 2019 में 594 आतंकवादी हमले हुए थे। 2020 में यह घटकर 244 ही रह गए। इस कैलेंडर वर्ष में 15 नवंबर तक 195 हमले ही हुए हैं। इसी प्रकार आतंकवाद विरोधी अभियानों में 2019 में 80 केंद्रीय बलों की मौत हुई थी। 2020 में यह घटकर 62 हुई और इस साल 23 नवंबर तक 35 केंद्रीय बलों की मौत हुई है। इससे स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के निर्णय ने काम किया है।
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