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अनुच्छेद 370 हटाने के PM MODI के दूरदर्शी फैसले के अब हो रहे फायदे,

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता और विजनरी सोच की ही कमाल है कि ‘भारत का भाल’ जम्मू-कश्मीर अब सचमुच ही ‘स्वर्ग’ बनने के रास्ते पर चल पड़ा है। सवा दो साल पहले लिए गए ऐतिहासिक निर्णय का ही सुपरिणाम है कि जम्मू-कश्मीर में बदलाव की बयार बहने लगी है। दशकों से भारतीय नागरिकता और सरकारी सुविधाओं से वंचित दलितों को अब सभी सुविधाएं मिलने लगी हैं। वहां के सियासी दल भी अब कश्मीरी पंडितों की घर वापसी की बात करने लगे हैं।

यह सब जम्मू-कश्मीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से संभव हुआ है। भारत सरकार ने पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया था। कुछ छुट-पुट घटनाओं को छोड़ दें तो अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद से जम्मू और कश्मीर में अभूतपूर्व शांति-अमन में प्रगति हुई है। जम्मू कश्मीर में विशेष दर्जा बहाल रहने तक केंद्र की सरकारें इंटरनेट की टूजी स्पीड से आगे देने के बारे में सोच भी नहीं पाती थीं।

जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने की दूसरी वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इसे ‘एक ऐतिहासिक दिन’ बताया था। सबसे बड़ी बात है कि जम्मू-कश्मीर के युवाओं की सोच में अभूतपूर्व बदलाव आया है। अब वे समझने लगे हैं कि पहले कुछ ‘सिरफिरे’ उन्हें भटकाव के रास्ते पर ले जा रहे थे। यह रास्ता ही आगे चलकर आतंक की अंधी गलियों से उनको जोड़ता था। अब भटके हुए कश्मीरी युवाओं का सामना सच से हो रहा है। इसीलिए जम्मू-कश्मीर में अब पत्थरबाजी की घटनाएं होने की सूचना अपवाद का विषय हो गया है।

स्थानीय युवाओं के आतंक से न जुड़ने और सुरक्षा बलों द्वारा ज्यादा चौकस रहने का ही सुपरिणाम है कि आतंकियों के हौंसले पस्त हो रहे हैं। आंकड़ों में बात करें तो अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद आतंकवादी हमले करीब एक तिहाई ही रह गए हैं। जम्मू और कश्मीर में 2019 में 594 आतंकवादी हमले हुए थे। 2020 में यह घटकर 244 ही रह गए। इस कैलेंडर वर्ष में 15 नवंबर तक 195 हमले ही हुए हैं। इसी प्रकार आतंकवाद विरोधी अभियानों में 2019 में 80 केंद्रीय बलों की मौत हुई थी।

अब जम्मू-कश्मीर में देश के अन्य राज्यों के लोग भी जमीन ले सकते हैं। जम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोगों की दोहरी नागरिकता समाप्त हो गई है। कश्मीर का अब अलग झंडा नहीं है. मतलब वहां भी अब तिरंगा शान से लहराता है. जम्मू-कश्मीर में अब तिरंगे का अपमान या उसे जलाना या नुकसान पहुंचाना संगीन अपराध है। अनुच्छेद-370 के साथ ही जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान भी इतिहास बन गया है. अब वहां भी भारत का संविधान लागू है। बेहतर शासकीय प्रबंधन के लिए जम्मू-कश्मीर को दो भागों में बांटा गया है।